जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बीते गुरुवार को हुए हमले के बाद से चालीस से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं जिसके बाद से एक ओर पूरा देश आक्रोश और दुख में है, वहीं शहीद अजय के अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए दिन निकलने से पूर्व ही लोग उत्तर प्रदेश के मेरठ के गांव बासा टीकरी में जुटने लगे थे. इसी में कई राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता भी उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए गांव में पहुंच रहे थे. इस दौरान राजनीतिक दलों के नेताओं को लोगो के विरोध का भी करना पडा सामना करना पड़ा. आक्रोशित लोगों ने पहुंचे नेताओं और प्रदेश व केन्द्र सरकार के मंत्रियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की साथ ही साथ मंत्रियों के जूते भी उतरवा दिए.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केन्द्रीय राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह जब शहीद अजय के घर पर पहुंचें तो वहां पर मौजूद लोगों ने इसको लेकर नाराजगी जतायी और कहा कि अभी तो चुनाव में दो माह है अभी क्यों आये हो, इसके अलावा अंत्येष्टि स्थल पर भी मौजूद युवाओं ने नेताओं को लेकर लगातार नारेबाजी की, जिसमें उनके वापिस जाने के नारे लगाये गये तो उन्हें लेकर अभद्र टिप्पणियां भी की गई.
यही नहीं अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, केन्द्रीय राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह, सांसद राजेन्द्र अग्रवाल और अन्य नेताओं के जूते लेकर चिता स्थल के पास पहुंचनें पर स्थानीय लोगों ने नाराजगी जतायी और जबरन उनके जूते उतरवा कर उन्हें वहीं पर जमीन पर सभी ग्रामीणों के साथ बैठवाया गया. नेताओं के यह जूते उतारकर साइड में रखे हुए थे तो कुछ ग्रामीणों ने इन जूतों को उठाकर नेताओं की ओर ही उछाल दिया. हालांकि यह जूते किसी नेता को नहीं लगे. लेकिन बाद में मंत्रियों और भाजपा नेताओं को नंगे पैर ही वहां से लौटना पड़ा और बिना जूतों के ही वह गांव से लौटे.
भाजपा नेताओं का कहना था कि यह घटना ओछी राजनीति का परिणाम है, उनका कहना था कि यह सारी साजिश वहां पर मौजूद एक अन्य राजनीतिक दल के नेताओं ने रची थी. लेकिन उन्हें यह देखना चाहिए था कि वह कहां पर और किस कार्यक्रम के लिए आये हैं. यहां पर एक वीर की शहादत को नमन करने के लिए सभी लोग गये थे, जहां पर यह सब नहीं होना चाहिए था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केन्द्रीय राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह जब शहीद अजय के घर पर पहुंचें तो वहां पर मौजूद लोगों ने इसको लेकर नाराजगी जतायी और कहा कि अभी तो चुनाव में दो माह है अभी क्यों आये हो, इसके अलावा अंत्येष्टि स्थल पर भी मौजूद युवाओं ने नेताओं को लेकर लगातार नारेबाजी की, जिसमें उनके वापिस जाने के नारे लगाये गये तो उन्हें लेकर अभद्र टिप्पणियां भी की गई.
यही नहीं अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, केन्द्रीय राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह, सांसद राजेन्द्र अग्रवाल और अन्य नेताओं के जूते लेकर चिता स्थल के पास पहुंचनें पर स्थानीय लोगों ने नाराजगी जतायी और जबरन उनके जूते उतरवा कर उन्हें वहीं पर जमीन पर सभी ग्रामीणों के साथ बैठवाया गया. नेताओं के यह जूते उतारकर साइड में रखे हुए थे तो कुछ ग्रामीणों ने इन जूतों को उठाकर नेताओं की ओर ही उछाल दिया. हालांकि यह जूते किसी नेता को नहीं लगे. लेकिन बाद में मंत्रियों और भाजपा नेताओं को नंगे पैर ही वहां से लौटना पड़ा और बिना जूतों के ही वह गांव से लौटे.
भाजपा नेताओं का कहना था कि यह घटना ओछी राजनीति का परिणाम है, उनका कहना था कि यह सारी साजिश वहां पर मौजूद एक अन्य राजनीतिक दल के नेताओं ने रची थी. लेकिन उन्हें यह देखना चाहिए था कि वह कहां पर और किस कार्यक्रम के लिए आये हैं. यहां पर एक वीर की शहादत को नमन करने के लिए सभी लोग गये थे, जहां पर यह सब नहीं होना चाहिए था.