मुस्लिमों के प्रति नफरत पर टिका था कमलेश तिवारी का हिंदुत्व!

Written by sabrang india | Published on: October 22, 2019
उत्तर प्रदेश पुलिस और भारतीय मीडिया ने कमलेश तिवारी हत्याकांड की गुत्थी कुछ मुसलमान युवकों पर दोष मढ़कर चंद घंटों में ही सुलझा ली। लेकिन खुद कमलेश तिवारी का परिवार लगातार ऐसे सवाल पूछ रहा है जिसके जवाब किसी के पास नहीं हैं। सच्चाई क्या है ये तो सिर्फ़ जांच से ही पता चलेगा लेकिन पहले से ही टीवी मीडिया और सोशल मीडिया में मुसलमानों के खिलाफ नफरत फ़ैलाने का काम सुनियोजित तरीके से शुरू हो गया है। 



कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में जिस तरह से पुलिस ने साजिशकर्ता के तौर पर लोगों को गिरफ्तार किया है वह चौंकाने वाला है। पुलिस का दावा है कि गुजरात के सूरत से पकड़े गए तीन लोगों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. पकड़े गए तीन संदिग्धों के नाम मौलाना मोहसिन शेख सलीम (24), फैजान (30) और खुर्शीद अहमद पठान (30) हैं. तीनों सूरत के रहने वाले हैं. डीजीपी ने बताया कि सुराग मिलने के बाद शुक्रवार को ही छोटी-छोटी टीमें गठित की गई थी. जांच में इस मामले के तार गुजरात से जुड़े होने का संकेत मिला. बाद में लखनऊ के एसएसपी और गुजरात पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले.

2015 में पैगंबर मुहम्मद पर की थी आपत्तिजनक टिप्पणी
कमलेश तिवारी ने साल 2015 में पैगंबर मुहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जिसके बाद सहारनपुर और देवबंद विशेष रूप से उबाल पर थे, जिसके बाद सड़कों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला. राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर दिया गया और पुलिस को आक्रोश को नियंत्रित करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. यहां तक कि पुलिस और भीड़ के बीच हुई झड़प में एक पुलिस अधिकारी घायल हुआ और आक्रोश तिवारी की गिरफ्तारी के बाद ही शांत हो सका.



रासुका के तहत हुआ था मामला दर्ज
भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (धर्म के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 295-ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों के उद्देश्य से किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं व धार्मिक मान्यताओं का अपमान करना) के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया और उन्हें एक साल तक जेल में रहना पड़ा. 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उनके खिलाफ एनएसए रद्द कर दिया था. बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया.

मुसलमानों के प्रति नफरत भरे भाषण के लिए कुख्यात रहे हैं कमलेश तिवारी
कमलेश तिवारी खुद को हिंदुत्व का पैरोकार बताते थे। सोशल मीडिया पर सक्रिय तिवारी के वीडियो और पोस्ट मुस्लिमों के प्रति अभद्र टिप्पणियों से भरे रहते थे। वे सीधे तौर पर मुस्लिम मुक्त भारत की बात करते/कहते नजर आते थे। कमलेश तिवारी के फॉलोअर भी विषाक्त भाषा का प्रयोग करते रहे हैं। कमलेश तिवारी का हिंदुत्व, मुस्लिम नफरत के आधार पर ही टिका नजर आता है। हालांकि, बीजेपी के लगभग सारे नेताओं की राजनीति ही मुस्लिम विरोध पर टिकी नजर आती है। शायद इसीलिए कमलेश तिवारी भी मुस्लिम विरोध के सहारे राजनीति में चमकने के सतत प्रयास में थे।





परिवार बीजेपी नेता पर लगा रहा है हत्या का आरोप
कमलेश तिवारी भले ही मुस्लिमों के प्रति नफरत भरी भाषा बोलते थे लेकिन उनका परिवार सांप्रदायिक एंगल से बचता नजर आ रहा है। कमलेश तिवारी की मां का सीधा आरोप है कि उनके बेटे को बीजेपी नेता ने सीतापुर में मंदिर की जमीन के विवाद को लेकर मरवाया है। उनकी मां साफ तौर पर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का भी नाम ले चुकी हैं लेकिन मीडिया और पुलिस इस एंगल को पूरी तरह से दरकिनार करने की कोशिश करता नजर आ रहे हैं। 

तिवारी की मां ने एबीपी न्यूज के एंकर सुमित अवस्थी को लगाई थी फटकार
कमलेश तिवारी की मां ने एबीपी न्यूज के एंकर सुमित अवस्थी को ऑन एयर फटकार दिया था। दरअसल, कमलेश तिवारी की मां कुसुम तिवारी एबीपी न्यूज के साथ ऑन एयर थीं। इस दौरान उन्होंने हत्या के पीछे योगी आदित्यनाथ का नाम लिया। कुसुम तिवारी के मुंह से कोई मुस्लिम एंगल न निकलते देख शायद सुमित अवस्थी बौखला गए और गैर जरूरी रूप से बोलने लगे कि कुसुम जी ऐसी कोई बात मत कीजिएगा जिससे हिंदू-मुसलमान हो, दो मजहबों के बीच कड़वाहट पैदा हो। यह सवाल सुनकर कुसुम तिवारी ने कहा कि हिंदू मुसलमान की बात मैंने नहीं आपने की है। इसके बाद सुमित अवस्थी मामले को कवरअप करते नजर आए। देखिए ये वीडियो क्लिप...

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