गुजरात चुनाव: व्यापारियों की नाराजगी अगर मुसलमान पाकिस्तान पर खत्म होती है तो भारत को परिपक्व गणराज्य बनने में समय है!

Written by Girish Malviya | Published on: December 15, 2017
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव संपन्न हो चुका है। ऐसे में एग्जिट पोल आ रहे हैं। लगभग सारे एग्जिट पोल दोनों राज्यों में भाजपा के आने की बात कह रहे हैं। ऐसे समय में जब तीन साल के पीएम मोदी के कार्यकाल में नोटबंदी, जीएसटी के कारण बिगड़ती अर्थव्यवस्था से लोगों में भारी नाराजगी दिखाई दी है, भाजपा जीतती है तो चिंता का विषय है। इस पर विश्लेषण कर रहे हैं गिरीश मालवीय....



एग्जिट पोल के आंकड़ों से चुनाव को समझने की कोशिश मत कीजिए आखिरकार यह सर्वे कौन करता है और यह क्यो करवाए जाते हैं। बिकाऊ मीडिया के दौर में यह समझना बहुत मुश्किल काम नही है।

देश की दशा और दिशा को समझने में गुजरात चुनाव बेहद अहम है यदि इस चुनाव में भाजपा जीतती है तो यह समझ लेना चाहिए कि 2019 भी वह आसानी से निकाल ले जाएगी। यदि बिगड़ती अर्थव्यवस्था,नोटबन्दी ओर आधी अधूरी तैयारियो के साथ जीएसटी जैसे अनैतिक निर्णयों के साथ गुजरात की जनता खड़ी हो जाती है तो क्या कहा जाए?

सब जानते हैं कि गुजरात व्यापार और उद्योग प्रधान राज्य है। नोटबंदी और जीएसटी के क्रियान्वयन ने उद्योगों को बुरी तरह प्रभावित किया। इसके कारण बाजार से नकदी खत्म हो गयी जो कई क्षेत्रों में वैल्यू चेन का आधार है। नोटबंदी ने जहां नकदी खत्म कर दी वहीं जीएसटी ने रही सही कसर पूरी करते हुए उपलब्ध कार्यशील पूंजी घटा दी, देश के कुल करघों में से 30 फीसदी गुजरात में हैं। 

देश के कपड़ा आयुक्त की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक इनमें से आधे सितंबर के अंत तक बंद थे लाखो कामगार, अप्रत्यक्ष कामगार और छोटे प्रतिष्ठान चलाने वाले लोग बेरोजगार हुए हैं।

22 सालों से यहां भाजपा सत्ता में है, एक बड़ा फेक्टर एंटी एनकंमबीसी का भी होना चाहिए जिसे आज सब नजरअंदाज कर रहे हैं। पिछले सालों में दलित आंदोलन और पटेल आंदोलन को भी बड़े पैमाने पर दबाने की कोशिश की गयी है, सूरत में कपड़ा व्यापारियों की विशाल रैली सब ने देखी है।

इतना सब होने पर भी यदि मुद्दा ख़िलजी, औरंगजेब,पाकिस्तान या किसी को नीच कहा जाना ही बनता है तो शायद भारत गणराज्य को, एक परिपक्व लोकतंत्र कहे जाने में अभी बहुत समय है।

बाकी ख़बरें