अहमदाबाद। पिछले कुछ महीने पहले जब दिल्ली में दंगे हुए थे तब भाजपा नेताओं पर कार्रवाई करने के आदेश देने वाले जज का तबादला कर दिया गया था। यह मुद्दा खूब सुर्खियों में रहा था। ताजा मामला गुजरात हाईकोर्ट का है, जहां के बारे में यह कहा जा रहा है कि जज इलेश वोरा को सरकार ने बेंच से इसलिए बेदखल करा दिया है, क्योंकि उन्होंने हाल ही में गुजरात सरकार की कोरोना से निपटने के तरीकों और मजदूरों के प्रति रवैये को लेकर तीखी आलोचना की थी।
अबतक कोरोना और उससे निपटने को लेकर जो जनहित याचिकाएं दाखिल हो रही थीं, उसके सुनवाई का अधिकार गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और इलेश जे वोरा को था। इस बेंच के पास कोरोना से उपजे संकट, प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था और सुविधा के मामलों की सुनवाई का भी अधिकार था।
इसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए न्यायाधीश इलेश जे वोरा ने 11 मई को प्रवासी मजदूरों को लेकर गुजरात सरकार की तीखी आलोचना की थी। उस आलोचना की देशभर में चर्चा हुई, जिसके कारण गुजरात की भाजपा सरकार के प्रशासनिक अक्षमता की बात भी सामने आई। मुख्य न्यायाधीश की इस बेंच ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के हालातों को लेकर कहा था कि यहां की व्यवस्थाएं नारकीय हैं।
मुख्य न्यायाधीश की इस बेंच ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के हालातों को लेकर जहां 11 मई को कहा था कि यहां की व्यवस्थाएं नारकीय हैं, वहीं कोर्ट ने इसके बाद 22 मई को कहा था कि वेंटीलेटर न होने की वजह से कोरोना के गंभीर रोगियों की संख्या बढ़ी है। इसके कारण मरने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा होगा। अब ऐसे मामलों की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ के साथ इलेश जे वोरा की जगह जेपी परदीवाला करेंगे।
अबतक कोरोना और उससे निपटने को लेकर जो जनहित याचिकाएं दाखिल हो रही थीं, उसके सुनवाई का अधिकार गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और इलेश जे वोरा को था। इस बेंच के पास कोरोना से उपजे संकट, प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था और सुविधा के मामलों की सुनवाई का भी अधिकार था।
इसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए न्यायाधीश इलेश जे वोरा ने 11 मई को प्रवासी मजदूरों को लेकर गुजरात सरकार की तीखी आलोचना की थी। उस आलोचना की देशभर में चर्चा हुई, जिसके कारण गुजरात की भाजपा सरकार के प्रशासनिक अक्षमता की बात भी सामने आई। मुख्य न्यायाधीश की इस बेंच ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के हालातों को लेकर कहा था कि यहां की व्यवस्थाएं नारकीय हैं।
मुख्य न्यायाधीश की इस बेंच ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के हालातों को लेकर जहां 11 मई को कहा था कि यहां की व्यवस्थाएं नारकीय हैं, वहीं कोर्ट ने इसके बाद 22 मई को कहा था कि वेंटीलेटर न होने की वजह से कोरोना के गंभीर रोगियों की संख्या बढ़ी है। इसके कारण मरने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा होगा। अब ऐसे मामलों की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ के साथ इलेश जे वोरा की जगह जेपी परदीवाला करेंगे।