कर्नाटक स्थित उडुपी जिले के मणिपाल में महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की वीडियो वायरल होने के बाद से सुर्खियों में है। मुस्कान नाम की लड़की उस वक्त चर्चाओं में आई थी जब वह भगवा गमछा गले में डाले जय श्री राम का नारा लगाने वाले छात्रों के सामने से अल्लाह हू अकबर का नारा लगाती नजर आई। मुस्कान इस कॉलेज में बीकॉम की छात्रा है
इस मामले का वीडियो सामने आने के बाद बीबीसी हिंदी ने मुस्कान का इंटरव्यू किया है। इस इंटर्व्यू में मुस्कान कहती है कि उसे हिजाब और बुर्के के कारण बाहर से ही जाने के लिए बोल दिया गया था। लेकिन वह बाहर वाले लोगों को इग्नोर करके अंदर आई तो करीब चालीस लड़कों के एक ग्रुप ने उसे लगभग घेरकर हूटिंग शूरू कर दी और बुर्का निकालने के लिए कहने लगे। लेकिन उसने उनकी हूटिंग का जवाब अल्लाह हू अकबर के साथ दिया।
बीबीसी के साथ इंटरव्यू में मुस्कान बताती है कि पहले तो उसे डर लग रहा था लेकिन अगले ही पल उसने उनका सामना करने का मन बनाया और डट गई। मुस्कान कहती है कि वह पढ़ाई करना चाहती है और इस मामले को हिंदू-मुस्लिम नहीं किया जाना चाहिए। उसने कहा कि उसे अदालत पर पूरा भरोसा है, कोर्ट उनकी भावनाओं का ध्यान रखेगा।
बीबीसी के साथ मुस्कान का इंटरव्यू यहां देखा जा सकता है
बता दें कि कर्नाटक में हिजाब को लेकर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हिजाब पर बैन के खिलाफ अपील करने वाली छात्राओं के वकील देवदत्त कामत ने कहा कि हिजाब पर बैन लगाने का सरकारी ऑर्डर गैर जिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा कि सरकार का आदेश संविधान के आर्टिकल 25 के खिलाफ है और यह कानूनन वैध नहीं है। आर्टिकल 25 में धार्मिक मान्यताओं के पालन की आजादी दी गई है। इसलिए हिजाब पर बैन को लेकर कानून नहीं है।
कामत ने CJI की बेंच के सामने जारी सुनवाई में सवाल उठाया कि जब सेंट्रल स्कूल में हिजाब पहनने की इजाजत है, तो राज्य सरकार के स्कूलों में क्यों नहीं? कामत ने कोर्ट को बताया कि सरकारी आदेश में कहा गया है कि हेड स्कार्फ यानी हिजाब पहनने का मुद्दा आर्टिकल 25 में कवर नहीं होता है। इसे यूनिफॉर्म में शामिल मानने या न मानने का फैसला कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी पर छोड़ा जाना चाहिए।
कामत ने कहा कि हिजाब के बारे में फैसला लेने का अधिकार कॉलेज कमेटियों को सौंपना पूरी तरह गैरकानूनी है। इधर, इस मामले के मीडिया कवरेज को लेकर कोर्ट ने कहा- हम मीडिया से रिक्वेस्ट करते हैं कि वो इस मुद्दे पर समझदारी दिखाए।
पहले दिन ही हिजाब पहनकर स्कूल पहुंचीं स्टूडेंट्स को स्टाफ ने एंट्री देने से इनकार कर दिया। इसको लेकर स्टाफ और स्टूडेंट्स के पेरेंट्स के बीच बहस भी हुई। जानकारी के मुताबिक, मांड्या के रोटरी स्कूल की टीचर ने छात्राओं को स्कूल में एंट्री करने से पहले हिजाब उतारने के लिए कहा। कुछ पेरेंट्स ने इसका विरोध किया। वहीं, कुछ लोगों का कहना था कि लड़कियों को हिजाब के साथ स्कूल में एंट्री दी जाए, वे क्लास में इसे उतार देंगी, लेकिन उन्हें स्कूल के अंदर नहीं जाने दिया गया। इसको लेकर पेरेंट्स और टीचर्स के बीच कहासुनी हो गई।
