क्या ग्रामीण क्षेत्रों में खिसक रहा BJP का जनाधार? हरियाणा पंचायत चुनाव में तीन चौथाई से ज्यादा उम्मीदवार हारे

Written by Navnish Kumar | Published on: November 29, 2022
क्या ग्रामीण क्षेत्रों में खिसक रहा BJP का जनाधार? 


 
"हरियाणा पंचायत चुनावों में BJP को तगड़ा राजनीतिक झटका लगा है। जिला परिषद में पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ रहे बीजेपी के तीन चौथाई से ज्यादा उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है। 7 जिलों में 102 सीटों पर पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने वाली BJP को महज 22 सीटें मिली हैं। पंचकूला और सिरसा जिले में पार्टी खाता नहीं खोल सकी है। वहीं 'आप' व 'इनेलो' को सियासी संजीवनी मिली है। जिला परिषद की 100 से ज्यादा सीटों पर लड़ने वाली 'आप' ने 15 और 73 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरी 'इनेलो' 14 सीटों पर जीती है। निर्दलीय उम्मीदवार 350 से ज्यादा सीट जीतने में कामयाब रहे। पंचायत चुनाव नतीजों से सवाल उठ रहे हैं कि हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में बीजेपी का सियासी जनाधार क्या खिसक रहा है?"

हरियाणा में जिला परिषद चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए तगड़े झटके वाले साबित हुए। सत्तारूढ़ भाजपा, अपने चुनाव चिह्न पर अंबाला, यमुनानगर और गुरुग्राम सहित 7 जिलों में लड़े 102 वार्डों में से सिर्फ 22 पर ही जीत दर्ज कर पाई। भाजपा को सबसे करारा झटका पंचकूला में लगा जहां वह अपने चिह्न पर लड़ी सभी 10 जिला परिषद सीटों पर चुनाव हार गई। और तो और उसके कुरुक्षेत्र से निर्वाचित सांसद नायब सैनी की पत्नी सुमन सैनी अंबाला जिला परिषद में वार्ड नंबर-4 से चुनाव हार गई, जिन्हें निर्दलीय प्रत्याशी राजेश देवी ने 236 वोटों से शिकस्त दी। 

अंबाला जिला परिषद में भी भाजपा मात्र 2 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई है। जबकि आम आदमी पार्टी ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ 15 सीटों पर जीत हासिल की है। इंडियन नेशनल लोक दल ने भी अच्छा प्रदर्शन किया जबकि कांग्रेस और भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने यह चुनाव अपने दल के चुनाव चिह्न पर नहीं लड़ा था।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि 2024 में होने वाले अगले विधानसभा चुनावों से पहले आए ये चुनाव परिणाम सत्तारूढ़ भाजपा को आगाह करने वाले हैं। जिला परिषद चुनावों में भाजपा ने यह खराब प्रदर्शन ऐसे समय में किया है जब कुछ ही दिन पहले उसने हिसार जिले की आदमपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के पोते और भाजपा के भव्य बिश्नोई ने इस महीने की शुरुआत में आदमपुर उपचुनाव में 15,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। हालांकि, भाजपा ने दावा किया कि चुनावों में राज्य के अन्य जिलों में भाजपा समर्थित 150 से अधिक उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। 

पंचकुला में जिला परिषद के चुनाव परिणाम भाजपा के लिए एक बड़े सदमे के रूप में सामने आया। यहां की सभी 10 सीटों पर उसके उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी को सिरसा में भी झटका लगा है। यहां उसके उम्मीदवारों में एक भी जीत नहीं दर्ज कर सका। भाजपा की भारी फजीहत अंबाला में भी हुई। कुरुक्षेत्र से पार्टी के सांसद नायब सिंह सैनी की पत्नी सुमन सैनी अंबाला जिला परिषद के वार्ड नंबर 4 से चुनाव हार गईं। यह राज्य के गृह मंत्री अनिल विज का गृह जिला भी है। इस जिले में पार्टी 15 जिला परिषद सीटों में से केवल दो ही सीटें जीत सकी।

गुरुग्राम में भाजपा 10 में से केवल 4 जिला परिषद सीटों पर जीत हासिल कर सकी। हालांकि, यमुनानगर, नूंह और कुरुक्षेत्र में सत्तारूढ़ दल ने क्रमश: छह, सात और तीन सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि हरियाणा भाजपा के प्रवक्ता संजय शर्मा ने कहा कि पार्टी ने जिला परिषद चुनावों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने दावा किया कि 15 जिलों में भाजपा समर्थित 151 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की।

