झारखंड में पत्रकार रूपेश कुमार सिंह समेत तीन लोगों को पुलिस ने नक्सली बताकर गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने इन सभी के पास से विस्फोटक होने की बात कही है। जबकि असलियत यह है कि उन्हें गिरफ्तार कहीं से किया गया। दिखाया कहीं और गया। और विस्फोटक को बाकायदा प्रायोजित तरीके से उनकी गाड़ी में प्लांट कर दिया गया। एक के बाद दूसरा क्या कुछ हुआ रूपेश से मिलने के बाद बता रही हैं खुद रूपेश की पत्नी इप्सा सताक्षी
कल मैं जब Rupesh Kumar Singh से मिली, यह देख बहुत अच्छा लगा कि मेरे साथी के हौसले में कोई कमी नहीं आई है। उसे भरोसा है खुद पर और हम सभी दोस्तों पर। उसने और उसके दोनों साथियों ने पुलिस की कहानी से इतर जो सच बताया। पेश है उसकी पूरी दास्तान:
इनकी गिरफ्तारी 6 को नहीं 4 जून को सुबह 9.30 बजे ही हो गई । इनकी गिरफ्तारी पद्मा जो हजारीबाग से थोड़ा आगे है में तब हुई जब ये toilet जाने के लिए गाड़ी साइड किए थे। इनकी गिरफ्तारी आईबी द्वारा की गयी। toilet जाने के ही क्रम में पीछे से अचानक हमला बोला गया। बाल खींच कर आंखों पर पट्टी लगा दी गयी और हाथों को पीछे कर हथकड़ी भी लगाई गई, विरोध करने पर हथकड़ी खोल दी गई। बाद में आंखों की पट्टी भी हटा दी गयी।
इन्हें फिर बाराचट्टी के कोबरा बटालियन के कैम्प में लाया गया । जहां रूपेश को बिल्कुल भी सोने नहीं दिया गया और रात भर बुरी तरीके से दिमागी टार्चर किया गया। उन्हें धमकाया गया कि व्यवस्था या सरकार के खिलाफ लिखना छोड़ दो। कहा गया कि- पढ़े लिखे हो अच्छे से आराम से कमाओ खाओ। ये आदिवासियों के लिए इतना क्यों परेशान रहते हो। कभी कविता, कभी लेख। इससे आदिवासियों का माओवादियों का मनोबल बढ़ता है भाई। क्या मिलेगा इससे। जंगल, जमीन के बारे में बड़े चिंतित रहते हो, इससे कुछ हासिल नहीं होना है, शादी-शुदा हो। परिवार है।
उनके बारे में सोचो। सरकार कितनी अच्छी-अच्छी योजनाएं लायी है। इनके बारे लिखो। आपसे कोई दुश्मनी नहीं है, छोड़ देंगे। इस तरह की भी कई बातें की गईं। तीनों को कहा गया कि आप लोगों को छोड़ देंगे । और 5 जून को को मिथिलेश कुमार से दोपहर 1 बजे कॉल भी करवाया गया जिसके आधार पर मैंने post भी Update किया था कि तीनों सुरक्षित हैं। घर आ रहे हैं । साथ ही इसकी जानकारी हमने कॉल करके रामगढ़ थाने को भी दी जहां इन सबकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी थी।
5 जून को रूपेश को 4 घंटे सोने दिया गया फिर 5 जून की शाम को कोबरा बटालियन के कैम्प में ही इनके सामने विस्फोटक गाड़ी में रखा गया। विरोध करने पर शेरघाटी एएसपी रवीश कुमार ने कहा कि "अरे पकड़े हैं तो ऐसे ही छोड़ देगें? अपनी तरफ से केस पूरी मजबूती से रखेंगें रूपेश जी।' फिर इसी विस्फोटक सामग्री को दिखाकर डोभी थाने में Press Conference किया गया । फिर तीनों को डोभी op को यह कहकर सौंप दिया गया कि ये ऐसे सुनने वाले नहीं अंदर कर दो इन्हें। 6 जून की शाम को इन्हें डोभी op से शेरघाटी जेल भेज दिया गया। जहां हमारी मुलाकात कल हुई।
