कोविड काल में लोगों की जान बचाने में विफल मोदी सरकार और "सकारात्मकता" का प्रचार

Written by विमल भाई | Published on: May 9, 2021
आजकल बीजेपी का आईटी सेल बहुत जोर शोर से पूरे देश में व्हाट्सएप, फेसबुक और सभी सोशल मीडिया और सरकारी भोपू बने मीडिया हाउसों, टेलीविजन आदि पर यह प्रचारित करने की कोशिश कर रहा कि "सब लोग सकारात्मक बातें कहें"।



मकसद साफ है ताकि सरकार की नाकामियों को छुपाया जा सके। ताकि सरकार पर प्रश्न ना खड़े किए जा सकें। पीएम केयर्स फंड के इस्तेमाल को सही समय पर विश्वसनीयता और पारदर्शिता के साथ इस्तेमाल ना कि जाने पर सवाल ना उठे। देश को मजबूत स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत के समय लगभग 8,500 करोड़ के दो विमानो की खरीद गई। मात्र एक व्यक्ति की झूठी शान के लिए। वह भी ऐसे समय में जब विमान सेवाएं लगभग रद्द हैं। कोई सवाल ना करें।

ताकि आज भी सऊदी अरब से आये ऑक्सीजन के टैंकरों पर रिलायंस फाउंडेशन के पोस्टर लगाने की बात पर चर्चा रोकी जा सके। बिहार के सांसद राजीव राजीव रूडी द्वारा छुपाई गई 20 एंबुलेंस पर चर्चा ना हो। सरकारी बाबा रामदेव की ऑक्सीजन के लिए तड़पते मरीजों के उपहास उड़ाने पर चर्चा ना हो, प्रश्न ना हो। कुंभ के कारण फैली कोरोना महामारी की बात को छुपाया जा। 

यह बात बिल्कुल सही है कि आशाजनक रहना चाहिए। मगर यह बात बिल्कुल नहीं भूलनी चाहिए कि आज की परिस्थिति की जिम्मेदार यह केंद्र सरकार है। और उस पर प्रश्न उठाना बिल्कुल वाजिब है। अगर प्रश्न नहीं उठाए तो कल फिर यही चलता रहेगा। पीएम केयर फंड का पैसा संभवत एमएलए व एमपी को खरीदने में किया जाएगा। 

बंगाल की शेरनी के साथ खड़े होकर बंगाल के लोगों ने बीजेपी के मुंहजोरों पर तगड़ा झपट्टा मारा है। इसलिए अब यही बीजेपी का आईटी सेल बंगाल की हिंसा को अत्यधिक बढ़ा चढ़ाकर और झूठी फोटो आदि लगाकर प्रचारित किया जा रहा है। फिल्म जगत की अभिनेत्री बंगाल की हिंसा पर रोता हुआ वीडियो भेजती है। मानो देश में कही और हिंसा ना हो रही हो। मात्र बंगाल में ही हिंसा हुई हो। हम मानते हैं कि हिंसा कहीं पर भी होना गलत है। किंतु किसी पार्टी के पक्ष के लिए झूठ का प्रचार के लिए गिरने की भी कोई सीमा होती है। शुक्र है की ट्विटर ने उसका अकाउंट रद्द किया। क्या देश का कोई मीडिया नफरत फैलाने वाली इस अभिनेत्री को बैन करने की हिम्मत करेगा? नहीं बल्कि देश का सारा मीडिया तो खूब पूजन में लगा है। प्रचारित करने में लगा है। यही तो प्रचार की रणनीति है। मगर जनता सब देख रही है। वो अदालतें जो मुनव्वर फारुखी जो कि एक स्टैंड अप कॉमेडियन है, जो अपनी कॉमेडी (तथाकथित रूप से हिंदू देवी-देवताओं के अपमान) पर माफी भी मांग लेता है, जिस पर आरएसएस के गुंडे हमला करते हैं, मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए कि ऐसे लोगों को जमानत नहीं मिलनी चाहिए, जमानत से इंकार किया। क्या उसको इस तरह के नफरत भरे झूठे प्रचार नहीं दिखते? बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने उनको जमानत दी। 

100 करोड़ रूपया सरकारी सार्वजनिक तेल कंपनियों से बद्रीनाथ जी की पुनर्निर्माण की लिए निश्चित करवाना जरूरी है या फिर उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना जरूरी है? लगभग 20 हजार करोड़ से सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट बनाना जरूरी है या इस पैसे को फ्री वैक्सीन के लिए इस्तेमाल करना जरूरी होगा?

