भारतीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा ज़रूरी, सरकारी हस्तक्षेप की जरूरत– IAMC रिपोर्ट

Written by sabrang india | Published on: October 17, 2023
इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) की रेगुलर रिपोर्ट भारतीय अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा के विभिन्न पहलुओं पर रौश्नी डालती है. इस क्वार्टर रिपोर्ट में जुलाई से सितंबर 2023 के बीच की घटनाओं का संज्ञान लिया गया है.
  


इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) वाशिंगटन डी. सी. में मौजूद एक अधिवक्ता संगठन है जिसे 2002 में भारतीय मूल के मुसलमान अमेरिकी व्यक्तियों द्वारा स्थापित किया गया था. अक्टूबर 2023 में इसने अपनी तिमाही रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में भारत में जुलाई से सितंबर के बीच अल्पसंख्यक विरोधी घटनाओं की जानकारी दी गई है.

इस रिपोर्ट में साल 2023 की तीसरी तिमाही में अनेक मुसलमान विरोधी और ईसाई विरोधी हमलों का विवरण पेश किया गया है. ये रिपोर्ट 4 मुख्य भागों में विभाजित की गई है और इसमें दोनों ही धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हमलों की तफ़सील दी गई है.

मुसलमानों के ख़िलाफ़ अभियोग और भेदभाव (पार्ट-1)

इस रिपोर्ट के पहले हिस्से में मुसलमानों के ख़िलाफ़ अभियोग और भेदभाव का विवरण पेश किया गया है. इसमें बहुसंख्यक समुदायों के हाथों इस्लामोफोबिया के तहत मुसलमानों पर हमले की तफ़सील शामिल है. इन हमलों में मौखिक गाली, शारिरिक प्रताड़ना, उत्पीड़न, भेदभाव, चोट पहुंचाने से लेकर मृत्यु तक के मामले दर्ज किए गए हैं.  

मुसलमानों पर हमले

मुसलमानों पर हमलों की ये श्रृंखला देश के अनेक हिस्सों में देखी गई है. इसमें 1. उत्तराखंड 2. कर्नाटक 3. तेलंगाना 4. मध्य प्रदेश 5. राजस्थान 6. असम 7. झारखंड 8. हरियाणा 9. दिल्ली 10. पंजाब और 11. महाराष्ट्र शामिल है.  
 
जुलाई

जुलाई की शुरूआत में मुसलमानों पर ईद के जश्न के दौरान अनेक हमले हुए. कहीं पर जूस बेचने वाले मुसलमानों को हिंदू स्त्रियों ने प्रताड़ित किया तो कहीं हिंदू पुरूषों की भीड़ ने गौ-हत्या के कथित आरोप में एक मुसलमान के साथ बदसलूकी की. पुलिस प्रताड़ना के इन दो संगीन मामलों और हिरासत में प्रताड़ना के एवज दो पुरूषों की हिरासत में ही मौत हो गई. इस महीने में ऐसे भी अनेक मामले पेश आए जिसमें मुसलमान पुरूषों को हिंदू समूहों द्वारा उनकी धार्मिक पहचान के चलते हमला किया गया. ऐसे ही एक अन्य मामले में मुसलमान व्यक्ति को हिंदू प्रताड़कों के पांव चाटने को कहा गया. एक अन्य स्थान पर एक मुसलमान व्यक्ति को ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को मजबूर किया गया और उन्हें जिस्मानी तौर पर भी प्रताड़ित किया गया. जुलाई माह में ऐसे अनेक अन्य मामले सामने आए जिनमें चोरी, सेक्शुअल हैरेसमेंट और मुसलमान औरतों के बलात्कार की अफ़वाह की बुनियाद पर मोरल पोलिसिंग, टार्गेटिंग और लिंचिंग के मामले दर्ज हुए हैं. 

17 जुलाई को असम की बूरहा छापोरी वाइल्ड लाईफ़ सेंक्चुरी में फ़ारेस्ट डिपार्टमेंट आफ़िशियल्स और विस्थापित मुसलमान निवासियों के बीच एक मुठभेड़ हुई जो कि अपने अस्थाई बसेरों में बाढ़ के कारण सेंक्चुरी वापस लौट रहे थे. फ़ारेस्ट गार्ड्स से मुठभेड़ के बाद हिंसा ने तेज़ी पकड़ ली. फ़ारेस्ट गार्ड्स की फ़ायरिंग में एक मुसलमान औरत का देहांत हो गया और 4 मुसलमानों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.

