जिओ ने अपना फ़ीचर फोन फ्री में देने का दावा किया है, इस घोषणा की वजह से अन्य कंपनियों के शेयर बुरी तरह से गिर पड़े है। एक आम उपभोक्ता टेलीकॉम कंपनियों के इस 'बंडल आफर' की चालाकी को नही समझ सकता लेकिन इसमें कम्पनी का घाटा नही अपितु फायदा ही होता है।
दुनिया भर में मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियां ग्राहकों को सस्ती कीमत पर हैंडसेट उपलब्ध करवाकर एक तय अवधि के लिए उस फ़ोन को अपने नेटवर्क के साथ ब्लॉक कर देती हैं। इसका मतलब है कि ग्राहक उस फ़ोन में कोई दूसरा सिम नहीं लगा सकता. इसे ही बंडल ऑफर कहते हैं।
कम्पनी को सबसे बड़ा फायदा इस से यह होता है कि कस्टमर कम्पनी के साथ बंध कर रह जाता है, पूरे बिजनेस पर एकाधिकार हासिल करने में यह स्कीम सबसे सफल सिद्ध होती हैं।
जिओ इस फोन को 1500 रु में देने के साथ 153 रु का रिचार्ज देने की बात कर रहा है।
ग्राहक को भी कोई बहुत फायदा नही है यूजर के लिए मिनिमम 153 रु महीने का पैकेज है। अगर यूजर हर महीने 153 रुपए का रीचार्ज करवाता है, तो साल में 12 रीचार्ज का खर्च 1836 रुपए होगा यानी तीन साल में वह 5508 रु जियो को दे ही देगा।
साथ ही जिओ उसके 1500 रु को तीन साल तक इस्तेमाल कर रहा है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि तीन साल तक लगातार इस्तेमाल करने के बाद वह पीस साबुत तो बिल्कुल भी नही रह पाएगा और उसके 1500 रुपये बतौर सिक्योरिटी डिपॉजिट ही है। कुछ न कुछ तो उसके अंदर भी टूट फूट हो ही जाएगी इस तरह यदि कोई सोच रहा है कि वह उसे देकर जिओ से 1500 रु वसूल लेगा तो वह बहुत बड़ी खामखयाली में जी रहा है।
इस फोन की एक बहुत बड़ी खूबी और है, जो ग्राहक की जेब से बहुत सारे पैसे ढीले करवा सकती है। इस फोन को एक केबल के जरिए टीवी से कनेक्ट किया जा सकेगा। इस फंक्शन के साथ, यूज़र जियो टीवी और जियो सिनेमा जैसे ऐप पर मिलने वाले कंटेट को अपने टीवी पर देख सकेंगे।
जाहिर है कि इसमें बड़े पैमाने पर डेटा कंज्यूम होगा जिससे यूजर ओर पैसे लगाकर सर्विस लेगा और सारे ऑफर प्रीपेड ही होंगे यानी यहां भी कम्पनी का ही फायदा है।
कुल मिलाकर यह स्कीम , जिओ का एकाधिकार भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री में स्थापित कर देगी और बाद में यह कम्पनी मनमानी लूट के लिए स्वतंत्र होगी।
जिओ द्वारा फोन को लॉन्च करने के पहले साल के भीतर 100 मिलियन यूनिट (10 करोड़) बेचने का लक्ष्य है जबकि दूसरे साल भी कंपनी 10 करोड़ और फोन बेचेगी।
यहाँ एक बहुत बड़ा खेल है जो इन लुभावनी स्कीम के पीछे छुपा है जिससे सरकार को प्रत्यक्ष रूप करोड़ों रुपए टेक्स का घाटा है। कम्पनी कह रही है कि हमे 2 साल में 20 करोड़ मोबाइल इस बण्डल ऑफर के तहत बेचने है हम मान कर चलते है लगभग 15 करोड़ मोबाइल वह बेच देती है।
वह ग्राहक से जो 1500 रुपये ले रही है उसे बतौर अमानत के ले रही है यह एक तरह का सिक्योरिटी डिपॉजिट है यानी यह उस फोन की कीमत नही है , कीमत नही है इसका सीधा मतलब यह भी होता है कि इस 1500 रुपये पर कोई टेक्स वसूला नही जा सकता। अब यदि 15 करोड़ को 1500 से गुणा किया जाए तो यह रकम 225000000000₹ होती है इसका यदि 18 प्रतिशत के हिसाब से GST निकाला जाए तो कितना बड़ा रेवेन्यू लॉस सरकार को होगा।
ज़्यादा बातों का कम सार यह है कि अम्बानी आपको मुफ़्त में कुछ नहीं देते।