दसॉल्ट के डिप्टी CEO बोले- राफेल सौदे के लिए रिलायंस को पार्टनर बनाना अनिवार्य शर्त थी

Written by Sabrangindia Staff | Published on: October 11, 2018
राफेल डील पर केंद्र की मोदी सरकार सवालों के बीच बुरी तरह घिर चुकी है. वहीं इस बीच फ्रांसिसी मीडिया न्यूजपोर्टल मीडियामार्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. इस न्यूजपोर्टल ने दावा किया है कि कुछ आंतरिक दस्तावेज उसके हाथ लगे हैं जिसके मुताबिक  दसॉल्ट एविएशन के डिप्टी सीईओ लोइक सेगालेन ने 11 मई 2017 को संयुक्त उपक्रम दसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) की एक प्रेजेंटेशन के दौरान नागपुर में कहा था, ” भारत से राफेल का एक्सपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए दसॉल्ट एविएशन के लिए यह शर्त मंजूर करनी अनिवार्य थी.”



वहीं दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपिएयर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेक इन इंडिया के तहत कंपनी ने भारत के रिलायंस ग्रुप के को पार्टनर बनाने का फैसला किया था. यह कंपनी की चॉइस थी. राफेल सौदे के वक्त फ्रांस के राष्ट्रपति रहे फ्रांस्वा ओलांद ने मीडियापार्ट को बताया था, ”भारत सरकार ने रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था”.

बता दें कि इससे पहले मई 2017 में दसॉल्ट एविएशन के एक शीर्ष अधिकारी ने अपने स्टाफ से कहा था कि भारत से 36 राफेल विमानों की डील करने के लिए कारोबारी अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को पार्टनर बनाना एक अनिवार्य शर्त है. 

पूर्व राष्ट्रपति ओलांद मीडियापार्ट की उस रिपोर्ट पर पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि रिलायंस एंटरटेनमेंट उस वक्त उनकी पार्टनर जूली गायेत की एक फिल्म में सह-निर्माता थी, जब भारत और फ्रांस के बीच राफेल डील पर बातचीत चल रही थी. 

इस पर ओलांद ने कहा था, ”मैं कभी सोच भी नहीं सकता कि इन सबका जूली गायते की फिल्म से कोई कनेक्शन है.” इस पर फ्रांस सरकार ने कहा था कि उसका रिलायंस को बतौर अॉफसेट पार्टनर चुनने में कोई रोल नहीं था और इस तरह की बेकार बातें फैलाई जा रही हैं. सरकार ने कहा था कि डिफेंस अॉफसेट गाइडलाइंस के तहत कंपनी किसी भी भारतीय कंपनी को अॉफसेट पार्टनर चुन सकती है.

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