यूपी: बरेली में गांव ढहाकर बनायी जा रही स्मार्ट सिटी

Written by Shubham Srivastava | Published on: March 27, 2023
चार गांव के 465 मकानों को बुलडोजर से ध्वस्त किया जा चुका है। सैकड़ों मकानों पर भी चल सकता है बुलडोजर। तोड़े गए घरों में दलितों और मुस्लिम समुदाय के लोगों के ज्यादातर घर शामिल। कार्रवाई में लगभग 21000 लोगों की आबादी प्रभावित होने की आशंका।



उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 250 किमी दूर बरेली जिले में पहुंची द मूकनायक की टीम ने यहां के चार गांवों में सैकड़ों घरों पर चल चुके बुलडोजर कार्रवाई की मौजूदा स्थितियों का पता लगाया। यहां के ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि बरेली विकास प्राधिकरण (Bareilly Development Authority) ने स्मार्ट सिटी (Smart City) के नाम पर हमारे गांव को उजाड़ दिया है और वर्तमान में भी उजाड़ रहे हैं। इससे लगभग 21000 लोगों की आबादी प्रभावित हो रही है। जबकि, बरेली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष जोगेंद्र सिंह का कहना है कार्यवाही लगातार चलती रहेगी।

बरेली शहर से करीब 4 किमी दूर बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा स्मार्ट सिटी का निर्माण किया जा रहा है, जिससे वर्तमान समय में 4 गांव — चंदपुर, विचपुरी, ढोहरिया और रामगंगा — के लोग अत्याधिक प्रभावित हैं। बिचपुरी गांव में लोगों के मकान तोड़ने से कई लोगों की अटैक आने से जान तक चली गई। इन गावों के करीब 465 मकान तोड़ दिए गए हैं। गांवों में तोड़े गए मकान अधिकतर दलित और मुस्लिम समुदाय के हैं।

द मूकनायक की टीम ने बरेली के चंदपुर, बिचपुरी, ढोहरियां, रामगंगा नगर के ग्रामीणों से बात कर उनकी मौजूदा स्थितियों को जानने की कोशिश की। ग्राम चंदपुर में दलित और मुस्लिम समुदाय की आबादी अधिक है। चंदपुर में करीब 600 मकान हैं, जिसमें 80 मकान ध्वस्त कर दिए गए और अभी करीब 60 घर और ध्वस्त हो सकते हैं।

ग्राम ढोहरियां में अभी तक कुल 12 मकान ध्वस्त हो चुके हैं। इस गांव के लोगों को डर है कि करीब 200 मकान और तोड़े जा सकते हैं। वर्तमान समय में गांव में करीब 500 घर हैं। ग्राम मानपुर उर्फ रामगंगा में करीब 300 मकान हैं जिसमे 8 मकान तोड़ दिए गए हैं। ग्रामवासियों के मुताबिक अभी करीब 12 मकान और तोड़े जाएंगे। ग्राम बिचपुरी में लगभग 365 मकान तोड़े जा चुके हैं, और 250 मकान अभी और ध्वस्त किए जा सकते हैं। इन सभी गांवों में लगभग 21000 लोगों की आबादी निवास करती है।

इस बुलडोजर कार्रवाई पर मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी लिखते हैं:

एक तरफ़ मग़रूर सियासत के ज़ालिम बुल्डोज़र हैं, और इधर देखिए ग़रीबों के सहमे-सहमें छप्पर हैं।
ज़ालिम को ज़ालिम कहने की ज़ुर्रत कैसे तोड़ोगे, छत तोड़ोगे लेकिन मेरी हिम्मत कैसे तोड़ोगे?