जुलाई माह में मुसलमान विरोधी हत्या का एक अन्य अफ़सोसनाक मामला सामने आया. 31 जुलाई को जयपुर-मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस ट्रेन में चेतन कुमार चौधरी नामक एक रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स कांस्टेबल ने अपने वरिष्ठ अधिकारी, असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर टीकाराम मीना और 3 अन्य मुसलमान यात्रियों को केवल उनकी आस्था के कारण मार डाला. अगले दिन रक्तरंजित लाश के नज़दीक उनका मुसलमान विरोधी भाषण और मोदी-योगी को वोट करने की अपील का वीडियो वायरल था.     

अगस्त

अगस्त महीने में भी मुसलमानों पर बलप्रयोग के अनेक मामले सामने आए हैं. राजस्थान में अवैध रूप से जंगल काटने के कथित आरोप के चलते भीड़ के हमले में एक मुसलमान व्यक्ति ने अपना जीवन खो दिया और 2 अन्य लोग घायल हो गए. इन गिरफ़्तार लोगों में 4 लोग जंगल के अधिकारिक लोग हैं. इसी महीने में एक वरिष्ठ मुसलमान दंपत्ति को पीटकर मार डाला गया क्योंकि उनका पुत्र एक हिंदू लड़की के साथ भाग गया था. ऐसे दो मामले रिपोर्ट किए गए जिसमें मुसलमान पुरूषों को उनकी धार्मिक पहचान के लिए लिंचिंग, मार-पीट और हत्या का शिकार होना पड़ा. मुसलमान पुरूषों पर निशाना साधने के लिए लव-जिहाद का नैरेटिव भी गढ़ा गया.

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में एक हिंदू टीचर का उसके विद्यार्थी को 7 साल के मुसलमान बच्चे को थप्पड़ मरवाने का वीडियो भी इसका एक उदाहरण है. इस वीडियो में अध्यापिका ने मुसलमान समुदाय के ख़िलाफ़ पूर्वाग्रह से ग्रसित नफ़रती बयान भी दिए हैं. इस टीचर को 29 सितंबर को गिरफ़्तार कर लिया गया.

सितंबर

इस माह में नफ़रती बयानों से जुड़ी अनेक घटनाएं दर्ज की गईं. सतारा में दो समुदायों के बीच मुठभेड़ होने पर हिंदू भीड़ ने मस्जिद पर रॉड और लाठी के साथ हमला किया. इस भीड़ ने एक पुरूष की हत्या की और 14 लोगों को गंभीर चोट पहुंचाई.

जबकि पंजाब राज्य में भेदभाव के ख़िलाफ़ जारी एक प्रोटेस्ट में स्टूडेंट्स को मारा-पीटा गया. मुस्लिम छात्राओं का हिजाब जबरन उतरवाया गया. ये तीनों घटनाएं सितंबर में हुईं जिसमें मुसलमान पुरूषों को मरने तक पीटा गया. ऐसे ही 26 सितंबर को दिल्ली के नंदनगरी इलाक़े में 26 साल के एक विकलांग मुसलमान व्यक्ति मोहम्मद इसरार भी भीड़ की चपेट में मौत के घाट उतार दिए गए. इसरार के पिता अब्दुल वाजिद के अनुसार उनके बेटे ने एक धार्मिक समारोह में खाना खा लिया था जिसके बाद उन्हें क्रूर हिंसा का सामना करना पड़ा.

नूह हिंसा

इस रिपोर्ट में भाजपा शासित हरियाणा में सांप्रदायिक मुठभेड़ का विवरण भी दर्ज किया गया है. बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की अगुवाई में एक धार्मिक जलूस में पत्थरबाज़ी के बाद हालात ने सांप्रदायिक हिंसा का रंग ले लिया था. बाद के दिनों में हरियाणा के अनेक ज़िलों में ये सांप्रदायिक हिंसा तेज़ी से फैल गई. इस हिंसा के पीछे कुख्यात गौ-रक्षक मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी के नफ़रती बयान वाले वीडियोज़ को ट्रिगर बताया जा रहा है. इसमें जलूस के पहले अनेक नेताओं के मुसलमान विरोधी बयानों की भी भूमिका है.

