प्रधानमंत्री आज वाराणसी और ग़ाज़ियाबाद में हैं। हिन्दी अख़बारों में दोनों जगहों के कार्यक्रम का पूरे पन्ने का विज्ञापन आया है। दैनिक जागरण में छपा है- विश्वनाथ धाम वाराणसी भूमि पूजन व शिलान्यास। कुल क्षेत्रफल 39310 वर्ग मीटर, प्राचनी मंदिरों का संकुल, मां गंगा के घाट तक का चौड़ा रास्ता, अग्निशम व स्वास्थ्य सेवाएं। सुगम दर्शन, ऑनलाइन बुकिंग प्रणाली द्वारा एडवांस बुकिंग। पीने के पानी की व्यवस्था, मंदिर परिसर में पंखे व कूलर की व्यवस्था एवं छावनी का निर्माण। विज्ञापन में जैसा लिखा है, वैसा ही यहां लिखा है।
भारत के प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के विज्ञापन में पंखा, कूलर और पीने के पानी की व्यवस्था को गिनाया गया है। इतना तो बनारस में बाबा विश्वनाथ के भक्त चुपचाप दान कर आते हैं। मैंने ऐसा कोई महत्वपूर्ण मंदिर नहीं देखा जहां किसी सेठ ने पंखा, कूलर और बेंच न लगवा दिया हो। मगर पहली बार प्रधानमंत्री ऐसा देख रहा हूं, जो पंखा, कूलर और पीने के पानी की व्यवस्था तक को काम में गिना रहे हैं। वो भी पांच साल बीत जाने के बाद पीने के पानी की व्यवस्था का शिलान्यास हो रहा है। क्या बाबा विश्वनाथ मंदिर का प्रबंधन इतना भी सक्षम नहीं है। कम से कम प्रधानमंत्री शहर के बीजेपी कार्यकर्ताओं से ही बोल देते पचासों वॉटर कूलर लगव चुके होते।
गनीमत है इस विज्ञापन में एयर कंडीशन नहीं है। अगर एयर कंडीशन होता तो एसी और प्रधानमंत्री का अलग से पूरे पन्ने का विज्ञापन छपता कि देखो हमने बाबा विश्वनाथ के मंदिर में एसी लगवा दिया है।हिन्दू गौरव के इतिहास में प्रधानमंत्री का यह महान काम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाना चाहिए। राजनीति के लिए मार्केटिंग ज़रूरी है मगर मार्केटिंग इस हद तक न होने लगे कि बेंच, गमला और दान पात्र रखवाने को भारत सरकार अपने काम में गिनाए। शिव शंभु शिव शंभु।
अच्छा होता इस विज्ञापन में काशी विश्वनाथ धाम योजना के बारे में बताया जाता। बनारस में जो तोड़ा गया है, उस पर आई लागत और उससे हुए नुकसान के बारे में बताया जाता। यह भी बताया जाता कि नया क्या और क्यों बना रहे हैं। विज्ञापन पर पैसा ख़र्च करना ही काम नहीं है, थोड़ा दिमाग़ भी लगाना चाहिए। दैनिक जागरण में छपा यह विज्ञापन सूचना व जनसंपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश का है। योगी जी ज़रा ध्यान दें।
बनारस के बाद प्रधानमंत्री ग़ाज़ियाबाद आए। विज्ञापन कहता है कि विकास के नए क्षितिज पर जनपद- ग़ाज़ियाबाद। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की खिलखिलाती तस्वीरों के साथ मोटे अक्षरों में लिखा है कि 32, 513 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास। पूरे पन्ने के विज्ञापन में शिलान्यास और लोकार्पण वाली योजनाओं की अलग सूची पेश की गई है।
पहले लोकार्पण की योजनाओं की सूची देख लीजिए। दिलशाद गार्डन से शहीद स्थल ग़ाज़ियाबाद तक मेट्रो रेल का विस्तारीकरण का कार्य। हिण्डन एयरपोर्ट स्टेशन पर एयरपोर्ट टर्मिनल बिल्डिंग का निर्माण। प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत मॉडल इण्टर कालेज(बालिका) प्रेम नगर बस्ती, लोना का निर्माण, मॉडल इण्टर कालेज(बालक) मुस्तफ़ाबाद बस्ती, लोनी का निर्माण। अमृत योजना के अन्तर्गत ग़ाज़ियाबाद नगर में 37,120 पेयजल गृह संयोजन का कार्य। अमृत योजना के अन्तर्गत लोनी नगर में 10500 सीवर गृह संयोजन का कार्य। आसरा आवासीय योजना नन्दग्राम के अन्तर्गत 180 आवासों का निर्माण।
