Women and Child development minister यानी मेनका गांधी की नींद टूट गई. कल रात राहुल गांधी के इंडिया गेट कैंडल मार्च में लोगों का गुस्सा देखकर आज उनको होश आया. अब तक मेनका गांधी मंगल ग्रह पर थीं, आज धरती पर लौटीं.
तो मंगल ग्रह से धरती पर लौटने के बाद बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि वह कठुआ में 8 साल की बच्ची से रेप को लेकर "deeply deeply disturbed" हैं यानी बहुत ज्यादा परेशान हैं. अब वो सोच रही हैं कि बच्चों से रेप के मामलों के कानून यानी POCSO में संशोधन हो और बलात्कारियों को मौत की सजा मिले.
देश मंत्री मेनका गांधी के प्रति कृतज्ञ है कि राजनिवास में उनको जनता की सुध आई. लेकिन मेनका जी, सिर्फ बच्चों से रेप के मामलों में क्यो ? बाकी के रेप मामलों में मौत की सजा का प्रावधान क्यों नहीं करना चाहतीं आप ??!! देश को ये जानकर कुछ चैन आया कि मेनका जी को जानवरों के हितों की चिंता से थोड़ी फुर्सत मिल गई और देर से ही सही, उन्हें याद आया कि उनके पास बच्चों से संबंधित भारत सरकार का एक अहम विभाग है. धन्यवाद मेनका गांधी जी ! कठुआ रेप मामले में अपना मुंह खोलकर देश पर आपने बड़ी कृपा की.
और देश की नजरें एक और महिला नेता को ढूंढ रही हैं. उनका नाम सुषमा स्वराज है. वो विदेश मंत्री हैं. ट्विटर पर बहुत एक्टिव रहती हैं. ट्वीट-ट्वीट उन्हें बहुत पसंद है. हर छोटी से छोटी बात ट्वीट करके बताती हैं. लेकिन उन्नाव और कठुआ रेप मामले में उनको सांप सूंघ गया. मुंह सिल गया. जुबान बंद हो गई. उनके जूनियर विदेश राज्य मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह से बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने कठुआ मामले पर बोल दिया, पर सुषमा स्वराज अब तक खामोश हैं. एक महिला होने के बाद भी उनके अंदर की मां नहीं जागी. कल इंडिया गेट पर प्रियंका गांधी अपनी बेटी के साथ आई थीं. पर सुषमा स्वराज चुप हैं. याद करिए, ये वही सुषमा स्वराज हैं, जो निर्भया रेप मामले के बाद संसद में विपक्ष की नेता की हैसियत से खूब दहाड़ी थीं. बलात्कारियों के लिए फांसी की सजा देने की मांग की थी. खूब ताली बजी थी. लेकिन...
आज वो सत्ता में हैं. पर ना जाने कौन से बंधन में हैं कि खामोश हैं. घुप अंधेरा नहीं घुप चुप्पी. एक बच्ची से रेप हुआ, कई दिनों तक हुआ, कई लोगों ने नशे की दवा दे-देकर पल-पल उस बच्ची को मारा लेकिन सुषमा स्वराज का दिल नहीं पिघला. उनके अंदर की मां नहीं जागी. वो अब तक सोई है. शायद उन्हें इंतजार है कि विदेश में बसा कोई भारतयी ट्वीट करे कि उसे मंत्री जी की मदद चाहिए, तो वह फौरन एक्टिव हो जाएंगी. वो भी सिर्फ उन मामलों में जहां काम सीधा हो. ज्यादा पचड़ा ना हो वरना विदेश में बसे भारतीयों की समस्याएं सुनने लगीं तो पूरा अलग एनआरआई मंत्रालय बनाना पड़ जाएगा.
अच्छा है मेनका जी और सुषमा जी. आप दोनों स्त्री हैं, मंत्री हैं. मेनका जी को देर से राजधर्म याद आ गया पर सुषमा जी आपकी चुप्पी इस देश का इतिहास याद रखेगा. और काल बहुत क्रूर होता है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. यह आर्टिकल उनकी फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है.)
