देश के केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने एक बार फिर नया बेतुका बयान दे डाला है। आईआईटी बॉम्बे के 57वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि चरक ऋषि ने अणु और परमाणु की खोज की और उन्होंने ही इस विचार को आगे बढ़ाया।

निशंक ने कहा कि हमने ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में हमेशा दुनिया का नेतृत्व किया है। हमारे वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने दुनिया को शून्य दिया। क्या हम भूल जाएंगे भास्कराचार्य जी ने दश्मलव का मायने पूरी दुनिया को समझाया। गणित की बुनियाद रखने वाले को दुनिया कैसे भूल सकती है? क्या हम सुश्रुत को भूल जाएंगे, जिन्होंने शल्य चिकित्सा की खोज की।
उन्होंने आगे कहा कि क्या चरक ऋषि को हम भूल जाएंगे जिन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की खोज की। आज बिना आयुर्वेद के चिकित्सा अधूरी है। चरक ऋषि ने अणु और परमाणु की खोज की। चरक ऋषि ने ही अणु-परमाणु के विचार को आगे बढ़ाया। योग को पूरी दुनिया ने स्वीकार किया।
अपने संबोधन में निशंक ने पूछा कि हमने अपनी चीज़ों को आगे क्यों नहीं बढ़ाया? उन्होंने कहा कि जब दुनिया में कुछ भी नहीं था तब हमारे पास तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कृति का जुड़ना बहुत ही ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि बिना संस्कृति के शिक्षा अपने उद्देश्य तक नहीं पहुंच पाती। पूरी दुनिया ने हमसे सीखा है।
केंद्रीय मान संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि जब दुनिया में कुछ भी नहीं था तो हमारा गौरव पराकाष्ठा पर था। तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय थे। पूरी दुनिया के लोग हमारे यहां ज्ञान के लिए आते थे। आज उसी विश्व गुरु को जानने-पहचानने, मानने और बढ़ाने की ज़रूरत है। बता दें कि साइंटिफिक तौर पर ब्रिटिश केमिस्ट जॉन डॉल्टन ने साल 1803 में परमाणु की खोज की थी।
यह पहला मौका नहीं है जब रमेश पोखरियाल निशंक ने विवादित बयान दिया हो। इससे पहले उन्होने साइंस और ज्योतिषी को लेकर बयान दिया था। बयान में उन्होंने साइंस को ज्योतिषी के सामने बौना बताया था।

निशंक ने कहा कि हमने ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में हमेशा दुनिया का नेतृत्व किया है। हमारे वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने दुनिया को शून्य दिया। क्या हम भूल जाएंगे भास्कराचार्य जी ने दश्मलव का मायने पूरी दुनिया को समझाया। गणित की बुनियाद रखने वाले को दुनिया कैसे भूल सकती है? क्या हम सुश्रुत को भूल जाएंगे, जिन्होंने शल्य चिकित्सा की खोज की।
उन्होंने आगे कहा कि क्या चरक ऋषि को हम भूल जाएंगे जिन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की खोज की। आज बिना आयुर्वेद के चिकित्सा अधूरी है। चरक ऋषि ने अणु और परमाणु की खोज की। चरक ऋषि ने ही अणु-परमाणु के विचार को आगे बढ़ाया। योग को पूरी दुनिया ने स्वीकार किया।
अपने संबोधन में निशंक ने पूछा कि हमने अपनी चीज़ों को आगे क्यों नहीं बढ़ाया? उन्होंने कहा कि जब दुनिया में कुछ भी नहीं था तब हमारे पास तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कृति का जुड़ना बहुत ही ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि बिना संस्कृति के शिक्षा अपने उद्देश्य तक नहीं पहुंच पाती। पूरी दुनिया ने हमसे सीखा है।
केंद्रीय मान संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि जब दुनिया में कुछ भी नहीं था तो हमारा गौरव पराकाष्ठा पर था। तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय थे। पूरी दुनिया के लोग हमारे यहां ज्ञान के लिए आते थे। आज उसी विश्व गुरु को जानने-पहचानने, मानने और बढ़ाने की ज़रूरत है। बता दें कि साइंटिफिक तौर पर ब्रिटिश केमिस्ट जॉन डॉल्टन ने साल 1803 में परमाणु की खोज की थी।
यह पहला मौका नहीं है जब रमेश पोखरियाल निशंक ने विवादित बयान दिया हो। इससे पहले उन्होने साइंस और ज्योतिषी को लेकर बयान दिया था। बयान में उन्होंने साइंस को ज्योतिषी के सामने बौना बताया था।