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इस मामले का वीडियो सामने आने के बाद बीबीसी हिंदी ने मुस्कान का इंटरव्यू किया है। इस इंटर्व्यू में मुस्कान कहती है कि उसे हिजाब और बुर्के के कारण बाहर से ही जाने के लिए बोल दिया गया था। लेकिन वह बाहर वाले लोगों को इग्नोर करके अंदर आई तो करीब चालीस लड़कों के एक ग्रुप ने उसे लगभग घेरकर हूटिंग शूरू कर दी और बुर्का निकालने के लिए कहने लगे। लेकिन उसने उनकी हूटिंग का जवाब अल्लाह हू अकबर के साथ दिया।
बीबीसी के साथ इंटरव्यू में मुस्कान बताती है कि पहले तो उसे डर लग रहा था लेकिन अगले ही पल उसने उनका सामना करने का मन बनाया और डट गई। मुस्कान कहती है कि वह पढ़ाई करना चाहती है और इस मामले को हिंदू-मुस्लिम नहीं किया जाना चाहिए। उसने कहा कि उसे अदालत पर पूरा भरोसा है, कोर्ट उनकी भावनाओं का ध्यान रखेगा।
बीबीसी के साथ मुस्कान का इंटरव्यू यहां देखा जा सकता है
बता दें कि कर्नाटक में हिजाब को लेकर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हिजाब पर बैन के खिलाफ अपील करने वाली छात्राओं के वकील देवदत्त कामत ने कहा कि हिजाब पर बैन लगाने का सरकारी ऑर्डर गैर जिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा कि सरकार का आदेश संविधान के आर्टिकल 25 के खिलाफ है और यह कानूनन वैध नहीं है। आर्टिकल 25 में धार्मिक मान्यताओं के पालन की आजादी दी गई है। इसलिए हिजाब पर बैन को लेकर कानून नहीं है।
कामत ने CJI की बेंच के सामने जारी सुनवाई में सवाल उठाया कि जब सेंट्रल स्कूल में हिजाब पहनने की इजाजत है, तो राज्य सरकार के स्कूलों में क्यों नहीं? कामत ने कोर्ट को बताया कि सरकारी आदेश में कहा गया है कि हेड स्कार्फ यानी हिजाब पहनने का मुद्दा आर्टिकल 25 में कवर नहीं होता है। इसे यूनिफॉर्म में शामिल मानने या न मानने का फैसला कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी पर छोड़ा जाना चाहिए।
कामत ने कहा कि हिजाब के बारे में फैसला लेने का अधिकार कॉलेज कमेटियों को सौंपना पूरी तरह गैरकानूनी है। इधर, इस मामले के मीडिया कवरेज को लेकर कोर्ट ने कहा- हम मीडिया से रिक्वेस्ट करते हैं कि वो इस मुद्दे पर समझदारी दिखाए।
पहले दिन ही हिजाब पहनकर स्कूल पहुंचीं स्टूडेंट्स को स्टाफ ने एंट्री देने से इनकार कर दिया। इसको लेकर स्टाफ और स्टूडेंट्स के पेरेंट्स के बीच बहस भी हुई। जानकारी के मुताबिक, मांड्या के रोटरी स्कूल की टीचर ने छात्राओं को स्कूल में एंट्री करने से पहले हिजाब उतारने के लिए कहा। कुछ पेरेंट्स ने इसका विरोध किया। वहीं, कुछ लोगों का कहना था कि लड़कियों को हिजाब के साथ स्कूल में एंट्री दी जाए, वे क्लास में इसे उतार देंगी, लेकिन उन्हें स्कूल के अंदर नहीं जाने दिया गया। इसको लेकर पेरेंट्स और टीचर्स के बीच कहासुनी हो गई।
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