मीडिया संस्थानों में परदे के पीछे कैसे-कैसे खेल चलते रहते हैं, इसका अंदाज़ा वहां काम कर रहे पत्रकारों को भी नहीं होता। कौन अचानक कैसे किसी चैनल का प्रमुख बन जाता है और कौन आखिर किन वजहों से बनते-बनते रह जाता है, यह अपने आप में एक ऐसा रहस्य है जिसे जानने में बड़े-बड़े संवाद-ऋषियों ने जीवन बिता दिया लेकिन यह एक पहेली ही रहा। ऐसी ही एक पहेली का उद्घाटन पहली बार मीडियाविजिल अपने पाठकों के सामने करने जा रहा है।
पिछले दिनों राज्यसभा टीवी में बड़े बदलाव हुए हैं। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल खत्म होते ही तमाम पुराने लोगों को निकाला गया है और तमाम नए लोगों को रखा गया। आरएसटीवी के सीईओ गुरदीप सिंह सप्पल को भी जाना था, सो वो भी गए। ख़बर यहां नहीं है। ख़बर यह है कि कौन-कौन नए सीईओ की दौड़ में लगा हुआ था और किसने कैसी-कैसी तरकीबें कीं। उनमें एक नाम नवीन जिंदल के चैनल न्यूज़ वर्ल्ड के चीफ ऑपरेटिंग अफसर नंदन झा का सामने आया है जो संघप्रिय हैं और अपनी प्रोफाइल पर मोहन भागवत से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक के संग अपनी तस्वीरें बड़े गर्व से साझा करते हैं।
नंदन झा ने राज्यसभा सीईओ का पद हासिल करने के लिए दिल्ली से लेकर नागपुर तक जो कवायद की और इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति अपनी वफादारी का जो डंका पीटा, वह उन्हीं के लिखे एक खत के माध्यम से उजागर हुआ है जिसकी प्रति मीडियाविजिल के पास मौजूद है। उन्होंने 20 सितंबर 2017 को यह पत्र सरसंघचालक मोहन भागवत के नाम हेडगेवारभवन की ईमेल आइडी पर भेजा जिसकी पावती में विकास नाम के एक व्यक्ति ने उन्हें आश्वस्त किया है कि इसे मोहन भागवत तक पहुंचा दिया जाएगा।
पत्र में एक स्वयंसेवक का जो दर्द उभरा है, उसे समझा जाना चाहिए। यह पत्र इसलिए पढ़ा जाना चाहिए कि इतने बरस संघ की सेवा के बाद भी कोई एक शख्स जब खुलकर अपने लिए कोई पद मांगता है तो कैसे उसकी उपेक्षा कर दी जाती है और संघ से उसका मोहभंग हो जाता है। यह सवाल दीगर है कि किसी चैनल के सीओओ को क्या ऐसा भक्तिमय पत्र लिखना चाहिए, लेकिन यह तो उसके अपने विवेक का मामला है कि वह यह समझता है कि जब तक मोहन भागवत न चाहें, राज्यसभा सीईओ का पद किसी को नहीं मिल सकता। हो सकता है इसमें सच्चाई भी हो। जब एक ही दौर में दर्जनों भक्त रेस में हों, तो किसी न किसी का पिछड़ना लाजिमी है।
पहली बार मीडियाविजिल पर सरसंघचालक के नाम टीवी चैनल के सीओओ का भक्तिमय पत्र अविकल पढें (व्याकरणिक गलतियों समेत विशुद्ध हिंदी में):
संपादकपरमपूज्य सरसंघचालक जी
चरणस्पर्श,
आपको सूचित करना था कि राज्यसभा टीवी के सीईओ के संदर्भ में मेरी मुलाक़ात वेंकैया नायडू जी ऐवम सूर्यप्रकाश जी (अध्यक्ष प्रसार भारती) से हूवा और संतोषजनक रहा (राज्यसभा सीईओ के चयन में दोनो की भूमिका महत्वपूर्ण है लेकिन आख़िरी चुनाव स्वयं वेंकैया जी ही करेंगे) दोनों ने विश्वास दिलाया है कि वे मेरा चयन करेंगे बशर्ते नाम संघ परिवार से आए। चूंकि राज्यसभा टीवी के लिए कोई योग्य उम्मीदवार नहीं था, इसलिए प्रसार भारती के सीईओ ( शशि शेखर) को राज्यसभा टीवी का कार्यवाहक सीईओ नियुक्त किया गया है।