जिस अखबार में यह विज्ञापन छपा है वो नहीं बताएगा कि लोकार्पण करने वाली योजनाओं की वास्तविकता क्या है। अगर खुद से उनकी हकीकत बताता तो और अच्छा होता। बनी हुई इमारत, उसकी स्थिति के बारे में जाकर मतदाता को और भरोसा ही होता। अब आपको शिलान्यास वाली योजनाओं की सूची बताता हूं।
क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम एवं मेट्रो सर्विस के प्रथम कॉरिडोर दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद- मेरठ का निर्माण। ग़ाज़ियाबाद नगर में इन्टीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम की स्थापना। 45 मीटर चौड़ी नार्दन पेरिफेरल रोड व आउटर रिंग रोड का निर्माण(प्रथम चरण)। अमृत योजना के अन्तर्गत सीवरेज योजना फेज-1 में 2 नग आई पी एस, 47.16 किमी सीवर लाइन तथा 4929 नगर सीवर हाउस कनेक्शन का कार्य। अमृत योजना के अन्तर्गत लोना सीवरेज योजना फेज-2 पार्ट-1 में 37.2 किमी सीवर लाइन, 2700 नग हाउस कनेक्टिंग चैम्बर तथा 6600 नग सीवर हाउस कनेक्शन का कार्य। नगर निगम गाज़ियाबाद के अन्तर्गत नन्दीपार्क गौशाला का सुदृढ़ीकरण।
काम लंबा लगे इसलिए गौशाला के सुदृढ़ीकरण का भी शिलान्यास प्रधानमंत्री कर रहे हैं। सीवर कनेक्शन के काम का भी शिलान्यास प्रधानमंत्री कर रहे हैं। इन सब चीज़ों के शिलान्यास को विधायक तरसते हैं। अब वो भी प्रधानमंत्री करेंगे तो क्या रह जाएगा। अब आते हैं विज्ञापन के शीर्षक पर। 32, 513 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास। भाषा में योजना, परियोजना और सामान्य कार्य का फर्क समाप्त कर दिया गया है गौशाला का सुदृढ़ीकरण भी अब एक परियोजना है।
जो 32, 513 करोड़ की राशि बताई गई है उसमें 30,274 करोड़ अकेले क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम एवं मेट्रो सर्विस के प्रथम कॉरिडोर दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद- मेरठ का निर्माण पर खर्च किया जाए। जिसका फैसला 19 फरवरी 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लिया। पूरा होने का लक्ष्य क्या है, इसका कोई ज़िक्र नहीं है। तो आपने देखा कि 14 परियोजनाओं की सूची में से सिर्फ एक परियोजना पर ही लागत 30,274 करोड़ है।
यह साफ नहीं है कि यह पैसा जारी हो गया है या आने वाले वर्षों में जारी होता रहेगा। दैनिक जागरण से इसकी जानकारी ली है। इसी अखबार ने लिखा है कि दिलशाद गार्डन से शहीद स्थल न्यू बस अड्डा तक मेट्रो के विस्तार की लागत 1781 करोड़ की है। यह काम पूरा हो चुका है। दैनिक जागरण लिखता है कि हिण्डन एयरपोर्ट टर्मिनल की लागत 60 करोड़ है और इसका काम 25 मार्च तक पूरा होगा। लेकिन प्रधानमंत्री उसके पहले ही लोकार्पण करने आ रहे हैं। जब उन्हें 2024 तक प्रधानमंत्री बने रहने का भरोसा है तो इतनी भी क्या जल्दी। पूरा होने पर ही लोकार्पण कर लेते। यह विज्ञापन यूपी के सूचना व जनसंपर्क विभाग की तरफ से छापा गया है।
बहरहाल 14 परियोजनाओं में कुल तीन परियोजनाओं की लागत 32,115 करोड़ हो जाती है। बाकी जो 11 परियोजनाएं हैं जिसमें गौशाला के सुदृढ़ीकरण से लेकर सीवर डालने का काम बताया गया है वो मात्र 398 करोड़ की हैं। हिन्दुस्तान अख़बार में हिंडन एयरपोर्ट का अलग से भी विज्ञापन छपा है। यह विज्ञापन नागर विमानन मंत्रालय का है। विज्ञापन में जगह भरने के लिए यह भी गिनाया गया कि इसमें 8 चेकिंग काउंटर होंगे। अब से चेकिंग काउंटर का भी विज्ञापन होगा। क्या आप जानते हैं कि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल टर्मिनल पर कितने चेकिंग काउंटर हैं?
