एसडीएम आयुष सिन्हा, जिन्होंने कथित तौर पर विरोध करने वाले किसानों के "सिर फोड़ने" की सलाह दी थी, किसान समूहों के बढ़ते दबाव के बावजूद बर्खास्तगी को चकमा दे रहे हैं।
किसानों के व्यापक विरोध के बीच, हरियाणा सरकार ने 1 सितंबर को आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा को करनाल उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के पद से स्थानांतरित कर दिया। अब वह जिला नागरिक संसाधन सूचना विभाग (सीआरआईडी) में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्यभार संभालेंगे। यह कदम किसानों पर करनाल के लाठीचार्ज के तीन दिन बाद आया है, जिसमें एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी।
28 अगस्त को, सिन्हा ने एक एसडीएम के रूप में अपनी हनक दिखाते हुए कथित तौर पर बस्तारा टोल प्लाजा पर इकट्ठे हुए किसानों पर क्रूर लाठीचार्ज करने का आह्वान किया था। सिन्हा ने कथित तौर पर अपने लोगों को प्रदर्शनकारियों के "सिर तोड़ने" का निर्देश दिया। इस हिंसा ने किसानों और नागरिक समाज के संगठनों को समान रूप से भड़काया, जिन्होंने पूरे भारत में प्रदर्शन किए। किसानों ने सिन्हा को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की। हालांकि, प्रशासन ने अभी-अभी सिन्हा को 19 अन्य अधिकारियों के साथ स्थानांतरित किया है।
किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के कानूनी प्रकोष्ठ ने बताया कि स्थानांतरण, दंडात्मक पदावनति के बजाय एक पदोन्नति की तरह ज्यादा काम करता है, यह एक तरह का इनाम है। इससे पहले, खट्टर ने भी लाठीचार्ज का बचाव करते हुए कहा था कि कानून-व्यवस्था बनाए रखी जानी चाहिए।
इस बीच उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सिन्हा के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया था। किसान पहले ही मांग कर चुके हैं कि सिन्हा पर किसान सुशील काजल की हत्या का आरोप लगाया जाए, जिन्हें पुलिस ने घायल होने के बावजूद अस्पताल में घुसने तक नहीं दिया।
किसानों की मांग का समर्थन
करनाल के किसानों के खिलाफ हिंसा की निंदा करने के लिए बुधवार को मुंबई के कार्यकर्ता और पत्रकार चर्चगेट स्टेशन के बाहर एकत्र हुए। 15 से अधिक संगठनों ने खूनी लाठीचार्ज के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए विरोध किया।
सबरंगइंडिया की सह-संस्थापक और संपादक तीस्ता सीतलवाड़, कार्यकर्ता और राकांपा नेता विद्याताई चव्हाण, माकपा सदस्य शैलेंद्र कांबले, स्वतंत्र पत्रकार गीता सेशु, नारीवादी हसीना खान सहित अन्य ने बैनर लेकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। युवा कार्यकर्ता सुदिति व अन्य ने जमकर नारेबाजी की।
सदस्यों ने सिन्हा के खिलाफ सख्त कार्रवाई, खट्टर का इस्तीफा, किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी के लिए कानूनी और वैधानिक गारंटी की मांग करते हुए एक घंटे से अधिक समय तक विरोध किया। लोगों ने भाजपा शासन की जनविरोधी नीतियों की निंदा की।
Trans: Bhaven
Related:
AIKS ने किसान सुशील काजल की मौत की न्यायिक जांच की मांग की
'सिर फोड़ने' का आदेश कितना जायज? तीस्ता सीतलवाड़ की पूर्व IPS विभूति नारायण राय से खास बातचीत
हरियाणा: करनाल में किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज, कई घायल
किसानों के व्यापक विरोध के बीच, हरियाणा सरकार ने 1 सितंबर को आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा को करनाल उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के पद से स्थानांतरित कर दिया। अब वह जिला नागरिक संसाधन सूचना विभाग (सीआरआईडी) में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्यभार संभालेंगे। यह कदम किसानों पर करनाल के लाठीचार्ज के तीन दिन बाद आया है, जिसमें एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी।
28 अगस्त को, सिन्हा ने एक एसडीएम के रूप में अपनी हनक दिखाते हुए कथित तौर पर बस्तारा टोल प्लाजा पर इकट्ठे हुए किसानों पर क्रूर लाठीचार्ज करने का आह्वान किया था। सिन्हा ने कथित तौर पर अपने लोगों को प्रदर्शनकारियों के "सिर तोड़ने" का निर्देश दिया। इस हिंसा ने किसानों और नागरिक समाज के संगठनों को समान रूप से भड़काया, जिन्होंने पूरे भारत में प्रदर्शन किए। किसानों ने सिन्हा को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की। हालांकि, प्रशासन ने अभी-अभी सिन्हा को 19 अन्य अधिकारियों के साथ स्थानांतरित किया है।
किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के कानूनी प्रकोष्ठ ने बताया कि स्थानांतरण, दंडात्मक पदावनति के बजाय एक पदोन्नति की तरह ज्यादा काम करता है, यह एक तरह का इनाम है। इससे पहले, खट्टर ने भी लाठीचार्ज का बचाव करते हुए कहा था कि कानून-व्यवस्था बनाए रखी जानी चाहिए।
इस बीच उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सिन्हा के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया था। किसान पहले ही मांग कर चुके हैं कि सिन्हा पर किसान सुशील काजल की हत्या का आरोप लगाया जाए, जिन्हें पुलिस ने घायल होने के बावजूद अस्पताल में घुसने तक नहीं दिया।
किसानों की मांग का समर्थन
करनाल के किसानों के खिलाफ हिंसा की निंदा करने के लिए बुधवार को मुंबई के कार्यकर्ता और पत्रकार चर्चगेट स्टेशन के बाहर एकत्र हुए। 15 से अधिक संगठनों ने खूनी लाठीचार्ज के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए विरोध किया।
सबरंगइंडिया की सह-संस्थापक और संपादक तीस्ता सीतलवाड़, कार्यकर्ता और राकांपा नेता विद्याताई चव्हाण, माकपा सदस्य शैलेंद्र कांबले, स्वतंत्र पत्रकार गीता सेशु, नारीवादी हसीना खान सहित अन्य ने बैनर लेकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। युवा कार्यकर्ता सुदिति व अन्य ने जमकर नारेबाजी की।
सदस्यों ने सिन्हा के खिलाफ सख्त कार्रवाई, खट्टर का इस्तीफा, किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी के लिए कानूनी और वैधानिक गारंटी की मांग करते हुए एक घंटे से अधिक समय तक विरोध किया। लोगों ने भाजपा शासन की जनविरोधी नीतियों की निंदा की।
Trans: Bhaven
Related:
AIKS ने किसान सुशील काजल की मौत की न्यायिक जांच की मांग की
'सिर फोड़ने' का आदेश कितना जायज? तीस्ता सीतलवाड़ की पूर्व IPS विभूति नारायण राय से खास बातचीत
हरियाणा: करनाल में किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज, कई घायल