आम आदमी पार्टी (आप) के लिए जिला परिषद चुनाव नतीजे उत्साहवर्धक साबित हुए जब उसने 15 जिला परिषद वार्डों में अपनी जीत का परचम फहराया। इस पर ‘आप’ हरियाणा के प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता का कहना है कि पार्टी ने अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न पर 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था। आप सांसद एवं पार्टी के हरियाणा प्रभारी सुशील गुप्ता ने कहा कि चुनाव परिणाम से यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में आने वाला समय आम आदमी पार्टी का है।

आम आदमी पार्टी (आप) ने सिरसा में 6 सीट जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया। इसके अलावा अंबाला में 3 और जींद में 2 सीटों पर जीत दर्ज की। आप के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने जिला परिषद चुनावों में पार्टी के उम्मीदवारों को जीत की बधाई दी और उन्हें पूरे समर्पण के साथ लोगों के लिए काम करने को कहा। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि जिला परिषद चुनावों में कई सीटों पर आप की जीत पार्टी उसका उत्साह बढ़ाने वाली है। आप की नजर 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने पर है।

इधर, पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) ने 72 सीटों पर चुनाव लड़ा और 14 सीटों पर उसने जीत पाई है। इसमें उसने जिला सिरसा की 24 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की। वहां वार्ड नंबर-6 से उनके पोते और ऐलनाबाद से विधायक अभय चौटाला के बेटे करण चौटाला ने हरियाणा सरकार में ऊर्जा मंत्री रणजीत सिंह चौटाला समर्थित राजकुमार नैन को 699 वोटों से हरा दिया। कांग्रेस ने अपने पार्टी चिन्ह पर पंचायत चुनाव नहीं लड़ा था। इनेलो के एक नेता ने कहा कि पार्टी ने जिला परिषद चुनावों में पार्टी के चुनाव चिह्न पर लड़ी 72 सीटों में से कुल 14 सीटों पर जीत हासिल की।

निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रदर्शन रहा सबसे खास

सबसे खास निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रदर्शन हैं। जिला परिषद चुनावों में झज्जर, हिसार, रेवाड़ी और रोहतक सहित कई जिलों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने ज्यादातर यानी 350 से अधिक सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि, जिला परिषद सदस्य के चुनाव में जीते निर्दलीय कैंडिडेटों पर बीजेपी, कांग्रेस जेजेपी, आप और इनेलो सभी अपने अपने दावे कर रहे हैं। 357 जीते निर्दलीय कैंडिडेटों में से 151 पर बीजेपी अपना दावा कर रही है तो 78 पर जेजेपी अपने उम्मीदवार बता रही है। इसके अलावा इनेलो भी 10 निर्दलीय को अपना बता रही है जबकि पांच पर आम आदमी पार्टी दावा कर रही। कांग्रेस निर्दलीय जीते आधे से ज्यादा कैंडिडेट को अपना बता रही हैं।

बहुत कुछ कहता है ग्रामीण क्षेत्रों में BJP का खिसकता जनाधार

ग्रामीण मतदाताओं द्वारा निर्दलीय पर दिखाए गए इस भरोसे ने बीजेपी की नींद हराम कर दी है। 2024 में लोकसभा के बाद ही विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह से बीजेपी को हार मिली है, उससे चिंता बढ़ना तय है। पंचायत चुनाव के नतीजे बताते हैं कि ग्रामीण मतदाताओं ने बीजेपी पर भरोसा जताने के बजाय निर्दलीय और जमीनी नेताओं पर भरोसा किया है। किसान आंदोलन से बीजेपी के खिलाफ उपजी नाराजगी अभी भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। 2014 में पार्टी ने जिस तरह से अपना आधार मजबूत किया था, वो लगातार कमजोर पड़ा है। 

जाट-किसान आंदोलन के नेता जीते

जाट और किसान अंदोलन का चेहरा रहे किसान नेताओं ने भी इस बार जिला परिषद के चुनावों में जनता से आशीर्वाद मांगा था। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान फरवरी 2016 में हुए दंगों में बीजेपी के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की कोठी पर आगजनी हुई थी। उस केस में कबूलपुर निवासी राहुल दादू भी नामजद रहे हैं, उनके भाई जयदेव दादू जीत हासिल की है। किसान आंदोलन के दौरान जेजेपी छोड़ने वाले विक्रम सिंह की पत्नी अल्का कुमारी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीती हैं। यमुनानगर  से भाकियू चढूनी गुट की उम्मीदवार गुरजीत कौर को जीत हासिल हुई है। किसान आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले कुलदीप खरड़ की बहन सुदेश जीती, संदीप धीरणवास की भाभी सरोज बाला जीती।