आखिर इनकी गिरफ्तारी को लेकर इतना झूठ पुलिस ने क्यों बोली? 2 दिनों तक इन्हें सामने क्यों नहीं लाया गया? और भी कई सवाल हैं। साथ ही इनसे कोरे कागज मे साइन भी करवाया गया है।
साभार- जनचौक
कल मैं जब Rupesh Kumar Singh से मिली, यह देख बहुत अच्छा लगा कि मेरे साथी के हौसले में कोई कमी नहीं आई है। उसे भरोसा है खुद पर और हम सभी दोस्तों पर। उसने और उसके दोनों साथियों ने पुलिस की कहानी से इतर जो सच बताया। पेश है उसकी पूरी दास्तान:
इनकी गिरफ्तारी 6 को नहीं 4 जून को सुबह 9.30 बजे ही हो गई । इनकी गिरफ्तारी पद्मा जो हजारीबाग से थोड़ा आगे है में तब हुई जब ये toilet जाने के लिए गाड़ी साइड किए थे। इनकी गिरफ्तारी आईबी द्वारा की गयी। toilet जाने के ही क्रम में पीछे से अचानक हमला बोला गया। बाल खींच कर आंखों पर पट्टी लगा दी गयी और हाथों को पीछे कर हथकड़ी भी लगाई गई, विरोध करने पर हथकड़ी खोल दी गई। बाद में आंखों की पट्टी भी हटा दी गयी।
इन्हें फिर बाराचट्टी के कोबरा बटालियन के कैम्प में लाया गया । जहां रूपेश को बिल्कुल भी सोने नहीं दिया गया और रात भर बुरी तरीके से दिमागी टार्चर किया गया। उन्हें धमकाया गया कि व्यवस्था या सरकार के खिलाफ लिखना छोड़ दो। कहा गया कि- पढ़े लिखे हो अच्छे से आराम से कमाओ खाओ। ये आदिवासियों के लिए इतना क्यों परेशान रहते हो। कभी कविता, कभी लेख। इससे आदिवासियों का माओवादियों का मनोबल बढ़ता है भाई। क्या मिलेगा इससे। जंगल, जमीन के बारे में बड़े चिंतित रहते हो, इससे कुछ हासिल नहीं होना है, शादी-शुदा हो। परिवार है।
उनके बारे में सोचो। सरकार कितनी अच्छी-अच्छी योजनाएं लायी है। इनके बारे लिखो। आपसे कोई दुश्मनी नहीं है, छोड़ देंगे। इस तरह की भी कई बातें की गईं। तीनों को कहा गया कि आप लोगों को छोड़ देंगे । और 5 जून को को मिथिलेश कुमार से दोपहर 1 बजे कॉल भी करवाया गया जिसके आधार पर मैंने post भी Update किया था कि तीनों सुरक्षित हैं। घर आ रहे हैं । साथ ही इसकी जानकारी हमने कॉल करके रामगढ़ थाने को भी दी जहां इन सबकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी थी।
5 जून को रूपेश को 4 घंटे सोने दिया गया फिर 5 जून की शाम को कोबरा बटालियन के कैम्प में ही इनके सामने विस्फोटक गाड़ी में रखा गया। विरोध करने पर शेरघाटी एएसपी रवीश कुमार ने कहा कि "अरे पकड़े हैं तो ऐसे ही छोड़ देगें? अपनी तरफ से केस पूरी मजबूती से रखेंगें रूपेश जी।' फिर इसी विस्फोटक सामग्री को दिखाकर डोभी थाने में Press Conference किया गया । फिर तीनों को डोभी op को यह कहकर सौंप दिया गया कि ये ऐसे सुनने वाले नहीं अंदर कर दो इन्हें। 6 जून की शाम को इन्हें डोभी op से शेरघाटी जेल भेज दिया गया। जहां हमारी मुलाकात कल हुई।
आखिर इनकी गिरफ्तारी को लेकर इतना झूठ पुलिस ने क्यों बोली? 2 दिनों तक इन्हें सामने क्यों नहीं लाया गया? और भी कई सवाल हैं। साथ ही इनसे कोरे कागज मे साइन भी करवाया गया है।
साभार- जनचौक