तो मंगल ग्रह से धरती पर लौटने के बाद बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि वह कठुआ में 8 साल की बच्ची से रेप को लेकर "deeply deeply disturbed" हैं यानी बहुत ज्यादा परेशान हैं. अब वो सोच रही हैं कि बच्चों से रेप के मामलों के कानून यानी POCSO में संशोधन हो और बलात्कारियों को मौत की सजा मिले.
देश मंत्री मेनका गांधी के प्रति कृतज्ञ है कि राजनिवास में उनको जनता की सुध आई. लेकिन मेनका जी, सिर्फ बच्चों से रेप के मामलों में क्यो ? बाकी के रेप मामलों में मौत की सजा का प्रावधान क्यों नहीं करना चाहतीं आप ??!! देश को ये जानकर कुछ चैन आया कि मेनका जी को जानवरों के हितों की चिंता से थोड़ी फुर्सत मिल गई और देर से ही सही, उन्हें याद आया कि उनके पास बच्चों से संबंधित भारत सरकार का एक अहम विभाग है. धन्यवाद मेनका गांधी जी ! कठुआ रेप मामले में अपना मुंह खोलकर देश पर आपने बड़ी कृपा की.
और देश की नजरें एक और महिला नेता को ढूंढ रही हैं. उनका नाम सुषमा स्वराज है. वो विदेश मंत्री हैं. ट्विटर पर बहुत एक्टिव रहती हैं. ट्वीट-ट्वीट उन्हें बहुत पसंद है. हर छोटी से छोटी बात ट्वीट करके बताती हैं. लेकिन उन्नाव और कठुआ रेप मामले में उनको सांप सूंघ गया. मुंह सिल गया. जुबान बंद हो गई. उनके जूनियर विदेश राज्य मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह से बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने कठुआ मामले पर बोल दिया, पर सुषमा स्वराज अब तक खामोश हैं. एक महिला होने के बाद भी उनके अंदर की मां नहीं जागी. कल इंडिया गेट पर प्रियंका गांधी अपनी बेटी के साथ आई थीं. पर सुषमा स्वराज चुप हैं. याद करिए, ये वही सुषमा स्वराज हैं, जो निर्भया रेप मामले के बाद संसद में विपक्ष की नेता की हैसियत से खूब दहाड़ी थीं. बलात्कारियों के लिए फांसी की सजा देने की मांग की थी. खूब ताली बजी थी. लेकिन...
आज वो सत्ता में हैं. पर ना जाने कौन से बंधन में हैं कि खामोश हैं. घुप अंधेरा नहीं घुप चुप्पी. एक बच्ची से रेप हुआ, कई दिनों तक हुआ, कई लोगों ने नशे की दवा दे-देकर पल-पल उस बच्ची को मारा लेकिन सुषमा स्वराज का दिल नहीं पिघला. उनके अंदर की मां नहीं जागी. वो अब तक सोई है. शायद उन्हें इंतजार है कि विदेश में बसा कोई भारतयी ट्वीट करे कि उसे मंत्री जी की मदद चाहिए, तो वह फौरन एक्टिव हो जाएंगी. वो भी सिर्फ उन मामलों में जहां काम सीधा हो. ज्यादा पचड़ा ना हो वरना विदेश में बसे भारतीयों की समस्याएं सुनने लगीं तो पूरा अलग एनआरआई मंत्रालय बनाना पड़ जाएगा.
अच्छा है मेनका जी और सुषमा जी. आप दोनों स्त्री हैं, मंत्री हैं. मेनका जी को देर से राजधर्म याद आ गया पर सुषमा जी आपकी चुप्पी इस देश का इतिहास याद रखेगा. और काल बहुत क्रूर होता है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. यह आर्टिकल उनकी फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है.)