लखनऊ। 2022 विधानसभा चुनाव का दबाव ही है कि 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद पहली बार है जब पार्टी (बीजेपी) उनके कामकाज का “फीडबैक” ले रही है। पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने सोमवार को लखनऊ में मंत्रियों और पार्टी नेताओं के साथ आमने-सामने बैठक की, जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनके आवास पर एक अलग बैठक की। बैठक में भाजपा के उप्र प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन प्रदेश प्रभारी व महासचिव सुनील बंसल भी शामिल थे।
यह पहली बार है जब बीजेपी राष्ट्रीय संगठन के नेता ने उप्र में संगठन के पदाधिकारियों और सरकार के मंत्रियों से अलग-अलग मुलाकात कर सूबे की जमीनी हालात का जायजा लिया हो। इससे पहले मुख्यमंत्री की मौजूदगी में सामूहिक बैठकें होती थीं, लेकिन इस बार संगठन और सरकार के मंत्रियों के साथ सीधे आमने-सामने बैठकर फीडबैक लिया जा रहा है। यही वजह है कि इस बात की आशंकाओं को और बल मिलने लगा है कि क्या यूपी में किसी तरह का कोई बड़ा फेरबदल किया जाएगा।
बीएल संतोष मंगलवार को सबसे पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलेंगे। केशव मौर्य के बाद वो दूसरे डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा के साथ मुलाकात करेंगे। इसके बाद संगठन मंत्री प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, सतीश महाना और फिर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से अलग-अलग बैठक करेंगे। वहीं, आखिर में बीएल संतोष राज्य मंत्रियों और स्वतंत्र प्रभार के मंत्रियों से मुलाकात करेंगे। एक मंत्री के साथ 20 से 25 मिनट बैठक का समय निर्धारित किया गया है। यही नहीं बीएल संतोष, बीजेपी संगठन और योगी सरकार के मंत्रियों के साथ ही नहीं बल्कि आरएसएस के साथ भी बैठकें कर फीडबैक ले रहे हैं। इससे पहले सोमवार को लखनऊ पहुंचते ही, बीएल संतोष ने बीजेपी दफ्तर में हाईलेवल मीटिंग ली। इसके बाद बीएल संतोष सबसे पहले मंत्री बृजेश पाठक, महेंद्र सिंह और दारा सिंह चौहान से मिले। उसके बाद मंत्री सुरेश खन्ना व जय प्रताप सिंह से मिले। मंत्री सुरेश खन्ना और जय प्रताप सिंह से काफी देर अलग-अलग बैठक हुई, जिसमें तमाम मुद्दों पर बात हुई। साथ ही उन्होंने स्वाति सिंह और अंत में सतीश द्विवेदी से भी मुलाकात की। इस तरह बीएल संतोष और राधा मोहन सिंह ने सोमवार को प्रदेश सरकार के सात मंत्रियों से मुलाकात की थी।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव का राज्य में दौरा (फीडबैक लेने का कार्यक्रम) ऐसे समय में हो रहा है जब कोरोना के दूसरी लहर से निपटने को लेकर राज्य सरकार पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्य के कई मंत्री विधायकों ने नेतृत्व के बारे में सार्वजनिक रूप से बयान दिए हैं। साथ ही हाल में पंचायत चुनावों में भी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है। वह भी तब, जब पंचायत चुनाव को राज्य में 2022 विधानसभा का सेमीफाइनल माना जा रहा था। सूत्रों के अनुसार, बैठक में भी इसी सब पर विमर्श हुआ कि बीजेपी कार्यकर्ता किस तरह से काम कर रहे हैं और उनमें नाराजगी तो नहीं है। मंत्री अपने साथ कामकाज का ब्यौरा लेकर पहुंचे थे जिसे उन्होंने साझा किया। सरकार की तरफ से कार्यकर्ताओं की उपेक्षा व संगठन के असहयोग से कार्यकर्ताओं में असंतोष और नाराजगी है। यूपी में विधानसभा का चुनाव करीब होने से पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी पार्टी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है।