वैसे आपको यह पत्र लिखने का कारण कुछ अलग अन्य कारणों से और महत्वपूर्ण है। करीब महीना भर पहले श्री विजय राव जी (क्षेत्र प्रचारक) और विपिन जी ( सहप्रान्त प्रचारक, मुंबई ) दोनों दिल्ली स्थित मेरे घर पर रात्रि विश्राम के लिए आए थे जिस दौरान उनसे राज्यसभा टीवी के संदर्भ में चर्चा हुई थी। तब उन्होंने विश्वास दिलाया था कि समय आने पर वे कृष्ण गोपाल जी से इस बारे में चर्चा करेंगे। १५ दिन पहले उन्होंने कृष्ण गोपाल जी से बात भी की और मुझे उनसे मिलने को कहा। इसके पश्चात मैंने समय पाने के लिए कृष्ण गोपाल जी को कई बार मैसेज किया परंतु कोई उत्तर नहीं मिला | कल जब विपिन जी ने फ़ोन पर पूछा कि उनसे (कृष्ण गोपाल जी ) से मुलाकात कैसी रही थी तब मैंने बताया कि अभी तक मुलाकात नहीं हो पाई है।तब पुनः विजय राव जी ने कृष्ण गोपाल जी को फ़ोन किया और मुझसे मिलने का आग्रह किया तब कृष्ण गोपाल जी का उत्तर था कि आप क्यों इतना पुश कर रहे हो, वो तो नवीन जिंदल का आदमी है। उनके न्यूज़ चैनल का सीईओ है और उसकी निष्ठा नवीन जिंदल के प्रति होगी। मुझे यह बात विपिन जी ने स्वत: बताई।
यह बात मेरे लिए किसी आघात से कम नहीं थी। बेहद पीड़ा हुई जिसे मैं अभिव्यक्त नहीं कर सकता। मेरे ३६ साल के जीवन में मैने २८ साल का संघआयु हैं। राष्ट्रीय सेवा भारती और संस्कार भारती की केंद्रिय टोली में पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा हूँ। सह सरकार्यवाह जी के मत से मुझे मर्मांतक पीड़ा हुई है।
मैं आपको हिन्दूवर्ष प्रतिप्रदा ( ८ एप्रिल २०१६) का रेशम बाग़ के कार्यक्रम का स्मरण कराना चाहता हूँ जब सुभाष चंद्रा जी के यह कहने पर कि नंदन जी मेरे पास नौकरी के लिए आए थे, आपने जवाब दिया था कि योग्यता क्या है आप देख लीजिए कुछ ग़लत नहीं करेगा। चूंकि सुभाष चंद्रा जी से मिलने के लिए मुझे सुहास राव जी ने भेजा था। (जो उस दिन रेशम बाग़ में मौजूद थे) उन्होंने मुझे कहा चूंकि चंद्रा जी ने स्वयं पूज्य सरसंघचालक जी से बात की है इसलिए हमें सामने से अब उन्हें फ़ोन नहीं करना चाहिए। मैंने क़रीब ४ महीने तक उनके फ़ोन का इंतज़ार किया मगर उनका कोई उत्तर नहीं आया। इस बीच सुहास राव जी इस संदर्भ में मुझसे कार्य की प्रगति के बारे में पूछते रहते थे लेकिन मेरे पास बताने के लिए कुछ था ही नहीं।
उसी दौरान मुझे पता चला कि दिल्ली स्थित एक राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल ‘न्यूज़ वर्ल्ड इंडिया’ (जो पहले फ़ोकस न्यूज़ के नाम से जाना जाता था) में मुख्य कार्यकारी अधिकारी का (प्रसिद्ध पत्रकार विनोद दुआ और संजीव श्रीवास्तव के चले जाने के बाद) जगह ख़ाली है। मैंने दिल्ली आकर इंटरव्यू दिया और मेरी योग्यता और कार्यशैली से प्रभावित होकर उन सभी ने सर्वसम्मति से मेरा चयन किया। तब चूंकि मेरे पास किसी राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल को चलाने का अनुभव नहीं था, इसलिए मुझे बिजनेस हेड की जिम्मेदारी मिली और फिर कर्म और कौशल के सहारे ६ महीनों के भीतर मुझे चैनल का मुख्य कार्यकारी अधिकारी बना दिया गया। यहां यह उल्लेनीय है कि Zee न्यूज़ में १० साल से ज़्यादा काम करने वाले आधे दर्जन वाइस प्रसिडेंट और सीनियर वाइस प्रसिडेंट एक साल से मेरे अंदर काम कर रहे है और आज यह न्यूज़ चैनल देश का ११ नम्बर का चैनल है। इस दौरान मैंने संघ और भाजपा सरकार के अधिकाधिक मंत्रियों का चैनल पर इंटरव्यू करवाया। उनकी सभी योजनाओं का समग्र प्रचार करवाया।