300 यात्रियों की क्षमता वाले हिण्डन एयरपोर्ट को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। दैनिक जागरण लिखता है कि यहां से 80 या उससे कम सीटों वाले विमानों को शिफ्ट किया जाएगा। उसी विज्ञापन में दिया जा सकता था कि कितने ऐसे विमान हैं जो 80 सीटों से कम क्षमता वाले हैं और इनमें से कौन दिल्ली एयरपोर्ट के रहते गाज़ियाबाद से उड़ान भरेगा। नासिक, पिथौरागढ़ और हुबली, कलबुर्गी, फैजाबाद के साथ जोड़ा जाएगा। क्या फैज़ाबाद और गा़ज़ियाबा के बीच कोई विमान सेवा शुरु हो रही है? इसके लिए कौन सी विमान कंपनी तैयार है। प्रधानमंत्री एयरपोर्ट का ही उदघाटन करने आ रहे हैं या विमान सेवाओं का।
अख़बारों में पहले भी ख़बरों में ज्ञापन ही छपता था, अब विज्ञापन छप रहा है। अख़बारों के पत्रकारों को उम्मीद रखनी चाहिए कि चुनाव के बाद कुछ पैसे भी बढ़ेंगे। वैसे इतने कम पैसे में वे कम पत्रकारिता कर कुछ ग़लत नहीं करते हैं। वर्ना कोई अखबार अपने रिपोर्टर को लोनी के बालक और बालिका इण्टर कालेज भी भेजता, तस्वीरें छपवाता ताकि हम पाठक जान पाते कि प्रधानमंत्री मोदी जिसका लोकार्पण कर रहे हैं, वो कैसा बना है, अभी बना है या पहले से बना हुआ है, पूरा बना है या दो चार नए कमरे बने हैं। आमीन।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
भारत के प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के विज्ञापन में पंखा, कूलर और पीने के पानी की व्यवस्था को गिनाया गया है। इतना तो बनारस में बाबा विश्वनाथ के भक्त चुपचाप दान कर आते हैं। मैंने ऐसा कोई महत्वपूर्ण मंदिर नहीं देखा जहां किसी सेठ ने पंखा, कूलर और बेंच न लगवा दिया हो। मगर पहली बार प्रधानमंत्री ऐसा देख रहा हूं, जो पंखा, कूलर और पीने के पानी की व्यवस्था तक को काम में गिना रहे हैं। वो भी पांच साल बीत जाने के बाद पीने के पानी की व्यवस्था का शिलान्यास हो रहा है। क्या बाबा विश्वनाथ मंदिर का प्रबंधन इतना भी सक्षम नहीं है। कम से कम प्रधानमंत्री शहर के बीजेपी कार्यकर्ताओं से ही बोल देते पचासों वॉटर कूलर लगव चुके होते।
गनीमत है इस विज्ञापन में एयर कंडीशन नहीं है। अगर एयर कंडीशन होता तो एसी और प्रधानमंत्री का अलग से पूरे पन्ने का विज्ञापन छपता कि देखो हमने बाबा विश्वनाथ के मंदिर में एसी लगवा दिया है।हिन्दू गौरव के इतिहास में प्रधानमंत्री का यह महान काम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाना चाहिए। राजनीति के लिए मार्केटिंग ज़रूरी है मगर मार्केटिंग इस हद तक न होने लगे कि बेंच, गमला और दान पात्र रखवाने को भारत सरकार अपने काम में गिनाए। शिव शंभु शिव शंभु।
अच्छा होता इस विज्ञापन में काशी विश्वनाथ धाम योजना के बारे में बताया जाता। बनारस में जो तोड़ा गया है, उस पर आई लागत और उससे हुए नुकसान के बारे में बताया जाता। यह भी बताया जाता कि नया क्या और क्यों बना रहे हैं। विज्ञापन पर पैसा ख़र्च करना ही काम नहीं है, थोड़ा दिमाग़ भी लगाना चाहिए। दैनिक जागरण में छपा यह विज्ञापन सूचना व जनसंपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश का है। योगी जी ज़रा ध्यान दें।