सोमवार को देर रात मुख्यमंत्री आवास पर करीब डेढ़ घंटे बैठक चली, जिसमें योगी आदित्यनाथ सहित राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डा। दिनेश शर्मा व सुनील बंसल भी उपस्थित थे। इस बैठक में पंचायत चुनाव और अन्य राजनीतिक गतिविधियों पर भी चर्चा की गई। साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए व्यापक कार्ययोजना बनाने पर भी जोर दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संतोष ने नेताओं से विभिन्न विभागों के कामकाज, कोविड के दौरान किए गए कार्यों, समस्याग्रस्त मुद्दों और पार्टी को जनता तक पहुंचने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी। उन्हें कथित तौर पर भाजपा और सरकार के बीच समन्वय की कमी के साथ-साथ पार्टी के नेताओं की नौकरशाही से काम करवाने में असमर्थता के बारे में जानकारी मिली थी।
कुल मिलाकर लगता है कि देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की सरकार और संगठन में सब कुछ ठीक नहीं है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले वहां की सियासत एकाएक गरमा गई है और ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार और संगठन में कुछ चेहरों की अदलाबदली हो सकती है। इसी कवायद को पूरा करने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने आज लखनऊ में डेरा डाल दिया है और वे मंत्रियों से अलग-अलग मुलाकात कर उनका मन टटोलने में जुटे हैं।
दरअसल, बीजेपी चाहती है कि चुनाव से पहले प्रदेश में पार्टी का अध्यक्ष बदला जाए। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को इस पद पर लाया जाए और नौकरशाह रह चुके एके शर्मा को उप मुख्यमंत्री बना दिया जाये। लेकिन संघ परिवार को करीब से समझने वाले जानते हैं कि उत्तर भारत की राजनीति में हिंदुत्व के प्रबल चेहरे की पहचान बना चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद अब उस मुकाम तक पहुंच चुका है, जहां उनकी मर्जी के बगैर सरकार व संगठन में परिवर्तन की कल्पना ही मुश्किल है। ऐसे में बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या योगी आदित्यनाथ संगठन के इस फार्मूले को मानेंगे? कोरोना से निपटने की रणनीति से लेकर हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन को लेकर योगी और मौर्य के बीच बढ़ती खटास से सब वाकिफ हैं। ऐसे में क्या योगी इसके लिए तैयार होंगे। क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष बन जाने के बाद वे मौर्य की बातों को मानने से इनकार नहीं कर सकते।
यह पहली बार है जब बीजेपी राष्ट्रीय संगठन के नेता ने उप्र में संगठन के पदाधिकारियों और सरकार के मंत्रियों से अलग-अलग मुलाकात कर सूबे की जमीनी हालात का जायजा लिया हो। इससे पहले मुख्यमंत्री की मौजूदगी में सामूहिक बैठकें होती थीं, लेकिन इस बार संगठन और सरकार के मंत्रियों के साथ सीधे आमने-सामने बैठकर फीडबैक लिया जा रहा है। यही वजह है कि इस बात की आशंकाओं को और बल मिलने लगा है कि क्या यूपी में किसी तरह का कोई बड़ा फेरबदल किया जाएगा।
बीएल संतोष मंगलवार को सबसे पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलेंगे। केशव मौर्य के बाद वो दूसरे डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा के साथ मुलाकात करेंगे। इसके बाद संगठन मंत्री प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, सतीश महाना और फिर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से अलग-अलग बैठक करेंगे। वहीं, आखिर में बीएल संतोष राज्य मंत्रियों और स्वतंत्र प्रभार के मंत्रियों से मुलाकात करेंगे। एक मंत्री के साथ 20 से 25 मिनट बैठक का समय निर्धारित किया गया है। यही नहीं बीएल संतोष, बीजेपी संगठन और योगी सरकार के मंत्रियों के साथ ही नहीं बल्कि आरएसएस के साथ भी बैठकें कर फीडबैक ले रहे हैं। इससे पहले सोमवार को लखनऊ पहुंचते ही, बीएल संतोष ने बीजेपी दफ्तर में हाईलेवल मीटिंग ली। इसके बाद बीएल संतोष सबसे पहले मंत्री बृजेश पाठक, महेंद्र सिंह और दारा सिंह चौहान से मिले। उसके बाद मंत्री सुरेश खन्ना व जय प्रताप सिंह से मिले। मंत्री सुरेश खन्ना और जय प्रताप सिंह से काफी देर अलग-अलग बैठक हुई, जिसमें तमाम मुद्दों पर बात हुई। साथ ही उन्होंने स्वाति सिंह और अंत में सतीश द्विवेदी से भी मुलाकात की। इस तरह बीएल संतोष और राधा मोहन सिंह ने सोमवार को प्रदेश सरकार के सात मंत्रियों से मुलाकात की थी।