बीजेपी के दिग्गजों को मिली मात

2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी राज्य में अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा सकी और उसके बाद से हुए चार उपचुनाव में एक ही बार ही जीत मिली है, वो भी आदमपुर सीट पर। बीजेपी जिस तरह से पंचकुला और सिरसा जैसे जिले में खाता नहीं खोल सकी है। पंचकूला जिले के चुनाव प्रभारी और सांसद नायब सैनी की पत्नी कुरुक्षेत्र में चुनाव हार गईं। अंबाला जिले में भी बीजेपी 15 में से दो ही सीटें जीत पाई है। गुरुग्राम में जिला परिषद चेयरमैन के लिए प्रबल दावेदार मानी जा रही मधु वाल्मीकि चुनाव हार गई हैं। रेवाड़ी में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के समर्थक चुनाव हार गए हैं।

2016 में खिला था कमल

साल 2016 के चुनाव की बात करें तो उस समय बीजेपी ने परचम लहराया था और कांग्रेस पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र से साफ हो गई थी। पिछली बार बीजेपी ने बिना सिंबल के चुनाव लड़ा था। पूर्व सीएम हुड्डा के गढ़ में भाजपा ने अपना चेयरमैन बनाया था। इसके अलावा, बीजेपी जिला सिरसा को छोड़कर प्रदेश के सभी 20 जिलों में जिला परिषदों के अध्यक्ष बनाने में सक्षम रही थी, लेकिन इस बार 2016 की तरह जिला परिषद पर अपना दबदबा कायम रखना मुश्किल है। 

अब सभी की नजरें लगी निर्दलीयों पर

पंचायत चुनाव नतीजे के बाद अब राजनीतिक दलों ने जोड़ तोड़ शुरू कर दी है। सत्ताधारी बीजेपी-जेजेजी के नेता परिणाम जारी होने के तुरंत बाद से ही निर्दलीयों से संपर्क साध रहे हैं। राज्य के मंत्रियों, विधायकों और सांसदों को इस काम के लिए लगाया गया है, ताकि अधिक से अधिक निर्दलीय सदस्यों को अपने पाले में लाया जा सके। निर्दलीयों की स्थिति को देखते हुए चेयरमैन और वाइस चेयरमैन बनाने के उन्हें ऑफर भी दे रही है। सिरसा में अभय चौटाला के बेटे कर्ण चौटाला को चेयरमैन बनाने के लिए अभय चौटाला कमान संभाले हैं तो रोहतक में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हु्ड्डा, सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने अपने समर्थकों के साथ साथ निर्दलीयों को साधना शुरू कर दिया है।

क्या बोले राज्य निर्वाचन आयुक्त?

खास है कि राज्य में 143 पंचायत समितियों और 22 जिला परिषदों के चुनाव तीन चरणों में हुए थे। हरियाणा में 22 जिला परिषद हैं, जिनमें 411 सदस्य हैं। ये सदस्य 22 जिला परिषदों के प्रमुखों का चुनाव करेंगे। राज्य में 143 पंचायत समितियां हैं, जिनमें 3,081 सदस्य हैं जो अपने अपने प्रमुखों का चुनाव करेंगे। राज्य निर्वाचन आयुक्त धनपत सिंह ने कहा कि राज्य में 143 पंचायत समितियों के 3,081 सदस्यों में से 117 पहले ही सर्वसम्मति से चुने जा चुके हैं। राज्य में 2,964 सदस्यों के शेष पदों के लिए 11,888 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। उन्होंने कहा 22 जिला परिषदों के 411 सदस्यों के लिए चुनाव हुए थे और इन पदों के लिए 3,072 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। सिंह ने कहा कि सभी 22 जिलों के 143 प्रखंडों में जिला परिषद के 411 सदस्यों और पंचायत समितियों के शेष 2,964 सदस्यों के चुनाव के लिए मतगणना शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई। उन्होंने कहा कि सभी निर्वाचित उम्मीदवारों के नामों की अधिसूचना 30 नवंबर से पहले हरियाणा राज्य सरकार के राजपत्र (गजट) में विधिवत जारी कर दी जाएगी।

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