नई दिल्ली: हापुड़ लिंचिंग केस में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल करने को लेकर कोई भी निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट के सामने अतिरिक्त दस्तावेज या अर्जी दाखिल करने की इजाजत दी। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की उस मांग को भी खारिज किया कि इस केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में बंद कर दी जाए। सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल याचिका लंबित रख दी है।
हमले में जख्मी हुए समयुद्दीन और मारे गए कासिम के बेटे मेहताब की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि सोमवार को ही यूपी सरकार ने बताया है कि वो इस मामले में अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल करेगी। इससे पहले चार अक्तूबर 2018 को पहली चार्जशीट दाखिल की गई थी। वहीं यूपी सरकार की ओर से आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता इस मामले में कोर्ट में पेश नहीं हो रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। आपको बता दें कि इस केस में सही तरह से जांच न होने को लेकर दाखिल की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई हो रही है।
जनवरी 2019 में, कासिम के भाइयों सलीम और नदीम ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत जेएम के समक्ष अपने बयान दर्ज कराने की गुहार लगाई थी। 3 मई, 2019 को यूपी सरकार द्वारा एससी को एक ताजा स्थिति रिपोर्ट सौंपी गई, जिसका प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किया।
याचिकाकर्ताओं ने स्टेटस रिपोर्ट में भयावह विसंगतियों का हवाला दिया, जिसकी एक प्रति उन्हें प्रदान की गई थी। इससे आरोपियों को आसानी से बरी किया जा सकता था। हालाँकि, ट्रायल कोर्ट ने इन अपराधों को करने के लिए हत्या, हत्या का प्रयास, दंगा करने, घातक हथियार से लैस दंगा करने के लिए धारा 149 आईपीसी के तहत आरोप तय किए और धारा 302/149 आईपीसी, 307/149 आईपीसी, 147 आईपीसी, 148 आईपीसी और 153 ए आईपीसी के तहत धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप तय किए गए।
27 मई, 2018 को यूपी राज्य द्वारा दायर किए गए प्रतिज्ञापत्र के हलफनामे के अनुसार, 15 मई 2019 को मृतक के भाइयों के बयान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हापुड़ के समक्ष दर्ज किए गए थे। हालांकि, इन बयानों को अभी तक रिकॉर्ड पर नहीं रखा गया है।
सुप्रीम कोर्ट में पीड़ित की तरफ से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि जांच सही दिशा में नहीं हो रही है लिहाजा सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करे। वहीं यूपी सरकार ने कहा है कि इस मामले में 6 महीने में ट्रायल पूरा कर लेंगे। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी।
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में उत्तर प्रदेश के हापुड़ में गोवंश की तस्करी के इल्जाम में भीड़ ने तीन-चार लोगों पर हमला कर दिया था। इस हमले में 48 वर्षीय कासिम की मौत हो गई थी। हमले में जख्मी हुए समयद्दीन और मारे गए कासिम के बेटे ने कोर्ट में याचिका लगाकर मांग की है कि मामले की जांच उत्तर प्रदेश से बाहर की एसआईटी करे।
हमले में जख्मी हुए समयुद्दीन और मारे गए कासिम के बेटे मेहताब की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि सोमवार को ही यूपी सरकार ने बताया है कि वो इस मामले में अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल करेगी। इससे पहले चार अक्तूबर 2018 को पहली चार्जशीट दाखिल की गई थी। वहीं यूपी सरकार की ओर से आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता इस मामले में कोर्ट में पेश नहीं हो रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। आपको बता दें कि इस केस में सही तरह से जांच न होने को लेकर दाखिल की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई हो रही है।
जनवरी 2019 में, कासिम के भाइयों सलीम और नदीम ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत जेएम के समक्ष अपने बयान दर्ज कराने की गुहार लगाई थी। 3 मई, 2019 को यूपी सरकार द्वारा एससी को एक ताजा स्थिति रिपोर्ट सौंपी गई, जिसका प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किया।
याचिकाकर्ताओं ने स्टेटस रिपोर्ट में भयावह विसंगतियों का हवाला दिया, जिसकी एक प्रति उन्हें प्रदान की गई थी। इससे आरोपियों को आसानी से बरी किया जा सकता था। हालाँकि, ट्रायल कोर्ट ने इन अपराधों को करने के लिए हत्या, हत्या का प्रयास, दंगा करने, घातक हथियार से लैस दंगा करने के लिए धारा 149 आईपीसी के तहत आरोप तय किए और धारा 302/149 आईपीसी, 307/149 आईपीसी, 147 आईपीसी, 148 आईपीसी और 153 ए आईपीसी के तहत धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप तय किए गए।
27 मई, 2018 को यूपी राज्य द्वारा दायर किए गए प्रतिज्ञापत्र के हलफनामे के अनुसार, 15 मई 2019 को मृतक के भाइयों के बयान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हापुड़ के समक्ष दर्ज किए गए थे। हालांकि, इन बयानों को अभी तक रिकॉर्ड पर नहीं रखा गया है।
सुप्रीम कोर्ट में पीड़ित की तरफ से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि जांच सही दिशा में नहीं हो रही है लिहाजा सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करे। वहीं यूपी सरकार ने कहा है कि इस मामले में 6 महीने में ट्रायल पूरा कर लेंगे। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी।
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में उत्तर प्रदेश के हापुड़ में गोवंश की तस्करी के इल्जाम में भीड़ ने तीन-चार लोगों पर हमला कर दिया था। इस हमले में 48 वर्षीय कासिम की मौत हो गई थी। हमले में जख्मी हुए समयद्दीन और मारे गए कासिम के बेटे ने कोर्ट में याचिका लगाकर मांग की है कि मामले की जांच उत्तर प्रदेश से बाहर की एसआईटी करे।