दलितों के लिए आजादी का अ'मृतकाल: सवर्ण शिक्षक ने घड़े से पानी पीने पर दलित छात्र को मार डाला

Written by Sabrangindia Staff | Published on: August 15, 2022
आजादी की 75वीं सालगिरह को केंद्र सरकार द्वारा आजादी का अमृतवर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। लेकिन इस आजादी में दलित/आदिवासी और वंचितों के हिस्से कितनी आजादी आई उसे राजस्थान की घटना से समझा जा सकता है। 



राजस्थान के जालौर में दलित छात्र इंद्र कुमार की शनिवार को मौत हो गई थी। दलित छात्र को स्कूल के एक अध्यापक ने कथित तौर पर पीने के पानी के बर्तन को छूने पर पीट दिया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। आरोपी अध्यापक छैलसिंह (40) को गिरफ्तार कर लिया गया है। हत्या और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। जानकारी के मुताबिक, छात्र इंद्र मेघवाल की 20 जुलाई को अध्यापक ने पिटाई की थी।

इंद्र मेघवाल हत्याकांड के बाद न्याय की गुहार लगा रहे परिजन व ग्रामीणों पर दमनपूर्ण कार्रवाई और प्रदेश में बढ़ते दलित अत्याचारों के चलते राजस्थान की गहलोत सरकार चौतरफा घिर गई है। सरकार विपक्ष के बाद अब अपनों के निशाने पर आ गई है। कांग्रेस से बारां-अटरु विधायक पानाचंद मेघवाल ने विधायक पद से दिया इस्तीफा दे दिया है। मेघवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।

पानाचंद मेघवाल ने प्रदेशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए लिखा है कि आजादी के 75 साल बाद भी प्रदेश में दलित और वंचित वर्ग पर लगातार हो रहे अत्याचारों से उनका मन आहत है। उन्होंने लिखा, “मेरा समाज आज जिस प्रकार की यातनाएं झेल रहा है, उसका दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।”

जालौर की घटना को लेकर उन्होंने लिखा, “प्रदेश में दलित और वंचितों को मटकी से पानी पीने के नाम पर तो कहीं घोड़ी चढ़ने और मूंछ रखने पर घोर यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा जा रहा है। जांच के नाम पर फाइलों को इधर से उधर घुमाकर न्यायिक प्रक्रिया को अटकाया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से दलितों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बाबा साहब डॉ। भीमराव आंबेडकर जी ने संविधान में दलितों और वंचितों के लिए जिस समानता के अधिकार का प्रावधान किया था, उसकी रक्षा करने वाला कोई नहीं है। दलितों पर अत्याचार के ज्यादातर मामलों में एफआर लगा दी जाती है। कई बार ऐसे मामलों को जब मैंने विधानसभा में उठाया उसके बावजूद भी पुलिस प्रशासन हरकत में नहीं आया।”

मेघवाल ने इस्तीफे का ऐलान करते हुए लिखा, ”जब हम हमारे समाज के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें न्याय दिलवाने में नाकाम होने लगे तो हमें पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। अतः मैं मेरी अंतरात्मा की आवाज पर विधायक पद से इस्तीफा देता हूं। विधायक पद से मेरा इस्तीफा स्वीकार करें ताकि मैं बिना पद के ही समाज के वंचितों और शोषित वर्ग की सेवा कर सकूं।” मेघवाल ने इस्तीफा, मुख्यमंत्री व विधानसभा अध्यक्ष को प्रेसित किया है।

रात दस बजे किया गया अंतिम संस्कार
द मूकनायक से विधायक पानाचंद मेघवाल ने कहा, “मैंने जालौर कलक्टर व एसपी को फोन किया था। मैंने उनसे कहा था आप यह गलत कर रहे हो, अत्याचार कर रहे हो। इसके बाद भी उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की।” विधायक ने दावा किया कि, मृतक बच्चे के शव का रात दस बजे कलक्टर व एसपी की उपस्थिति में दाहसंस्कार कराया गया। जबकि हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद व सूर्योदय से पहले शव का दाहसंस्कार नहीं किया जाता है।

मेघवाल ने कहा, “मैं कल सुराणा जाऊंगा। जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल जाता। मैं गांव में धरने पर बैठूंगा।”

पार्षदों ने दिए इस्तीफे
राजस्थान के बारां जिले की नगर परिषद के एससी/एसटी समाज से आने वाले पांच पार्षदों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी इस्तीफा दे सकते है। इधर, बीजेपी राज्यसभा सांसद डॉ। किरोड़ी लाल मीणा जालौर पहुंच गए है। वे कल सुराणा गांव जाएंगे।

एससी/एसटी आयोग अध्यक्ष ने की पीड़ित परिवार से मुलाकात
राजस्थान अनुसूचित आयोग अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने सोमवार को सुराणा गांव पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात कर सांत्वना दी। बैरवा बोले प्रदेश भर में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों पर अत्याचार हो रहा है। इस मसले को लेकर राहुल गांधी से बात करूंगा। सवाईमाधोपुर निवासी आदिवासी नेता मानसिंह मीना ने भी सुराणा गांव जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात कर सांत्वना दी। वहीं न्याय की कानूनी लड़ाई लड़ने का आश्वासन दिया।

(द् मूकनायक से इनपुट के साथ)

बाकी ख़बरें