इस हिंसा में 6 लोगों का क़त्ल हुआ, अनेक घायल हुए और सैकड़ों वाहन, घर और प्रार्थनाघरों को तबाह किया गया. राज्य में दक्षिणपंथी अतिवादियों द्वारा मुसलमान समुदाय को खुले आम निशाना बनाया गया. इस दौरान मुसलमानों के आर्थिक, समाजिक बहिष्कार की मांग भी तेज़ हुई. पंचायतों ने मुसलमान व्यापारियों को उनके गांव में दाख़िल होने से रोकने के लिए संकल्प भी लिए.  

इस रिपोर्ट में बिना नोटिस के जारी अवैध तोड़-फोड़ पर भी रौश्नी डाली गई है. रिपोर्ट के मुताबिक़ इस बीच पुलिस छापेमारी, गिरफ़्तारी और क़ानून का उल्लंघन किया गया और नाबालिग़ बच्चों को हिरासत में रखा गया. राज्य की इन कार्रवाईयों के चलते हरियाणा से वंचित मुसलमान परिवारों का एक बड़ा हिस्सा पलायन को मजबूर हो गया. मामले की गंभीरता को देखते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने विध्वंस का स्वत: संज्ञान लिया और मुसलमानों के जातीय संहार की कोशिशों पर गहरी चिंता जताई.

मुसलमान विरोधी नफ़रती बयान

इस रिपोर्ट में जुलाई से लेकर सितंबर तक अनेक नफ़रती बयानों को दर्ज किया गया है जिसमें दक्षिणपंथी नेताओं ने मुसलमान विरोधी बयान दिए हैं. इनमें से अधिकतर ऐसे हैं जो नफ़रती बयानों और विभाजनकारी सिद्धांतों के लिए बार बार निशाने पर रहे हैं.  

जुलाई

सुदर्शन न्यूज़ के चेयरपर्सन सुरेश च्वाहणके, हिंदू जागरण मंच के नेता कमल गौतम, दक्षिणपंथी नेता समीक्षा सिंह, कालीचरण महाराज, अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद (AHP) के नेता प्रवीण तोगड़िया और हिंदू राष्ट्र सेना के नेता धनंजय देसाई ने मुसलमान विरोधी और अल्पसंख्यक विरोधी नफ़रती बयान दिए हैं. इन नफ़रती बयानों के ज़रिए एक ग़लत अवधारणा को तूल देकर, भय फैलाने, मुसलमान विरोधी टिप्पणियां करने और मुसलमान विरोधी षड्यंत्रों को तूल देने की कोशिश की गई है. भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भी मुसलमान समुदाय के ख़िलाफ़ भटकाने वाले बयान दिए हैं. 13 जुलाई को, असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा शर्मा ने मुसलमानों को ‘मियां’ कहकर संबोधित किया और बंगाली मूल के मुसलमानों को गुवहाटी में सब्ज़ी के बढ़ते दामों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि ‘मियां’ असम के स्थानीय कारोबारियों की अपेक्षा ज़्यादा चार्ज करते हैं और फिर उन्होंने असम की युवा आबादी को मियां लोगों को बिज़नेस में टक्कर देने और मुक़ाबला करने को उकसाया.   

अगस्त

अगस्त की शुरूआत में विहिप और बजरंग दल द्वारा अनेक रैलियां की जा रही थीं. इनमें से नूह में धार्मिक जलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा देखने को मिली. इन रैलियों के दैरान नफ़रती बयान तेज़ी से फैले. ऐसी ही एक रैली में स्थानीय दुकानदारों को धमकी दी गई कि वो या तो मुसलमान कर्मचारियों का बहिष्कार करें या उनका बहिष्कार किया जाएगा. ऐसी ही एक दूसरी रैली में प्रतिभागियों ने मुसलमान विरोधी नारे लगाए. अगस्त में ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को’, ‘अल्लाह कहने नहीं देना, एक भी मुल्ला रहने नहीं देना’ जैसे नारों के साथ नफ़रत का दौर पूरे उठान पर रहा.

इस बीच हरियाणा में अनाधिकारिक महापंचायत भी गठित की गई जिसमें पुलिस की मौजूदगी में मुसलमानों के ख़िलाफ़ धमकी दी गई.