बनारस के बाद प्रधानमंत्री ग़ाज़ियाबाद आए। विज्ञापन कहता है कि विकास के नए क्षितिज पर जनपद- ग़ाज़ियाबाद। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की खिलखिलाती तस्वीरों के साथ मोटे अक्षरों में लिखा है कि 32, 513 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास। पूरे पन्ने के विज्ञापन में शिलान्यास और लोकार्पण वाली योजनाओं की अलग सूची पेश की गई है।
पहले लोकार्पण की योजनाओं की सूची देख लीजिए। दिलशाद गार्डन से शहीद स्थल ग़ाज़ियाबाद तक मेट्रो रेल का विस्तारीकरण का कार्य। हिण्डन एयरपोर्ट स्टेशन पर एयरपोर्ट टर्मिनल बिल्डिंग का निर्माण। प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत मॉडल इण्टर कालेज(बालिका) प्रेम नगर बस्ती, लोना का निर्माण, मॉडल इण्टर कालेज(बालक) मुस्तफ़ाबाद बस्ती, लोनी का निर्माण। अमृत योजना के अन्तर्गत ग़ाज़ियाबाद नगर में 37,120 पेयजल गृह संयोजन का कार्य। अमृत योजना के अन्तर्गत लोनी नगर में 10500 सीवर गृह संयोजन का कार्य। आसरा आवासीय योजना नन्दग्राम के अन्तर्गत 180 आवासों का निर्माण।
जिस अखबार में यह विज्ञापन छपा है वो नहीं बताएगा कि लोकार्पण करने वाली योजनाओं की वास्तविकता क्या है। अगर खुद से उनकी हकीकत बताता तो और अच्छा होता। बनी हुई इमारत, उसकी स्थिति के बारे में जाकर मतदाता को और भरोसा ही होता। अब आपको शिलान्यास वाली योजनाओं की सूची बताता हूं।
क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम एवं मेट्रो सर्विस के प्रथम कॉरिडोर दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद- मेरठ का निर्माण। ग़ाज़ियाबाद नगर में इन्टीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम की स्थापना। 45 मीटर चौड़ी नार्दन पेरिफेरल रोड व आउटर रिंग रोड का निर्माण(प्रथम चरण)। अमृत योजना के अन्तर्गत सीवरेज योजना फेज-1 में 2 नग आई पी एस, 47.16 किमी सीवर लाइन तथा 4929 नगर सीवर हाउस कनेक्शन का कार्य। अमृत योजना के अन्तर्गत लोना सीवरेज योजना फेज-2 पार्ट-1 में 37.2 किमी सीवर लाइन, 2700 नग हाउस कनेक्टिंग चैम्बर तथा 6600 नग सीवर हाउस कनेक्शन का कार्य। नगर निगम गाज़ियाबाद के अन्तर्गत नन्दीपार्क गौशाला का सुदृढ़ीकरण।
काम लंबा लगे इसलिए गौशाला के सुदृढ़ीकरण का भी शिलान्यास प्रधानमंत्री कर रहे हैं। सीवर कनेक्शन के काम का भी शिलान्यास प्रधानमंत्री कर रहे हैं। इन सब चीज़ों के शिलान्यास को विधायक तरसते हैं। अब वो भी प्रधानमंत्री करेंगे तो क्या रह जाएगा। अब आते हैं विज्ञापन के शीर्षक पर। 32, 513 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास। भाषा में योजना, परियोजना और सामान्य कार्य का फर्क समाप्त कर दिया गया है गौशाला का सुदृढ़ीकरण भी अब एक परियोजना है।