'कोविशील्ड' बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाल को देश से बाहर क्यों जाना पड़ा? इस पर भी सवाल प्रश्न उठाना होगा? यह सरकार की, देश की बदनामी है। क्यों नहीं उस कंपनी को सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट की जगह पैसा दिया गया। हर राज्य में उनको एक फैक्ट्री खोलने के लिए व्यवस्था जाती तो क्या वो लंदन जाकर नई फैक्टरी खोलने की बात करते।

बेहतर तो होता कि राम मंदिर के लिए इकट्ठा किए जाने वाला पैसा तुरंत वैक्सीन या ऑक्सीजन के लिए दिया जाता। केरल के पदमनाभन मंदिर में ईश्वर के नाम पर जो अकूत संपदा इकट्ठी है। उसको ईश्वर के भक्तों के लिए इस्तेमाल करने का यह बिल्कुल सही समय है। सकारात्मक बात यह होती। पर इस बात नहीं हो।

मगर सकारात्मकता की बात कहने वाले देशभर में कहीं ऑक्सीजन सिलेंडर के लंगर लगाते हुए नजर नहीं आते। वे पहले भी सड़कों पर मजदूरों के पैरों से गिरते लहू से अपने राजनीतिक मंसूबे लिखते रहे और अब भी किसी सकारात्मक काम में नहीं दिखाई देते।

सकारात्मक बात तो यह है कि देश भर में आंदोलनजीवी और जिनको किसान आंदोलन में आतंकवादी कहा गया। ऐसे सिख संप्रदाय के लोग ऑक्सीजन से लेकर अंतिम संस्कार की सेवा के लिए तत्पर नजर आ रहे हैं।

व्यक्तिगत उदाहरण भी सामने आए कि दिन दिन भर हिंदू का संस्कार नहीं हो पाया और मुस्लिमों ने आगे आकर हिंदू तरीके से अंतिम संस्कार किया।

मुंबई में 32 साल के शाहनवाज शेख अपनी कार बेचकर जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन पहुंचा रहे हैं। ऐसे ही यूपी के जौनपुर जिले का एंबुलेंस ड्राइवर विक्की अग्रहरि अपनी पत्नी के जेवर बेचकर, 4 सिलेंडर खरीद लाया और जरूरतमंदों को ऑक्सीजन पहुंचा रहा है।

अनेक संस्थाएं, मानवाधिकार कार्यकर्ता व बदनाम किए जा रहे एनजीओ वाले पिछले साल मजदूरों तक राशन पहुंचाने का काम कर रहे थे और अभी सरकारी चरमराई व्यवस्था की दरारों में इंसानियत के तकाजे भर रहे हैं। बीजेपी नीत सरकारों के हमले भी झेल रहे हैं। यूपी के मुख्यमंत्री अजय बिष्ट ने तो साफ ही कह दिया कि (ऑक्सीजन की कमी की बात) अब अफवाह फैलाने पर संपत्ति जब्त की जाएगी। उच्च न्यायालय इलाहाबाद में जज साहब ने अदालत में ही सरकारी वकील के अस्पतालों में समुचित व्यवस्था है वाले दावे को उसी समय फोन करा कर झूठा साबित किया।

मगर फिर भी बीजेपी के आईटी सेल द्वारा देश में उनकी तरह के सकारात्मक वातावरण बनाये जाने की कातर पुकार जायज है। अमेरिका में सरकार से खुली प्रेस वार्ता में पूछा जाता है कि भारत सरकार को दी गई सहायता क्या लोगों तक पहुंच पा रही है? हाउडी मोदी नमस्ते ट्रंप जैसे नाटकों का आयोजन के बाद भी इतना अपमान तो चलिए बीजेपी का आईटी सेल तो अपना काम करेगा ही। मगर सच में जो देश में सरकारी नकारात्मकता और फैलाई जा रहे खौफ के बीच भी सकारात्मक काम कर रहे हैं। ऐसे तमाम नामचीन और अनाम सच्चे कोरोना वारियर्स को जिंदाबाद!!!

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