जम्मू कश्मीर: बडगाम में कश्मीरी पंडित तहसील कर्मचारी की हत्या

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 13, 2022
बीते गुरुवार को मध्य कश्मीर के बडगाम ज़िले में चादूरा स्थित भीड़भाड़ वाले तहसील कार्यालय में घुसकर 35 वर्षीय कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट की हत्या के बाद आतंकियों ने शुक्रवार को पुलवामा में एक पुलिस कॉन्स्टेबल की उनके घर में घुसकर गोली मारकर उनकी जान ले ली। राहुल की मौत के विरोध में कश्मीरी पंडितों ने प्रदर्शन किया।



मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में बृहस्पतिवार (12 मई) को भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में स्थित एक सरकारी कार्यालय में घुसकर लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों ने एक कश्मीरी पंडित कर्मचारी की गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना की विभिन्न कर्मचारी संगठनों और राजनीतिक दलों ने निंदा की है।

हत्या के विरोध में कश्मीरी पंडितों के साथ स्थानीय लोगों ने बृहस्पतिवार के अलावा आज शुक्रवार को भी प्रदर्शन किया। घटना को लेकर विरोध जताते हुए श्रीनगर हवाई अड्डे की ओर बढ़ रहे कश्मीरी पंडितों को तितर-बितर करने के लिए शुक्रवार को लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। कश्मीरी पंडित उनके जीवन की रक्षा करने में सरकार के ‘‘नाकाम’’ रहने के खिलाफ बृहस्पतिवार से प्रदर्शन कर रहे हैं।
 
इस बीच, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि उन्हें उनके घर में नजरबंद रखा गया, ताकि वह प्रदर्शनकारी कश्मीरी पंडितों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए बडगाम नहीं जा पाएं।



35 वर्षीय राहुल भट चादूरा के तहसील कार्यालय में प्रवासी कश्मीरी पंडितों के रोजगार के लिए दिए गए विशेष पैकेज के तहत राजस्व विभाग के कर्मचारी के रूप में तैनात थे और गोली लगने के बाद उन्हें तुरंत श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।

अधिकारियों ने बताया कि शाम करीब 04 बजकर 30 मिनट पर कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादी तहसील कार्यालय में दाखिल हुए और भट को गोली मार दी। उस समय कार्यालय कर्मचारियों से भरा हुआ था।

उन्होंने कहा कि भट बडगाम के शेखपुरा स्थित प्रवासी कॉलोनी में रहते थे और आठ साल से सरकारी सेवा में थे। उनके परिवार में पत्नी, पांच साल की बेटी और माता-पिता हैं। उनके पिता पुलिस अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हैं।

भट के पिता बिट्टा भट ने कहा, ‘अगर किसी व्यक्ति को उसके कार्यालय के अंदर गोली मार दी जाती है, तो कश्मीर घाटी में कोई भी सुरक्षित नहीं है… जब ऐसा हुआ है तो यह सरकार की विफलता का एक ज्वलंत उदाहरण है।’

उन्होंने हत्या में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए जांच की मांग की।

बिट्टा भट ने जम्मू के बाहरी इलाके में दुर्गानगर स्थित अपने आवास पर कहा, ‘उसका (उनके बेटे का) शव तुरंत वापस किया जाना चाहिए और इस हत्या में शामिल अपराधियों की पहचान करने के लिए जांच के आदेश दिए जाएं।’

इस घटना के बाद भट के आवास पर शोक जताने वालों का तांता लग गया। कश्मीरी पंडितों ने विरोध करना शुरू किया तो उन्हें रोकने के लिए पुलिस बल ने आंसू गैस का सहारा लिया। राजनीतिक हलकों में इसे लेकर भी गहमा गहमी का माहौल है। 

भट गत सात महीने में दूसरे कश्मीरी पंडित हैं, जिनकी हत्या आतंकवादियों द्वारा की गई है। इससे पहले प्रमुख दवा कारोबारी माखन लाल बिंद्रु की छह अक्टूबर 2021 को आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

अगस्त 2019 से लेकर मार्च 2022 के बीच जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों सहित कुल 14 अल्पसंख्यक हिंदुओं की हत्या आतंकवादियों द्वारा की गई है।

आतंकवादियों द्वारा जिन लोगों को निशाना बनाया गया है, उनमें कश्मीर के विभिन्न हिस्सों के प्रमुख कारोबारी, सरपंच और ब्लॉक विकास परिषद के सदस्य शामिल हैं।

गौरतलब है कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के बाद से कश्मीर में गैर-मुस्लिमों और बाहर से आए लोगों पर हमले बढ़े हैं।

भट की हत्या पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा, ‘यह दुखद घटना है लेकिन मैं आश्वस्त करता हूं कि हमने हत्यारों की पहचान कर ली है। इनमें से एक श्रीनगर में पूर्व में हुई हत्या में भी शामिल था, जबकि दूसरा आतंकी नया भर्ती है।’

कम ज्ञात संगठन कश्मीर टाइगर्स ने भट की हत्या की जिम्मेदारी ली है, लेकिन पुलिस प्रमुख का कहना है कि इसके पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है।

भट की हत्या की खबर फैलते ही शेखपुरा कॉलोनी में रह रहे प्रवासी कश्मीरी पंडितों ने प्रदर्शन किया। कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार कॉलोनी पहुंचे और लोगों को समझाने की कोशिश की। दक्षिण कश्मीर के मट्टल और वेसू में कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने भी हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

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