संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक में भारत दो पायदान फिसला

Written by sabrang india | Published on: December 18, 2020
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में 189 देशों में मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) की सूची में भारत को 131वां स्थान प्राप्त हुआ। मानव विकास सूचकांक किसी राष्ट्र में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन के स्तर का मापन है।



मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में भारतीयों की जीवन प्रत्याशा 69.7 साल थी। बांग्लादेश में यह 72.6 साल और पाकिस्तान में 67.3 साल थी।

रिपोर्ट के अनुसार सूचकांक में भूटान 129वें स्थान पर, बांग्लादेश 133वें स्थान पर, नेपाल 142वें स्थान पर और पाकिस्तान 154वें स्थान पर रहा। सूचकांक में नॉर्वे सबसे ऊपर रहा और उसके बाद आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और आइसलैंड का स्थान रहा। 

यूएनडीपी के रेजिडेंट प्रतिनिधि शोको नोडा ने संवाददाताओं से कहा कि भारत की रैंकिंग में गिरावट का यह अर्थ नहीं कि “भारत ने अच्छा नहीं किया, बल्कि इसका अर्थ है कि अन्य देशों ने बेहतर किया।”

नोडा ने कहा कि भारत दूसरे देशों की मदद कर सकता है। उन्होंने भारत द्वारा कार्बन उत्सर्जन कम करने के प्रयासों की भी सराहना की। यूएनडीपी की ओर से मंगलवार को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर 2018 में भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 6,829 अमेरिकी डॉलर थी जो 2019 में गिरकर 6,681 डॉलर हो गई।

इस रिपोर्ट में भारत की एचडीआई वैल्यू 0.645 रखी गई है। यह एक के जितनी निकट रहे उतनी अच्छी मानी जाती है। पहला स्थान पाने वाले नॉर्वे की एचडीआई वैल्यू 0.957 आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आर्थिक सुरक्षा, जमीन पर मालिकाना हक बढ़ने से महिलाओं की स्थिति सुधरती दिखी है। ऐसी महिलाओं से हिंसा कम हुई और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ी, लेकिन आदिवासी समुदाय के बच्चों में कुपोषण सबसे ज्यादा मिला है। इसकी वजह से बच्चों में शारीरिक कमजोरी है और आयु के अनुरूप शारीरिक वृद्धि नहीं हो रही है।

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