ग्राम चंदपुर बिचपुरी के रहने वाले अली मोहम्मद ने द मूकनायक को बताया, "हमारे परिवार में कुल 10 सदस्य रहते हैं। हमारा मकान सरकारी योजना के तहत करीब 7 साल पहले बना था। अब BDA वालों ने तोड़ दिया। अब हम लोग किराए पर रहते हैं। किराए के एक कमरे में रहने में परेशानी होती है। इसलिए हम कुछ लोग अपनी इस झोपड़ी में रहते हैं। जब मैंने मकान तोड़ने का कारण पूछा तो बताया गया कि कुछ नहीं होगा। मेरे साथ पुलिस ने मारपीट की और अधिकारियों ने मेरी कोई बात नही सुनी। मेरा मकान पहले से बना हुआ था। मैं अपने जन्म से यही रहता हूं। मेरी उम्र 48 वर्ष की है। BDA ने मुझे 2 जुलाई 2022 को नोटिस दिया था। जिसके बाद में मेरा मकान फरवरी के महीने में तोड़ दिया है।”

चंदपुर बिचपुरी गांव निवासी बिलासो देवी(70) बताती हैं, “मेरा परिवार इस गांव का रहने वाला नहीं है। 2012 में मैंने यहां पर जमीन खरीद कर मकान बनवाया था। अब सुनने में आया है कि मेरा मकान तोड़ दिया जाएगा। हालांकि मेरे पास BDA की तरफ से कोई नोटिस नहीं आया है। मेरी उम्र 70 वर्ष की है, मेरा बेटा खुद ही अपना मकान तोड़ रहा है। कैसे अपना घर बनाया था। आज हम खुद ही अपना मकान तोड़ रहे हैं, केवल इसलिए क्योंकि BDA वाले आएंगे तो वह तोड़ देंगे तो मलवा भी बेकार हो जाएगा। खुद तोड़ने से कुछ ईंटे निकाल लेंगे तो वह बिक जाएंगी। BDA की तरफ से किसी को कोई भी नोटिस नहीं दिया गया है। मैं इस वक्त बीमार रहती हूं।”

ग्राम चंदपुर बिचपुरी के रहने वाले नन्हे शाह बताते हैं कि हमारे यहां BDA के द्वारा पिछले 6 महीनों से मकान तोड़ने का नंबर लगाया गया है। [क्रम से मकान तोड़ा जा रहा]। “हमने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और जिला अधिकारी से रहम की मांग की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। मैने यहां पर 2002 में जगह खरीद कर मकान बनवाया था। अगर मेरा मकान टूट जाएगा तो मैं कहां रहूंगा। अचानक से BDA वाले आते हैं और मकान तोड़ने लगते हैं। किसी को कोई भी नोटिस नही दिया जाता है। हमने जिला अधिकारी कार्यालय के पास धरना भी दिया था। लखनऊ से भाजपा नेत्री सोनम चिश्ती भी हमारे धरने में शरीक होने आई थीं। लेकिन धरना में भी कोई सुनवाई नहीं हुई और पुलिस को भेज करके हम लोगों को मारपीट करके भगा दिया और धारा 144 लगा दी। प्रधानमंत्री मोदी जी कहते हैं हम गरीबों को मकान दे रहे हैं। लेकिन यहां पर तो हमारे मकान तोड़ दिए गए हैं, ”शाह ने कहा।

ग्राम बिचपुरी की रहने वाली अनीता के बेटे की शादी मात्र दो महीने पहले हुई थी। जिसके बाद उनका मकान टूट गया और बेटे की सांस थम गई, अब घर में विधवा बहू के सिवा कोई नही बचा।फोटो- शुभम श्रीवास्तव

‘VC बोला तुम लोग कीड़े मकोड़े हो।।।कहीं भी जाओ’
बिचपुरी गांव की रहने वाली अनीता बताती हैं कि हमारे गांव में करीब 365 मकान तोड़े जा चुके हैं और बचे हुए टूटना बाकी हैं। हमने वर्ष 2010 के आस-पास अपनी जमीन खरीदी थी। जिसके बाद में अपना घर बनवाया था। “अब मेरा घर टूट गया है। हमने VC से कहा आप मेरा घर ले रहे हो हम गांव वालो को कोई जगह दे दो जिसमें हम लोग झोपड़ी डाल करके रह लेंगे। लेकिन VC बोला ‘तुम लोग कीड़े मकोड़े हो हम खाली करवा लेंगे।’ ये कहते हुए हमारे मकान तोड़ दिए। हमारे गांव में मकान टूटने से 12 लोगों की मौत भी हो चुकी है। एक लड़का अमित है उसकी शादी के दो महीने ही बीते थे। उसका मकान तोड़ दिया गया,जिससे उसको अटैक पड़ा और वह मर गया। अब घर में उसकी मां और एक जवान विधवा बहू बची है। अब ये लोग [प्रशासन] हमारी जमीन हम से ही छीन करके हमको ही ऊंचे दामों में बेच रहे हैं। कह रहे हैं लेना है तो खरीद लो अन्यथा यहां से भाग दिए जवोगे, कहीं भी जाओ हमें कोई मतलब नहीं है, ”अनीता मन मसोस कर कहती है।

