मुंबई की सिक्योरिटी एजेंसी ने कश्मीरी युवाओं को नौकरी से निकाला

Written by sabrang india | Published on: February 23, 2019
मुंबई। पुलवामा में सेना के काफिले पर आतंकी हमले के बाद देशभर में रोष का माहौल है। इस बीच देश के कई हिस्सों में अपने ही देश के अभिन्न हिस्से यानि कश्मीर के लोगों को बाहरी बनाया जा रहा है और कश्मीरियों पर हमले की खबरें सामने आ रही हैं। देश के अन्य हिस्सों में रह रहे कश्मीरियों को काम से भी निकाला जा रहा है। ताजा मामला मुंबई से सामने आया है। यहां मुंबई बेस्ड ही एक सिक्योरिटी एजेंसी ने तीन कश्मीरियों को कंपनी से निकाल दिया। इस पर भी तुर्रा यह है कि निकालने वाली कंपनी पछतावे के बजाय अपने फैसले को सही ठहरा रही है।

साई इंटरनेशनल सिक्योरिटी के डीके मिश्रा कहते हैं, '' हमने उन्हें काम पर रखा था, लेकिन कुछ दिन पहले हमारी टीम ने पाया कि वे कश्मीरी हैं और हमने तुरंत उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं। '' एजेंसी ने इरशाद अहमद, अल्ताफ अहमद और जहूर अहमद को पुलवामा अटैक के बाद काम से निकाला है।  

हालांकि मिश्रा बर्खास्त गार्ड के नामों की पुष्टि नहीं कर सके। लेकिन उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि युवकों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड, लंबित आपराधिक आरोप या उनके खिलाफ बर्खास्तगी का कोई अन्य कारण उनके पास नहीं है। मिश्रा से जब पूछा गया कि उन्हें सिर्फ इसलिए बर्खास्त करने की बात की गई कि वे कश्मीरी हैं, तो मिश्रा ने कहा, "आप मीडिया के लोग इसे इतना बड़ा मुद्दा क्यों बना रहे हैं?   

कंपनी द्वारा निकाले गए युवकों का पैसा रोके जाने के सवाल से मिश्रा ने इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि "उन पर लगभग 6000 से 7000 रुपये की राशि बकाया थी। हमने इसे मंजूरी दे दी और यहां तक ​​कि प्रक्रिया के अनुसार उचित वाउचर भी बनाए थे। निकाले गए युवकों ने कांदिवली पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई जिसमें दावा किया गया था कि हमने उन्हें भुगतान नहीं किया है, लेकिन मामला सुलझ गया।" मिश्रा ने कहा कि भुगतान प्रक्रिया का सही तरह से पालन किया था। हालांकि, जब हमने कांदिवली पुलिस स्टेशन से संपर्क किया, तो हमें बताया गया कि ऐसा कोई मामला उनके सामने नहीं आया है। यहां तक ​​कि काशीमीरा और कासरवदली पुलिस स्टेशन जो घोड़बंदर रोड स्थित एजेंसी के करीब हैं उन्होंने भी ऐसा मामला सामने आने से इंकार कर दिया। 

इस सब बातचीत के दौरान मिश्रा ने एक बार भी तीनों निर्दोष युवकों को काम से निकाले जाने पर खेद नहीं जताया। यह ठीक उसी तरह है जैसे देश भर में कश्मीरी छात्रों, व्यापारियों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमला करने वाले गुंडों की भीड़ खुद को ठीक ठहराती है। 
 
सबरंग यह दोहराना चाहता है कि पुलवामा में आतंकवादियों की कार्रवाई की निंदा की जानी चाहिए, लेकिन निर्दोषों को सजा देकर न्याय नहीं दिया जा सकता है।

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