सितंबर

इस रिपोर्ट में सितंबर महीने में 21-24 तारीख़ के बीच भारत के अनेक स्थानों पर नफ़रती बयानों से जुड़ी घटनाओं का संज्ञान लिया गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार 21 सितंबर को एक दक्षिणपंथी हिंदू नेता ने भड़काऊ बयान देते हुए मुसलमानों के  निष्कासन की बात की. इसी दिन बजरंग दल के एक नेता ने कहा कि वो या उनका संगठन हिंदुस्तान में मस्जिद और दरगाहों की मैजूदगी सहन नहीं करेंगें. 24 सितंबर को हिंदू रक्षा दल की नेता पिंकी चौधरी ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रती बयान दिया और एंटी-मुस्लिम टिप्पणियों को तूल दी.

IAMC की रिपोर्ट के प्रस्तुत डाटा के अनुसार यूएस बेस्ड पत्रकार राक़िब हमीद नाईक ने 2023 की शुरूआत में मुसलमान अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ दक्षिणपंथी हिंदुवादी समुदायों के नफ़रती बयानों को डाक्यूमेंट किया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 के शुरूआती 181 दिनों में नफ़रती बयान के 255 मामले रिकॉर्ड किए गए हैं जिसमें 17 राज्यों के मुसलमानों पर निशाना साधा गया है जिसमें से 205 (80%) भाजपा शासित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हैं. इसके अलावा इस रिपोर्ट के अनुसार 51% नफ़रती बयानों में लव जिहाद, लैंड जिहाद, मज़ार जिहाद और हलाल जिहाद जैसी षड्यंत्रकारी थ्योरी पर ज़ोर दिया गया है.  इसमें से 33% सभाओं में सीधे तौर पर मुसलमानों पर हिंसा की पैरवी की गई जबकि 11% में मुसलमानों के बहिष्कार की बात की गई है. इनमें से 4% घटनाओं में नफ़रती और सेक्सिस्ट भाषणों में मुसलमान महिलाओं को निशाना बनाया गया जबकि 12% घटनाओं में हथियार उठाने की अपील की गई.     

अवैध विध्वंस और पलायन

IAMC रिपोर्ट के मुताबिक बीते 3 महीनों में हिंदुत्ववादी संगठनों और राज्य प्रशासन ने अनेक मस्जिदों और अन्य संबंधित संपत्तियों का या तो विध्वंस किया या उन्हें बंद कर दिया. ऐसे अधिकतर मामलों में ग़ैरक़ानूनी निर्माण, सरकारी या रेलवे की ज़मीन का अतिक्रमण को उन्मूलन का मुख्य कारण बताया गया है. इस कड़ी में ऐतिहासिक मस्जिद और दरगाह भी शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश में मीट की दुकानों को भी बंद करवाया गया. पुलिस प्रशासन द्वारा बिना किसी क़ानूनी आधार के हिंदू त्योहारों के दौरान मीट की ख़रीद फ़रोख्त पर पाबंदी लगा दी गई.

22 जुलाई को उत्तराखंड के नैनीताल में 6 JCB मशीन के ज़रिए अनेक ईमारतों को तोड़ दिया गया. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी इन लोगों की मदद के लिए कोई क़दम नहीं उठाया. सिर्फ़ सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ही इस पर रोक लगाई जा सकी. इसी दिन ननके दारंग के 210 परिवारों को असम के फ़ारेस्ट डिपार्टमेंट ने  दारंग फारेस्ट की ज़मीन पर बसने के चलते 67 नोटिस जारी किए. डिपार्टमेंट द्वारा जारी इन नोटिसों में ग्रामवासियों को ज़मीन को 15 दिन के भीतर ख़ाली करने को कहा गया. इसके अलावा इस रिपोर्ट में अगस्त माह के दौरान जारी अनेक ऐसी घटनाओं को संज्ञान लिया गया है.      

गौ रक्षा

IAMC ने अपनी रिपोर्ट में गौ-रक्षा अभियान से जुड़ी हिंसा पर भी प्रकाश डाला है. गौ-रक्षक बिट्टू बजरंगी के समूह के नेतृत्व में गौ-रक्षकों द्वारा तलवार से हमला हो या फिर विहिप और बजरंग दल के नेताओं के नेतृत्व में मीट की दुकानों को क़ानूनी तौर पर जबरन बंद करवाया जाना हो, इन गौ-रक्षकों ने मुसलमान समुदाय के दुकानदारों और पशु विक्रताओं के लिए विकराल समस्या खड़ी की है.