हालांकि, इस बुलडोजर कार्रवाई पर गांव के कुछ लोगों ने उच्च न्यायालय का रुख किया है। पीड़ितों को न्यायालय से आश है कि जल्द ही BDA के आदेश पर रोक लगा दी जाएगी। ढोहरिया के रहने वाले पूर्व प्रधान इंद्रपाल सिंह ने बताया, “हमारा मकान पूर्व से यहां पर बना हुआ है। तहसील की रिपोर्ट में लेखपाल ने बताया है मेरा पूर्व से मकान बना हुआ है। लेकिन अब तोड़ दिया गया है। अधिकारियों की इस तानाशाह रवैया के खिलाफ हम लोग उच्च न्यायालय की शरण में गए हुए हैं।”

न होगा गरीब, न रहेगी गरीबी
ग्राम बिचपुरी के रहने वाले सतीश पाठक बताते हैं कि हम लोग अपने-अपने मकान को बचाने के लिए लखनऊ तक के कई चक्कर काट चुके हैं। वहां पर हम लोग डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से मिले। हम सभी लोग उनको रजिस्ट्रियों की कापी देकर के आए और उन्होंने कह दिया कि हम देखते हैं,इसके बाद में हमारे घर BDA के द्वारा तोड़ दिया गया। “अब हम लोग कहां जाए जब मकान तोड़े गए उस समय नवंबर महीने की 13 तारीख थी। हम लोग अस्थाई रूप से BDA के द्वारा बनवाए गए फ्लैट में रहने लगे। अब हम लोगों से वह फ्लैट भी खाली करवाए जा रहे हैं। फ्लैटों में पानी की सप्लाई बाधित कर दी गई है। सरकार का गरीबी मिटाने का ये तरीका अच्छा लग रहा है,” सतीश ने कहा, “जब गरीब होगा ही नहीं तो गरीबी भी मिट जाएगी। कम से कम सरकार हमें रहने की जगह तो दे दे। हम लोग झोपड़ी बना कर रह लेंगे। गांव में करीब 10 से 15 लोग मर चुके हैं। मैंने अपना घर वर्ष 2010 के आस-पास बनवाया था तब BDA के द्वारा किसी भी बात का विरोध नहीं किया गया था। न ही कोई बोर्ड इत्यादि लगवाया था जिससे मुझे पता चल सके ये जमीन BDA की है।”

सीएम के आदेशों की उड़ी धज्जियां
बरेली के रहने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता आर डी कश्यप बताते है,"नियमानुसार आपको किसी मकान को ध्वस्त करने से पहले आपको तीन बार नोटिस देना होता है। लेकिन इन गांव के लोगों को कोई भी नोटिस नहीं दिया गया। ये सरासर कानून का उल्लंघन है। अभी सीएम योगी ने कहा था किसी भी गरीब का घर नहीं तोड़ा जाएगा अगर टूटता भी है तो उसके रहने की पहले उनकी व्यवस्था होगी जिसके बाद में तोड़ा जाएगा। अब लग रहा है कि अधिकारी भी इस बात को नही मान रहे हैं। बिचपुरी, चंदपुर, रामनगर गौटिया, ढोहरिया के लोगों की बात को अधिकारियों को सुनना चाहिए।”

“गांव वाले अगर BDA की जमीन में अपना घर बनाए हुए हैं तो वह गलत है। जिस तरीके से BDA घरों को तोड़ रहा है वह भी गलत है। लेकिन मानवीय संवेदना के आधार पर BDA को गांव वालो के रहने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करवानी चाहिए इसके लिए मैं BDA के अधिकारियो से बात करूंगा, ”बिथरी चैनपुर विधान सभा के विधायक राघवेंद्र शर्मा ने द मूकनायक को बताया।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने बताते हैं, 2013 के नियम के अनुसार BDA को एक के बाद तीन नोटिस जारी करने चाहिए और ग्रामीणों के रहने की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए जिसके बाद में मकान तोड़ सकते हैं। सरकार और अधिकारियों को कानून के दायरे में काम करना चाहिए। कानून सभी के लिए एक है। समाजवादी पार्टी लगातार बुलडोजर तंत्र के खिलाफ रही है। लेकिन किसी गरीब को बुलडोजर का भय दिखाना और बुलडोजर चलाना ये कतई सही नहीं है।

