UP में ईसाइयों पर बढ़ते हमले: बीते पांच दिनों, 20 से 24 नवंबर तक उत्पीड़न की 14 बड़ी घटनाएं चिन्हित

Written by Navnish Kumar | Published on: November 26, 2022


20 से 24 नवंबर तक पिछले पांच दिनों में उत्तर प्रदेश में ईसाइयों के उत्पीड़न की 14 बड़ी घटनाएं चिन्हित हुई हैं। फादर आनंद (IMS) द्वारा विभिन्न स्रोतों और रिपोर्टों के आधार पर इन बीते 5 दिनों में 14 बड़ी घटनाएं संकलित की गई हैं जो निम्न हैं।

रविवार, 20.11.22 
1. बरेली के बंसी नगला में पादरी भगवान दास, पादरी पवन और सिस्टर प्रेरणा गिरफ्तार। बाद में दोनों पादरियों को जेल भेज दिया गया।
2. गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद के इब्राहिमपुर गांव के पादरी राजू को पुलिस ने हिरासत में लिया और काफी बाद में जाकर रिहा किया गया।
 3. 15 अप्रैल को SHUATS, इलाहाबाद का एक छात्र जॉनसन एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड द्वारा ईसीआई चर्च, हरिहरगंज फतेहपुर में कथित तौर से "मौंडी थर्सडे सेवा" में भाग लेने के लिए गिरफ्तार किया गया।
4. इसी (उपरोक्त) मामले में ईसाई समुदाय के 13 अन्य लोगों को भी राज्य के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
5. रायबरेली जिले के ऊंचाहार में 'ननका का पुरवा' से पादरी मुन्नालाल तथा 17 अन्य लोगों (ईसाइयों) को गिरफ्तार किया गया।

सोमवार, दिनांक 21.11.2022
6. बिजनौर जिले के भूतपुरी थाना पुलिस द्वारा सुनीता और पिंटू को प्रार्थना सभा में भाग लेने के दौरान हिरासत में लिया गया।

मंगलवार, 22.11.22
7. इब्राहिमपुर, गाजीपुर के पादरी राजू और उनकी पत्नी को जबरन हिंदू रीति-रिवाजों द्वारा हिंदू धर्म में परिवर्तित कराया गया।
8. जौनपुर, मछली शहर के गोकुल गौतम, गुलाब गौतम और गुड्डू (कैलाशनाथ) गौतम को गिरफ्तार किया गया और बाद में जेल भेज दिया गया।
9. बरेली के पादरी वीरेंद्र कुमार को अपने घर में प्रार्थना सभा बंद करने को कहा गया।

बुधवार, 23.11.22
10. सरायमीर, आजमगढ़ के पादरी अच्छेलाल राही को गिरफ्तार कर, जेल भेज दिया गया।

 गुरुवार, 24.11.22
11. रायबरेली जिले में खजुहा के पादरी कमलेश को कथित तौर पर अपने ही घर में प्रार्थना कराने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया जिन्हें बाद में जेल भेज दिया गया। उनकी पवित्र बाइबिल और प्रार्थना पुस्तकें पुलिस द्वारा जब्त कर ली गई हैं।
12. कुशीनगर जिले के जेठवा के बेहपारीपुर के पादरी उमेश कुमार को कथित तौर पर अपने घर में प्रार्थना सभा बंद करने को कहा गया।
13. रायबरेली के खिरोन थाना पुलिस द्वारा पादरी प्रदीप, उनके बेटे और अन्य विश्वासियों (श्रद्धालुओं) को कथित तौर पर प्रभु यीशु मसीह की प्रार्थना सभा आयोजित करने के आरोप में हिरासत में ले लिया गया।
14. इवेंजेलवादी (ईसाई मत प्रचारक) मिशनरी के अनिल कुजूर, बासिल तिग्गा, धर्मलाल तिर्की और जीवित लाल तिग्गा को बलरामपुर जिले के राजपुर में गिरफ्तार किया गया।

इनमें से अधिकांश घटनाओं को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया द्वारा ईसाइयों द्वारा किए गए अपराधों के रूप में रिपोर्ट किया गया। जबकि वास्तव में हिंदुत्व दलों (समूहों) के असामाजिक तत्वों द्वारा किए गए हिंसक आपराधिक कृत्यों के बाद हिरासत, गिरफ्तारी और जेल भेजने की ये कार्यवाहियां की गई थीं। लेकिन उन अपराधियों में से किसी को भी न तो हिरासत में लिया गया और न ही गिरफ्तार किया गया।
 
