कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए 19 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की। इस सूची में जम्मू-कश्मीर के पूर्व सांसद और मंत्री लाल सिंह का नाम भी शामिल है। लाल सिंह के राजनीतिक सफर के कारण कांग्रेस के इस फैसले की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हो रही है।
साभार : द मूक नायक
जम्मू-कश्मीर के पूर्व वन, पर्यावरण, पारिस्थितिकी मंत्री और सांसद रहे चौधरी लाल सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है। हाल ही में, कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए लाल सिंह को उम्मीदवार बनाया है। इसके चलते सोशल मीडिया पर कांग्रेस की तीखी आलोचना हो रही है, क्योंकि लाल सिंह पर कठुआ में गैंगरेप के आरोपियों के समर्थन में तिरंगा यात्रा का नेतृत्व करने का आरोप है। इसी के चलते कांग्रेस को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। लोग कह रहे हैं कि सड़क से लेकर संसद तक संविधान की बात करने वाली पार्टी ने लाल सिंह को कैसे टिकट दे दिया।
पत्रकार अभिसार शर्मा ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा: “ऐसे में कांग्रेस और भाजपा में अंतर क्या है? मासूम के बलात्कारियों और हत्यारों के पक्ष में रैली निकालने वाले बीजेपी नेताओं को न सिर्फ पनाह बल्कि टिकट भी? क्या 8 साल की मासूम की इज्ज़त के यही मायने हैं @priyankagandhi @RahulGandhi @kharge? शर्मनाक!”
कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए 19 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की। इस सूची में जम्मू-कश्मीर के पूर्व सांसद और मंत्री लाल सिंह का नाम भी शामिल है। लाल सिंह के राजनीतिक सफर के कारण कांग्रेस के इस फैसले की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हो रही है।
अन्य उम्मीदवारों में जम्मू दक्षिण से रमन भल्ला, जो पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, शामिल हैं।
बसोहली सीट से चुनाव लड़ने जा रहे लाल सिंह ने कठुआ बलात्कार मामले के आरोपियों के समर्थन में एक रैली का नेतृत्व किया था। उस समय वह भाजपा नेता और जम्मू-कश्मीर में वन मंत्री थे। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया था।
देश को झकझोर देने वाला कठुआ मामला जम्मू-कश्मीर के कठुआ की 8 वर्षीय मुस्लिम लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार का एक क्रूर मामला था। इसके तुरंत बाद, पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। हालांकि, लाल सिंह और कुछ अन्य लोगों ने आरोपी के पक्ष में तिरंगा रैली का नेतृत्व किया और उसका खुलकर समर्थन किया। इससे जनता में भारी आक्रोश फैल गया और अंततः उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए वह सीबीआई जांच की अपनी मांग पर अड़े रहे और इस मांग के लिए बड़ी-बड़ी रैलियां निकालीं। इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी, डोगरा स्वाभिमान संगठन, की स्थापना की।
लाल सिंह की उम्मीदवारी को लेकर गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) जैसे विपक्षी दलों ने आलोचना की है। उनका कहना है कि कठुआ में 8 वर्षीय आसिफा के बलात्कारियों का समर्थन करने वाले लाल सिंह का कांग्रेस में स्वागत राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए बेहद शर्मनाक है। लाल सिंह अपने इलाके के महत्वपूर्ण नेता माने जाते हैं।
लाल सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की और 1996 में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में बसोहली निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए। उन्होंने डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी की स्थापना की। वे 2002 में फिर से चुने गए और 2004 में 14वें लोकसभा चुनाव में उधमपुर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए।
साभार : द मूक नायक
जम्मू-कश्मीर के पूर्व वन, पर्यावरण, पारिस्थितिकी मंत्री और सांसद रहे चौधरी लाल सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है। हाल ही में, कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए लाल सिंह को उम्मीदवार बनाया है। इसके चलते सोशल मीडिया पर कांग्रेस की तीखी आलोचना हो रही है, क्योंकि लाल सिंह पर कठुआ में गैंगरेप के आरोपियों के समर्थन में तिरंगा यात्रा का नेतृत्व करने का आरोप है। इसी के चलते कांग्रेस को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। लोग कह रहे हैं कि सड़क से लेकर संसद तक संविधान की बात करने वाली पार्टी ने लाल सिंह को कैसे टिकट दे दिया।
पत्रकार अभिसार शर्मा ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा: “ऐसे में कांग्रेस और भाजपा में अंतर क्या है? मासूम के बलात्कारियों और हत्यारों के पक्ष में रैली निकालने वाले बीजेपी नेताओं को न सिर्फ पनाह बल्कि टिकट भी? क्या 8 साल की मासूम की इज्ज़त के यही मायने हैं @priyankagandhi @RahulGandhi @kharge? शर्मनाक!”
कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए 19 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की। इस सूची में जम्मू-कश्मीर के पूर्व सांसद और मंत्री लाल सिंह का नाम भी शामिल है। लाल सिंह के राजनीतिक सफर के कारण कांग्रेस के इस फैसले की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हो रही है।
अन्य उम्मीदवारों में जम्मू दक्षिण से रमन भल्ला, जो पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, शामिल हैं।
बसोहली सीट से चुनाव लड़ने जा रहे लाल सिंह ने कठुआ बलात्कार मामले के आरोपियों के समर्थन में एक रैली का नेतृत्व किया था। उस समय वह भाजपा नेता और जम्मू-कश्मीर में वन मंत्री थे। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया था।
देश को झकझोर देने वाला कठुआ मामला जम्मू-कश्मीर के कठुआ की 8 वर्षीय मुस्लिम लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार का एक क्रूर मामला था। इसके तुरंत बाद, पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। हालांकि, लाल सिंह और कुछ अन्य लोगों ने आरोपी के पक्ष में तिरंगा रैली का नेतृत्व किया और उसका खुलकर समर्थन किया। इससे जनता में भारी आक्रोश फैल गया और अंततः उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए वह सीबीआई जांच की अपनी मांग पर अड़े रहे और इस मांग के लिए बड़ी-बड़ी रैलियां निकालीं। इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी, डोगरा स्वाभिमान संगठन, की स्थापना की।
लाल सिंह की उम्मीदवारी को लेकर गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) जैसे विपक्षी दलों ने आलोचना की है। उनका कहना है कि कठुआ में 8 वर्षीय आसिफा के बलात्कारियों का समर्थन करने वाले लाल सिंह का कांग्रेस में स्वागत राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए बेहद शर्मनाक है। लाल सिंह अपने इलाके के महत्वपूर्ण नेता माने जाते हैं।
लाल सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की और 1996 में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में बसोहली निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए। उन्होंने डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी की स्थापना की। वे 2002 में फिर से चुने गए और 2004 में 14वें लोकसभा चुनाव में उधमपुर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए।