असम NRC इफेक्ट: रिटायर्ड लेफ्टिनेंट सनाउल्लाह को घुसपैठिया बताकर डिटेंशन सेंटर भेजा

Written by sabrang india | Published on: May 30, 2019
नई दिल्ली। असम में एनआरसी के कारण लाखों लोग घुसपैठिये करार दे दिए गए हैं। लंबे समय से यहां रह रहे 40 लाख लोगों में से कई हताशा के कारण आत्महत्या कर चुके हैं। इनमें से बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो देश के लिए महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं। ऐसे ही एक नाम आया है मोहम्मद सनाउल्लाह का जो करीब दो दशक पहले कारगिल में दुश्मनों से लोहा लेने वाले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट रह चुके हैं। मोहम्मद सनाउल्लाह को अवैध घुसपैठिया बताकर उन्हें डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया है। 

मोहम्मद सनाउल्लाह को डिटेंशन सेंटर भेजने के 24 घंटे के भीतर ही उनके परिवार ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में गुहार लगाई है। मीडिया पोर्टल द हिंदू के मुताबिक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट मोहम्मद सनाउल्लाह को मंगलवार असम पुलिस बॉर्डर आर्गनाइजेशन ने पूछताछ के लिए बुलाया था और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, फॉरनर्स ट्रिब्यूनल के आर्डर पर उन्हें गिरफ्तार किया गया जिसने उन्हें गैर भारतीय नागरिक करार दिया। 52 साल के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट सनाउल्लाह बॉर्डर पुलिस यूनिट में बतौर सब इंस्पेक्टर काम करते हैं जो बाहरी लोगों को पहचानने, उन्हें पकड़ने और संदिग्ध नागरिकों और अवैध घुसपैठियों को वापस भेजने का काम करती है। राज्य पुलिस की ये यूनिट रिटायर्ड डिफेंस और पैरामिलिट्री के जवानों को अपनी यूनिट में शामिल करती है।

असम में लगभग 100 विदेशियों के न्यायाधिकरणों ने सीमा पुलिस द्वारा विदेशी घोषित लोगों के मामलों की सुनवाई की और निपटाने का काम किया है। पिछले साल बोको में एक विदेशी ट्रिब्यूनल ने श्री सनाउल्लाह को नोटिस दिया था और वह इसके सामने पांच बार पेश हुए थे। सेना और अर्धसैनिक बलों के कम से कम छह अन्य सेवानिवृत्त कर्मियों को ऐसे नोटिस दिए गए हैं।

गुवाहाटी से लगभग 60 किलोमीटर पश्चिम में बोको निवासी उसके चचेरे भाई मोहम्मद अजमल होके ने कहा, पूर्व सैनिक के साथ इस तरह का बर्ताव करने से ज्यादा दिल दहलाने वाला कुछ नहीं है। क्या यह कारगिल युद्ध में लड़ने सहित देश की रक्षा के लिए अपने जीवन के 30 साल देने के लिए उसका इनाम है? उन्होंने कहा, सनाउल्लाह ने अपने जन्म के 20 साल बाद 1987 में आर्मी ज्वाइन की थी। 2017 में आर्मी से रिटायर होने का बाद उन्होंने बॉर्ड पुलिस ज्वाइन की। उन्होंने एक जगह पर गलती से आर्मी ज्वाइन करने की अपनी तारीख 1978 लिख दी। इसी गलती के कारण उन्हें विदेशी करार दिया जा रहा है।

लेफ्टिनेंट सनाउल्ला ने पिछले संसदीय चुनाव में मतदान किया था। लेफ्टिनेंट सनाउल्लाह के परिवार के एक सदस्य ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हाई कोर्ट मोहम्मद सनाउल्लाह उन्हें न्याय देगा। रिटायर्ड सैनिक अपनी पत्नी, दो बेटियों और एक बेटे के साथ रहते हैं।

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