हिंदुत्व समूहों द्वारा ईसाइयों पर हमलों के बीच, कथित तौर पर उप्र पुलिस ने राज्य के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत पादरियों को जेल भेजना शुरू कर दिया है। देंखे तो वर्ष 2021 के दौरान, यूपी में ईसाइयों के उत्पीड़न के 103 मामले दर्ज हुए और एक दर्जन से अधिक पादरियों को कथित तौर से अवैध धर्मांतरण के आरोप में जेल भेजा गया। 
 
पादरियों के खिलाफ अवैध धर्मांतरण के मामले, राज्य के नए धर्मांतरण विरोधी कानून, उत्तर प्रदेश के गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2021, के तहत दायर किए गए थे, जो धर्म परिवर्तन को एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में ईसाई समुदाय के साथ हिंसा की 300 से अधिक घटनाएं सामने आई हैं जिनमें उत्तर प्रदेश शीर्ष पर रहा। 

पिछले दिनों हमने कई मुस्लिम मौलवियों को धर्मांतरण के आरोप में निशाना बनते देखा है। अब ईसाइयों के साथ ऐसा हो रहा है। 'धर्मांतरण' एक राजनीतिक गिमिक है। पिछले कुछ समय से कथित तौर पर हिंदू युवा वाहिनी उत्तर प्रदेश में इस काम को देख रही है। बता दें कि हिंदू युवा वाहिनी की शुरुआत स्वयं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की थी। एक रिपोर्ट के अनुसार यूपी के शाहजहांपुर, रायबरेली, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, बिजनौर, आजमगढ़, फतेहपुर व बरेली आदि जगहों पर कथित तौर पर ईसाईयों को डराने धमकाने की कुछ घटनाएं सामने आई हैं। जब उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की तो आरोप है कि प्रशासन द्वारा उल्टा उनपर ही मामला दर्ज कर लिया गया। 

अन्य राज्यों में बिहार (19), ओडिशा (15), महाराष्ट्र (13), तमिलनाडु (12), गुजरात (9), पंजाब (8), आंध्र प्रदेश (5), हरियाणा (5), उत्तराखंड (5), दिल्ली (3), तेलंगाना (2), पश्चिम बंगाल (2), राजस्थान (2), असम (1) और हिमाचल प्रदेश (1) में भी ईसाईयों के खिलाफ हिंसा हुई है। लेकिन दक्षिण राज्य कर्नाटक में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की एक बड़ी संख्या देखने को मिली है। कर्नाटक में इस अवधि में 32 घटनाएं दर्ज हुई हैं।
 
2022 की बात करें तो इस साल के  शुरुआत में फतेहपुर के तीन पुलिस थानों ने सामूहिक रूप से कम-से-कम सात प्राथमिकियां (एफआईआर) दर्ज की हैं और अब तक करीब 55 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये पुलिस कार्रवाई कथित तौर पर विहिप या बजरंग दल के सदस्यों की उन शिकायतों पर हुई हैं कि कोई ईसाई समूह या व्यक्ति प्रलोभन, छल और जबरदस्ती, या इनमें से कुछ के संयोजन के माध्यम से हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश कर रहा है। 

यहां तक कि यूपी आतंकवाद निरोधी दस्ता (एंटी टेररिज्म स्क्वॉड–एटीएस) भी इसमें शामिल हो गया है। सूत्रों के अनुसार, जिले में दर्ज धर्मांतरण के विभिन्न मामलों का जायजा लेने के लिए एटीएस की एक टीम पिछले हफ्ते फतेहपुर पहुंची थी जो कथित तौर पर हरिहरगंज थाना क्षेत्र में इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया (ईसीआई) की एक शाखा के फंडिंग के स्रोत की भी जांच कर रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल 15 अप्रैल से 20 नवंबर के बीच कथित तौर पर ग्लोबल क्रिश्चियन चैरिटी वर्ल्ड विजन इंटरनेशनल से संबंध रखने के आरोप में इस चर्च से 41 गिरफ्तारियां हुई हैं। इसके अलावा पुलिस ने चर्च के पादरी विजय मसीह समेत धर्मान्तरित हुए लोगों के बदले हुए नामों वाले कई आधार कार्ड बरामद करने का भी दावा किया है। खागा पुलिस स्टेशन ने भी इस साल जनवरी और सितंबर के बीच पांच धर्मांतरण संबंधी मामले दर्ज किए हैं जिनमें 10 गिरफ्तारियां हुई हैं।

इनपुट: फादर आनंद

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