जो 32, 513 करोड़ की राशि बताई गई है उसमें 30,274 करोड़ अकेले क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम एवं मेट्रो सर्विस के प्रथम कॉरिडोर दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद- मेरठ का निर्माण पर खर्च किया जाए। जिसका फैसला 19 फरवरी 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लिया। पूरा होने का लक्ष्य क्या है, इसका कोई ज़िक्र नहीं है। तो आपने देखा कि 14 परियोजनाओं की सूची में से सिर्फ एक परियोजना पर ही लागत 30,274 करोड़ है।
यह साफ नहीं है कि यह पैसा जारी हो गया है या आने वाले वर्षों में जारी होता रहेगा। दैनिक जागरण से इसकी जानकारी ली है। इसी अखबार ने लिखा है कि दिलशाद गार्डन से शहीद स्थल न्यू बस अड्डा तक मेट्रो के विस्तार की लागत 1781 करोड़ की है। यह काम पूरा हो चुका है। दैनिक जागरण लिखता है कि हिण्डन एयरपोर्ट टर्मिनल की लागत 60 करोड़ है और इसका काम 25 मार्च तक पूरा होगा। लेकिन प्रधानमंत्री उसके पहले ही लोकार्पण करने आ रहे हैं। जब उन्हें 2024 तक प्रधानमंत्री बने रहने का भरोसा है तो इतनी भी क्या जल्दी। पूरा होने पर ही लोकार्पण कर लेते। यह विज्ञापन यूपी के सूचना व जनसंपर्क विभाग की तरफ से छापा गया है।
बहरहाल 14 परियोजनाओं में कुल तीन परियोजनाओं की लागत 32,115 करोड़ हो जाती है। बाकी जो 11 परियोजनाएं हैं जिसमें गौशाला के सुदृढ़ीकरण से लेकर सीवर डालने का काम बताया गया है वो मात्र 398 करोड़ की हैं। हिन्दुस्तान अख़बार में हिंडन एयरपोर्ट का अलग से भी विज्ञापन छपा है। यह विज्ञापन नागर विमानन मंत्रालय का है। विज्ञापन में जगह भरने के लिए यह भी गिनाया गया कि इसमें 8 चेकिंग काउंटर होंगे। अब से चेकिंग काउंटर का भी विज्ञापन होगा। क्या आप जानते हैं कि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल टर्मिनल पर कितने चेकिंग काउंटर हैं?
300 यात्रियों की क्षमता वाले हिण्डन एयरपोर्ट को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। दैनिक जागरण लिखता है कि यहां से 80 या उससे कम सीटों वाले विमानों को शिफ्ट किया जाएगा। उसी विज्ञापन में दिया जा सकता था कि कितने ऐसे विमान हैं जो 80 सीटों से कम क्षमता वाले हैं और इनमें से कौन दिल्ली एयरपोर्ट के रहते गाज़ियाबाद से उड़ान भरेगा। नासिक, पिथौरागढ़ और हुबली, कलबुर्गी, फैजाबाद के साथ जोड़ा जाएगा। क्या फैज़ाबाद और गा़ज़ियाबा के बीच कोई विमान सेवा शुरु हो रही है? इसके लिए कौन सी विमान कंपनी तैयार है। प्रधानमंत्री एयरपोर्ट का ही उदघाटन करने आ रहे हैं या विमान सेवाओं का।
अख़बारों में पहले भी ख़बरों में ज्ञापन ही छपता था, अब विज्ञापन छप रहा है। अख़बारों के पत्रकारों को उम्मीद रखनी चाहिए कि चुनाव के बाद कुछ पैसे भी बढ़ेंगे। वैसे इतने कम पैसे में वे कम पत्रकारिता कर कुछ ग़लत नहीं करते हैं। वर्ना कोई अखबार अपने रिपोर्टर को लोनी के बालक और बालिका इण्टर कालेज भी भेजता, तस्वीरें छपवाता ताकि हम पाठक जान पाते कि प्रधानमंत्री मोदी जिसका लोकार्पण कर रहे हैं, वो कैसा बना है, अभी बना है या पहले से बना हुआ है, पूरा बना है या दो चार नए कमरे बने हैं। आमीन।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)