रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। नए मुख्यमंत्री का नाम भी अभी फाइनल नहीं हो पाया है। इससे पहले ही इंटेलिजेंस के अफसरों द्वारा गुरुवार को दो ट्रक फाइलें जलाने का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अधिकारी सुबह 10.30 बजे ट्रक फाइलें भरकर निकाले गए। अवंति विहार के मैदान में उन्हें डंप कर एक साथ जला दिया गया। दोपहर के बाद तक फाइलें जलतीं रहीं, उस समय तक डीएसपी रैंक दो अफसर वहीं खड़े रहे।
सरकार की गोपनीय सूचनाओं से संबंधित सारे दस्तावेज इंटेलिजेंस के पास ही रहते हैं। इस वजह से फाइलों के जलने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक हल्कों में भी इस घटनाक्रम की चर्चा शुरू हो गई है। इंटेलिजेंस ही सरकार के लिए गोपनीय सूचनाएं एकत्र करती है। गोपनीय दस्तावेजों और फोन कॉल के रिकॉर्ड भी यहीं रहते हैं। यही वजह है कि फाइल जलाने के बाद विभाग के आला अफसरों ने चुप्पी साध ली है।
फाइलें जलाने के समय मौजूद डीएसपी अजय लकड़ा और बाकी अफसरों ने ये जरूर दावा किया है कि केवल रद्दी कागजों को जलाया गया है, लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन के ठीक बाद अचानक इंटेलिजेंस के अफसरों का फाइल जलाना कई तरह के सवाल भी खड़ा कर रहा है। फाइलों को जलाने के समय अफसरों का अतिरिक्त सावधानी बरतना भी खटक रहा है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जब तक पूरी फाइलें जलकर खाक नहीं हो गई, तब तक अफसर वहीं खड़े थे। इतना ही नहीं जो फाइलें अधूरी रह जा रही थीं, उन्हें उठा-उठाकर जलाने का निर्देश भी दे रहे थे। सुबह ऑफिस खुलते ही जिस तरह से फाइलों का बंडल ट्रक में लादकर मिनटों में रवाना किया गया, उससे ये माना जा रहा है कि एक-दो दिन पहले से ही विभाग में फाइलों की छंटाई कर ली गई थी। पूरे बंडल बुधवार की रात ही तैयार थे। अफसरों ने फाइल जलाने की जगह भी पहले ही जगह तय कर ली थी। फाइलों से भरे ट्रकों के आगे अफसरों की गाड़ी चल रही थी।
सरकार की गोपनीय सूचनाओं से संबंधित सारे दस्तावेज इंटेलिजेंस के पास ही रहते हैं। इस वजह से फाइलों के जलने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक हल्कों में भी इस घटनाक्रम की चर्चा शुरू हो गई है। इंटेलिजेंस ही सरकार के लिए गोपनीय सूचनाएं एकत्र करती है। गोपनीय दस्तावेजों और फोन कॉल के रिकॉर्ड भी यहीं रहते हैं। यही वजह है कि फाइल जलाने के बाद विभाग के आला अफसरों ने चुप्पी साध ली है।
फाइलें जलाने के समय मौजूद डीएसपी अजय लकड़ा और बाकी अफसरों ने ये जरूर दावा किया है कि केवल रद्दी कागजों को जलाया गया है, लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन के ठीक बाद अचानक इंटेलिजेंस के अफसरों का फाइल जलाना कई तरह के सवाल भी खड़ा कर रहा है। फाइलों को जलाने के समय अफसरों का अतिरिक्त सावधानी बरतना भी खटक रहा है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जब तक पूरी फाइलें जलकर खाक नहीं हो गई, तब तक अफसर वहीं खड़े थे। इतना ही नहीं जो फाइलें अधूरी रह जा रही थीं, उन्हें उठा-उठाकर जलाने का निर्देश भी दे रहे थे। सुबह ऑफिस खुलते ही जिस तरह से फाइलों का बंडल ट्रक में लादकर मिनटों में रवाना किया गया, उससे ये माना जा रहा है कि एक-दो दिन पहले से ही विभाग में फाइलों की छंटाई कर ली गई थी। पूरे बंडल बुधवार की रात ही तैयार थे। अफसरों ने फाइल जलाने की जगह भी पहले ही जगह तय कर ली थी। फाइलों से भरे ट्रकों के आगे अफसरों की गाड़ी चल रही थी।