भीम आर्मी के मंडल अध्यक्ष विकाश बाबू द मूकनायक को बताते हैं कि “हम लोग लगातार गांव वालों के बीच में जाकर पड़ताल कर रहे हैं। जो जमीन 2003-04 में BDA ने अधिग्रहित की थी। उसके बाद में काफी लोगों ने जमीन खरीद कर मकान बनाए हैं। अधिकारियों के द्वारा लगातार तानाशाह तरीके से मकान तोड़े जा रहे हैं। वह बिल्कुल गलत है। जब BDA ने जगह अधिग्रहित की थी तब पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार और प्रदेश की सरकार में मंत्री अरुण कुमार की भी यहीं पर जगह है, लेकिन उनकी चीजों को नहीं तोड़ा गया है। नेताओं और रसूखदार लोगों की जगह को छोड़ दिया गया है और गरीब और किसानों की जगह पर BDA के द्वारा तोड़ करके कब्जा किया जा रहा है। 2013-16 और 21 में जमीनों का भी BDA ने अधिग्रहण किया है। तब इन मकानों का अधिग्रहण क्यों नहीं किया। भीम आर्मी जल्द ही गरीब और किसानों के लिए धरना प्रदर्शन शुरू करने वाली है। ये धरना प्रदर्शन बरेली ही नहीं बल्कि उन सभी स्थानों पर होगा जहां पर ये समस्या आ रही होगी। भीम आर्मी लगातार गरीब मजलूम किसानों के साथ खड़ी है।”

हाल ही में उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से झोपड़ पट्टी और मकान हटाने के निर्देश दिए गए थे। जिसके बाद में पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में पहुंचा और कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के आदेश पर रोक लगा दी और सरकार के लिए तल्ख टिप्पड़ी करते हुए कहा ये लोग भी भारत के नागरिक हैं, उन्हें हटाने से पहले उनके रहने की व्यवस्था सरकार सुनिश्चित करे।

द मूकनायक की टीम ने बरेली के जिला अधिकारी शिवाकांत दिवेदी से बात की तो उन्होंने बताया इसके बारे में आपको बेहतर जानकारी बरेली विकास प्राधिकरण ही दे सकता है, यह कहते हुए वह कैमरे पर बात करने से इंकार कर दिए।

बरेली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष जोगेंद्र सिंह ने कैमरे पर बात करने से इंकार करते हुए कहा “हम लोग जो मकान तोड़ रहे हैं इनको तो हम लोगों ने वर्ष 2004 से अधिग्रहण करने का काम कर रहे हैं। हम लोगों की ये जमीन है। इसके हमारे पास पूरे कागजात हैं। हमने इतने दिन अपनी जमीन पर रह लेने दिया ये तो हमारा बड़प्पन है। जमीन BDA की है। हम तो अपनी जमीन ले रहे हैं। ये लोग कहीं भी जाए मुझे इससे कोई मतलब नहीं है। न ही इन लोगों को देने के लिए कुछ है। हम लोगों ने करीब 1500 मकानों को तोड़ा है और अभी 32 मकान और तोड़े जाएंगे। जो जमीन के मालिक थे हमने कुछ लोगों को मुआवजा भी दिया है। इन लोगों ने हमारी जमीन पर अतिक्रमण करके रखा हुआ था। जिसको हम लोगों ने हटाया है। दो दिन बाद BDA को पुलिस बल मिल जाएगा। आगे की ध्वस्तीकरण की कार्यवाही जारी रहेगी। VC ने बताया “पहले रजिस्ट्री ऐसे ही हो जाती थी। किसी अन्य जगह की रजिस्ट्री होती थी। कब्जा किसी अन्य जगह का होता था। इन लोगों को जमीन जांच पड़ताल करने के बाद लेनी चाहिए थी। इसमें कुछ लोग कोर्ट से केस हार करके भी आए हैं।”

Courtesy: themooknayak

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