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव का राज्य में दौरा (फीडबैक लेने का कार्यक्रम) ऐसे समय में हो रहा है जब कोरोना के दूसरी लहर से निपटने को लेकर राज्य सरकार पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्य के कई मंत्री विधायकों ने नेतृत्व के बारे में सार्वजनिक रूप से बयान दिए हैं। साथ ही हाल में पंचायत चुनावों में भी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है। वह भी तब, जब पंचायत चुनाव को राज्य में 2022 विधानसभा का सेमीफाइनल माना जा रहा था। सूत्रों के अनुसार, बैठक में भी इसी सब पर विमर्श हुआ कि बीजेपी कार्यकर्ता किस तरह से काम कर रहे हैं और उनमें नाराजगी तो नहीं है। मंत्री अपने साथ कामकाज का ब्यौरा लेकर पहुंचे थे जिसे उन्होंने साझा किया। सरकार की तरफ से कार्यकर्ताओं की उपेक्षा व संगठन के असहयोग से कार्यकर्ताओं में असंतोष और नाराजगी है। यूपी में विधानसभा का चुनाव करीब होने से पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी पार्टी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है।
सोमवार को देर रात मुख्यमंत्री आवास पर करीब डेढ़ घंटे बैठक चली, जिसमें योगी आदित्यनाथ सहित राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डा। दिनेश शर्मा व सुनील बंसल भी उपस्थित थे। इस बैठक में पंचायत चुनाव और अन्य राजनीतिक गतिविधियों पर भी चर्चा की गई। साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए व्यापक कार्ययोजना बनाने पर भी जोर दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संतोष ने नेताओं से विभिन्न विभागों के कामकाज, कोविड के दौरान किए गए कार्यों, समस्याग्रस्त मुद्दों और पार्टी को जनता तक पहुंचने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी। उन्हें कथित तौर पर भाजपा और सरकार के बीच समन्वय की कमी के साथ-साथ पार्टी के नेताओं की नौकरशाही से काम करवाने में असमर्थता के बारे में जानकारी मिली थी।
कुल मिलाकर लगता है कि देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की सरकार और संगठन में सब कुछ ठीक नहीं है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले वहां की सियासत एकाएक गरमा गई है और ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार और संगठन में कुछ चेहरों की अदलाबदली हो सकती है। इसी कवायद को पूरा करने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने आज लखनऊ में डेरा डाल दिया है और वे मंत्रियों से अलग-अलग मुलाकात कर उनका मन टटोलने में जुटे हैं।
दरअसल, बीजेपी चाहती है कि चुनाव से पहले प्रदेश में पार्टी का अध्यक्ष बदला जाए। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को इस पद पर लाया जाए और नौकरशाह रह चुके एके शर्मा को उप मुख्यमंत्री बना दिया जाये। लेकिन संघ परिवार को करीब से समझने वाले जानते हैं कि उत्तर भारत की राजनीति में हिंदुत्व के प्रबल चेहरे की पहचान बना चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद अब उस मुकाम तक पहुंच चुका है, जहां उनकी मर्जी के बगैर सरकार व संगठन में परिवर्तन की कल्पना ही मुश्किल है। ऐसे में बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या योगी आदित्यनाथ संगठन के इस फार्मूले को मानेंगे? कोरोना से निपटने की रणनीति से लेकर हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन को लेकर योगी और मौर्य के बीच बढ़ती खटास से सब वाकिफ हैं। ऐसे में क्या योगी इसके लिए तैयार होंगे। क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष बन जाने के बाद वे मौर्य की बातों को मानने से इनकार नहीं कर सकते।