मो. सनाउल्लाह को MHA ने फिर से बनाया निशाना, सच छुपाने की कोशिश?

Written by sabrang india | Published on: July 4, 2019
नई दिल्ली: पिछले महीने भारतीय सेना के एक पूर्व जवान मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी करार दिए जाने पर हो हल्ला हुआ था। एक सैनिक जो कारगिल युद्ध में अपनी सेवा दे चुका है वह असम एनआरसी की चपेट में आकर एक ही झटके में विदेशी करार दे दिया गया। इतना ही नहीं सनाउल्लाह को डिटेंशन सेंटर में रखा गया लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया। इस मामले पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा में लिखित जवाब में बताया है कि सनाउल्लाह विदेशी ट्रिब्यूनल के सामने सबूत पेश करने में विफल रहे कि वह जन्म से भारतीय हैं। 

एक सवाल के जवाब में राज्यसभा में बताया गया कि सनाउल्लाह 25 मार्च, 1971 से पहले भारतीय होने व अपने माता-पिता के संबंध में न्यायाधिकरण के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहे, और यह भी स्थापित करने के लिए प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सके कि वह जन्म से भारतीय हैं। "विदेशी ट्रिब्यूनल ने पाया कि मोहम्मद सनाउल्लाह द्वारा प्रस्तुत कोई भी दस्तावेज और साक्ष्य यह साबित नहीं कर पा रहे थे कि वे जन्म से भारतीय हैं। 

"विदेशी ट्रिब्यूनल ने पाया कि मोहम्मद सनाउल्ला अपनी नागरिकता के लिए विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 9 के तहत आवश्यक दस्तावेज पेश करने में नाकाम रहे। वे अपने माता पिता के संबंध में भी साक्ष्य नहीं दे पाए कि सनाउल्लाह का जन्म भारत में ही हुआ है और उनके पेरेंट्स यहीं से थे। 

मंत्री ने कहा कि असम के कामरूप ग्रामीण जिले के बोको के निवासी सनाउल्ला की राष्ट्रीयता के बारे में विदेशी कानून के तहत एक संदर्भ स्थानीय पुलिस द्वारा बनाया गया था। संदर्भ प्राप्त होने पर, जिले के एक विदेशी न्यायाधिकरण ने सनाउल्लाह को एक नोटिस जारी किया और प्रक्रिया के अनुसार उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों और गवाहों की जांच की।

रेड्डी ने कहा, न्यायाधिकरण के निर्णय के अनुसार, सनाउल्ला को एक हिरासत शिविर में रखा गया था। गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने 7 जून, 2019 के अपने आदेश में उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है।

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