इस बीच गौ-हत्या, चोरी, बिक्री आदि के संदेह के आधार पर मॉब-लिंचिंग की घटनाएं होती रहीं हैं जिससे मुसलमानों में डर का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही है.

ईसाईयों के ख़िलाफ़ अभियोग और भेदभाव (पार्ट-2)

इस हिस्से में  ईसाई समुदाय के ख़िलाफ़ भाषाई हिंसा, मानसिक-शारीरिक उत्पीड़न, भेदभाव, लिंचिंग और उत्पीड़न की घटनाओं को केंद्र में रखा गया है. इस रिपोर्ट में ऐसे अनेक ग़लत आरोपों का भी ज़िक्र किया गया है जिसमें धर्म परिवर्तन के आरोपों की बुनियाद पर बहुसंख्यक आबादी द्वारा ईसाई आबादी पर हिंसा को वाजिब ठहराया गया था. इस तरह के मामले महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली में दर्ज किए गए. 

जुलाई

जुलाई महीने में वायरल एक वीडियो में एक प्रिंसिपल को फटे कपड़ों में देखा गया जिसमें महाराष्ट्र में भगवा गमछा लहराते लोगों की भीड़ उनका पीछा कर रही है और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. बजरंग दल और कुछ अभिवावाकों ने दावा किया है कि प्रिंसिपल ने कथित तौर पर सभी स्टूडेंट्स को ईसाई धर्म की प्रार्थना करने को कहा था और गर्ल्स टॉयलेट में  CCTV कैमरा लगवाया था, हालांकि पिंपरी चिचंवाड़ पुलिस को उक्त बात का कोई सबूत नहीं मिला है. CCTV दरअसल कॉमन हॉल में लगवाया गया था.

इसी तरह दो मामलों में जबरन धर्मांतरण के कथित मामले में पादरियों और अन्य लोगों को गिरफ़्तार करने की भी  घटनाएं सामने आईं.

एक ईसाई अनाथालय को भी धर्म परिवर्तन के कथित आरोपों के चलते बंद कर दिया गया. इस वजह से ईसाई व्यापारियों को गांव में कारोबार करने में समस्या खड़ी हो रही है.   

अगस्त

अतिवादी हिंदुत्ववादी समूहों द्वारा ईसाईयों की सामुदायिक सभाओं को नुक़सान पहुंचाने, बाईबिल जलाने, उत्पीड़न और लैंगिक उत्पीड़न की अनेक घटनाएं सामने आई हैं. इस रिपोर्ट में ऐसी भी एक घटना का ज़िक्र है जिसमें लॉ इनफ़ोर्समेंट अथॉरिटी ने भी पूर्वाग्रह से ग्रसित रवैये का परिचय दिया है. अगस्त महीने में मध्य प्रदेश में इंदौर पुलिस ने क़रीब 40 गिरजाघरों को प्रश्नावली सौंपकर उनसे पिछले 3 महीनों में हुई सारी ईसाई गतिविधियों का रिकार्ड मांगा. इस प्रश्वावली में जबरन धर्मांतरण, ईसाईयत का उद्देश्य, NGO की कार्यवाही और विदेशी फंडिंग का ज़िक्र किया गया है.    

सितंबर

सितंबर में भी अवैध रूप से धर्मांतरण के चलते गिरफ़्तारियां की गईं. सितंबर के अंत में मध्य प्रदेश में हिंदू अतिवादियों ने सेंट मैरी कांन्वेंट स्कूल, देओरी को हिंदू भगवान गणेश का अपमान करने आरोप में घेरा और पुलिस जांच की मांग की.

मणिपुर हिंसा

इसके अलावा इसी बीच देश ने मणिपुर राज्य में हिंदू प्रभुत्व वाले मैतेयी समुदाय और ईसाई जनजातीय समुदाय कुकी जो के बीच भारी झड़प देखने को मिली. 3 मई को कुकी जो समुदाय ने मणिपुर हाई कोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ प्रोटेस्ट रैली निकाली थी. इसमें उन्होंने मैतेयी वर्ग को जनजाति में शामिल करने के फैसले का  विरोध किया था. इसके बाद पूरे राज्य में हिंसा ने पांव जमा लिए थे.

