केरल: 1 करोड़ लोगों से मिलेंगे किसान, श्रमिक और कृषि-मज़दूर

Written by नीलाम्बरन ए | Published on: April 1, 2023
किसान संघर्ष रैली से पहले किसानों की तीन यूनियनों ने औद्योगिक क्षेत्रों में 2,200 कार्यक्रमों का आयोजन किया और आम सभाएं कीं ताकि श्रमिकों और जनता की मांगों पर विचार किया जा सके।


सीटू-एआईकेएस-एआईएडब्ल्यूयू ने केंद्र सरकार के कार्यालयों के समक्ष रैलियां निकाली और धरना प्रदर्शन किया।

5 अप्रैल को होने वाले संसद मार्च से पहले केरल के श्रमिक, किसान और खेतिहर मजदूर पदयात्रा, वाहन जत्था यात्रा के दौरान पैम्फलेट वितरण कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी नीतियों को उजागर करने के लिए क़रीब 2000 कार्यक्रमों का आयोजन करते हुए एक करोड़ लोगों से मिलने का लक्ष्य है।

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू), केरल कृषक संघ (एआईकेएस से संबद्ध), और ऑल इंडिया एग्रीकल्चरल वर्कर्स यूनियन (एआईएडब्ल्यूयू) से संबद्ध केरल संस्थान कृषक थोझिलाली यूनियन, अपनी मांगों और केंद्र सरकार द्वारा अपनाई जा रही नीतियों को उजागर करने के लिए संयुक्त कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।

तीनो यूनियनों की संयुक्त कार्यक्रम के अलावा, सीटू से संबद्ध यूनियनें भी केंद्र सरकार के कार्यालयों पर विरोध मार्च और धरना आयोजित कर रहे हैं।

किसान संघर्ष रैली की प्रमुख मांगों में न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये, योजना कर्मियों सहित श्रमिकों को 10,000 रुपये की पेंशन, कृषि उत्पादों के लिए उचित और लाभकारी मूल्य, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण के माध्यम से 600 रुपये प्रति दिन की दैनिक मजदूरी शामिल है। इसके साथ ही, रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना और किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए एकमुश्त ऋण माफी भी उनकी मांगों में शामिल है।

'श्रम संहिता श्रमिकों के अधिकारों को नष्ट कर देगी'

सीटू ने चार श्रम संहिताओं को वापस लेने और श्रम कानूनों को लागू करने पर जोर दिया। सीटू की मांगों में न्यूनतम मजदूरी और पेंशन का आश्वासन, पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की बिक्री पर रोक और राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को वापस लेना भी शामिल है।


आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका महासंघ ने रैलियां निकालीं और केंद्र सरकार के कार्यालयों के सामने धरना दिया। (फोटो साभार: सीटू केरल)

सीटू केरल राज्य समिति के राज्य सचिव के एन. गोपीनाथ ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "5 सितंबर, 2022 को संसद मार्च के आह्वान के लिए, तीनों यूनियनों का एक संयुक्त सम्मेलन आयोजित किया गया था। किसान संघर्ष रैली के एजेंडे को आगे लाने के लिए नगर-स्तरीय सम्मेलनों का आयोजन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए की यह संदेश राज्य के हर कोने तक पहुंचे, हमने पंचायत बुलाने का फैसला किया था।”

प्रदेश में आयोजित कार्यक्रमों के दौरान राष्ट्रीय अधिवेशन द्वारा की गई घोषणा का वितरण किया गया। अभियानों में घरों का दौरा, पैदल मार्च, वाहन जत्थे, पोस्टर और सोशल मीडिया अभियान शामिल थे।

रैली की मांगों के बारे में श्रमिकों को संबोधित करने के लिए राज्य भर के औद्योगिक केंद्रों और कारखानों में लगभग 100 आम सभा बैठकें और गेट मीटिंग आयोजित की गईं। गोपीनाथ ने कहा, "राज्य भर में अब तक 2,200 अभियान कार्यक्रम पूरे हो चुके हैं। हम संसद तक रैली से एक दिन पहले 4 अप्रैल को सभी गांवों में कैंडललाइट मार्च निकालेंगे।"

'किसानों के विरोध के दौरान सरकार द्वारा किए गए वादे नहीं हुए पूरे'

भाजपा सरकार पर एआईकेएस का मुख्य आरोप ऐतिहासिक किसानों के आंदोलन के दौरान किए गए वादों को पूरा नहीं करना है।

केरल कृषक संघ के महासचिव वलसन पनोली ने न्यूज़क्लिक को बताया, "उत्पादन के लिए एमएसपी सुनिश्चित करने, किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हत्याकांड के खिलाफ कार्रवाई सहित मांगें अभी भी लंबित हैं। केंद्र सरकार ने किसानों की प्रमुख मांगों पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है।"


किसान संघर्ष रैली को लेकर चलाए जा रहे अभियान के तहत जमीनी स्तर पर पदयात्रा की गई।

भाजपा ने 2014 के चुनाव अभियान के दौरान कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एम. एस. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने का वादा किया था। एआईकेएस ने किसानों को धोखा देने के लिए भाजपा सरकार की आलोचना की है।

पनोली ने कहा, "किसानों और अन्य श्रमिकों को प्रभावित करने वाली नीतियों को उजागर करने के लिए तीनों यूनियनों ने राज्य भर के स्थानीय निकायों में संयुक्त अभियान चलाए हैं। केरल के हजारों किसान 5 अप्रैल को किसान संघर्ष रैली में शामिल होंगे।"

इन अभियानों में वाहनों का जत्था और पैदल मार्च शामिल हैं, जो राज्य में हर स्थानीय निकाय को कवर करते हुए एक करोड़ लोगों से मिलने का लक्ष्य है। केएसकेटीयू के महासचिव एन चंद्रन ने न्यूज़क्लिक को बताया, "हमने मनरेगा योजना के माध्यम से श्रमिकों के लिए दैनिक मजदूरी को बढ़ाकर 600 रुपये करने की मांग रखी है। इसके साथ ही किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए एकमुश्त ऋण माफी भी हमारी एक महत्वपूर्ण मांग है।"

Courtesy: Newsclick

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