अब मैंने महसूस किया कि अब पुन: अपनी जड़ों पर लौटने का समय आ चुका है जिससे मैं सरकार और संघ के बीच सही तारतम्य का सहभागी हो सकूंगा। इसलिए मैंने राज्यसभा टीवी के सीईओ पद के लिए प्रयत्नशील था। आप तो जानते ही हैं कि राज्यसभा टीवी तमाम सुविधा के बावजूद देश के टीआरप या लोकप्रियता दोनों में कहीं स्थान नहीं बना सका है।
आपको मैं विश्वास दिलाता हूं कि आपने जिस भारतवर्ष के नवनिर्माण का जो यज्ञ शुरु किया है, अगर इस पद पर मौका मिला मैं अापके इस महती कार्य में सबसे उत्तम योगदान और राष्ट्र सेवा कर सकूंगा।
मैं जहां कार्यरत हूं वहां पिछले वर्ष सितम्बर में कार्यभार संभालते ही अगले माह अक्टूबर में मनाई गई विजयादशमी पर मैं अपनी पूरी टीम लेकर नागपुर पहुंचा और समग्र कार्यक्रम को सजीव प्रसारण करवाया। विजय राव जी और सुनील देशपांडे जी इसके प्रत्यक्षदर्शी हैं। आज पूरे देश का मीडिया यह जानता है कि न्यूज़ वर्ल्ड इंडिया एक आरएसएस का स्वयंसेवक चला रहा है। राष्ट्रीय सेवा भारती में सिद्धिनाथ जी संस्कार भारती में अमीर चंद जी, सुनील देशपांडे जी और अरुण कुमार जी इस बात की पुष्टि करेंगे कि मैंने किस तरह आबंटित कार्य को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ संपन्न किया है।
लेकिन अब जब सह सरकार्यवाह जी मेरे बारे में यह विचार रखते है तो मुझे किसी भी रूप में यह पद नहीं चाहिए। आश्चर्य तो उस वक़्त हुआ जब आज सुनील देशपांडे जी ने कहा कि मैंने भी कृष्ण गोपाल जी से मथुरा की बैठक के वक्त कहा था कि आपके पास नंदन जी आएँगे और उनका नाम राज्यसभा टीवी के लिए भेजना है। मुझे पुन: कहा कि आप जाकर कृष्ण गोपाल जी से मिल लेना। ( मेरा गला रूआंसा सा हो गया। मेरी आंखों में आँसू थे। मैं उन्हें कैसे बताता कि कृष्ण गोपाल जी मुझे कांग्रेसी समझते हैं)
पूजनीय, ऐसा पहली बार नहीं हुअ है। यदि आपको स्मरण हो तो क़रीब डेढ़ साल पहले दिल्ली के झंडेवाला में भोजन के पश्चात आपसे मुलाक़ात के दौरान मैंने अपनी पीड़ा बतायी थी, चार बार सुनील देशपांडे जी के फ़ोन करने के बावजूद डॉक्टर महेश शर्मा जी को सिर्फ एक फ़ोन करने के लिए कृष्ण गोपाल जी ने मुझे १० दिन तक टहलाते रहे और अंत में मैं आपसे बात करने के पश्चात मुंबई लौट गया।
वह भी एक समय था जब संघ के अधिकारी संस्कार देखकर स्वयंसेवक की योग्यता का पता लगा लेते थे और आज एक स्वयंसेवक को प्रान्त प्रचारक, क्षेत्र प्रचारक और केंद्रिय अधिकारी की सिफ़ारिश के बावजूद सन्देह की नजर से देखा जा रहा है। एक समर्पित स्वयंसेवक के लिए यह मर्मांतक पीड़ा देनेवाली बात है। परिवर्तन अच्छा है और सांसारिक नियम है लेकिन अगर यह परिवर्तन संघ के पदाधिकारियों को सामान्य स्वयंसेवक से दूर कर दे, तो उस पर विचार करने की आवश्यकता है।
मुझे गर्व व अभिमान है कि इतनी अल्पायु में ही मुझे पूज्य रज्जू भैया, सुदर्शन जी और आपका स्नेह, मार्गदर्शन और पितातुल्य निर्देश मिला। संघ से अर्जित मेरी योग्यता, संस्कार और आत्मविश्वास ही मेरे जीवन की सबसे बड़ी थाती है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि समय पर श्रीमान अरुण कुमार जी मेरा नाम प्रस्तावित करेंगे, लेकिन कृष्ण गोपाल जी उस पद पर एक कथित ‘‘कांग्रेसी’’ कहकर उसे नहीं जाने देंगे।
मेरे जीवन की एकमात्र आकांक्षा है कि आपकी स्नेह वर्षा मुझ पर हमेशा होती रहे।
मेरे जीवन की एकमात्र आकांक्षा है कि आपकी स्नेह वर्षा मुझ पर हमेशा होती रहे।
आपका स्नेहिल
नंदन झा
This article was first published on Media Vigil
This article was first published on Media Vigil