इस हिंसा में अनगिनत लोगों की मौत हुई, संपत्ति का अथाह नुक़सान हुआ और क़रीब 60,000 लोगों का जबरन विस्थापन हुआ. इस रिपोर्ट में हिंसक झड़पों की तफ़सील भी पेश की गई है.

जम्मू और कश्मीर– (पार्ट -3)

जम्मू और कश्मीर में प्रशासन और लॉ इन्फोर्समेंट के हाथों अनेक ऐसी घटनाएं हुई हैं जिसमें अन्याय को तूल दिया गया है. रिपोर्ट में प्रेस की आज़ादी को कुचलने के प्रयासों की तफ़सील भी पेश की गई है.  

इस रिपोर्ट के अनुसार जुलाईं माह में भारतीय सरकार ने अनेक कश्मीरियों का पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया जिसमें पत्रकार और आलोचक भी शामिल हैं. कश्मीर और विदेशों में क़रीब 10 लोगों को पासपोर्ट एक्ट के सेक्शन 10 (3) के तहत नोटिस भेजकर कहा गया कि उन्होंने भारतीय सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा किया है. हालांकि रिपोर्ट के अनुसार उनके ख़िलाफ़ एक भी आरोप नहीं है. रिपोर्ट में बाताया गया है कि एंटी-नेशनल के नाम पर जम्मू कश्मीर पुलिस इन व्यक्तियों और संबंधित संस्थाओं का सोशल मीडिया ट्रैक कर रही है.

इसके अलावा अगस्त महीने में कश्मीरी प्रशासन ने सरकारी विश्विद्यालयों के M.A अंग्रेज़ी के पाठ्यक्रम से बशारत पीर, आग़ा शाहिद अली को हटा दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक़ HRW (Human Rights Watch) ने कहा है कि  ‘भारतीय  प्रशासन– स्वतंत्र अभिव्यक्ति, शांतिपूर्ण सभा और मूल अधिकारों पर प्रतिबंध’ लगाता है.’

इसी तरह 1 सितंबर को कश्मीरी सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता वक़ार एच. भट्टी को भाजपा नेता की शिकायत करने पर गिरफ़्तार कर लिया गया. जबकि भाजपा नेता ने पेचीदा आलोचनात्मक टिप्पणियों को ज़रिए धार्मिक विवाद खड़ा करने की कोशिश की थी.

वक़ार को बाद में अंतरिम ज़मानत दे दी गई, हालांकि फ़िलहाल वो इंडियन पीनल कोड के 153 A, 500 और 506 के तहत अभी तक आरोपों का सामना कर रहे हैं.

सुझाव (पार्ट-4)

 इस रिपोर्ट में ये सुझाव पेश किए गए हैं.  
 

1.      भारत सरकार को मज़बूत क़ानून निर्माण और क्रियान्वन पर ध्यान देना चाहिए जिससे कि नफ़रती बयान, सांप्रदायिक हिंसा और लक्षित हमलों के ख़िलाफ़ धार्मिक अल्पसंख्यकों की हिफ़ाज़त तय हो सके और दोषियों पर कठोर कारवाई की जा सके.

2.      भारत सरकार को तय करना होगा कि हर नागरिक के पास बिना किसी दबाव या अभियोग के भय के धर्म की आज़ादी सुरक्षित है.

3.      धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध भेदभाव व उत्पीड़न को संबोधित करने, मानवाधिकरों के उल्लंघन पर नज़र रखने और मामले की जांच सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र स्वायत्त संस्थाएं होंगी.

4.      सरकार को मणिपुर में कुकी जो जनजाति के ख़िलाफ़ हुई हिंसा पर फौरन निर्णयात्मक कारवाई करनी चाहिए. केंद्र और राज्य सरकार को जातीय अल्पसंख्यकों की रक्षा के पैमाने तय करने चाहिए.

5.      केंद्र सरकार को राष्ट्रीय एंटी-लिंचिंग बिल पास करके हिंदू अतिवादियों और गौ-रक्षक कुनबों से धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.

6.      भाजपा शासित राज्य सरकार को हर नागरिक के लिए एक सुरक्षित घर के अधिकार का संज्ञान लेकर मुसलमानों के घरों, जीवन और इबादतगाहों पर बुल्डोज़र हमले बंद करने चाहिए.

7.      अंतर्राष्ट्रीय समुदायों को भारत सरकार के साथ धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर बात करनी चाहिए.
 
पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है.-

बाकी ख़बरें