लखनऊ। इजरायल में भारत सरकार द्वारा भेजे जा रहे निर्माण मजदूरों के जीवन की सुरक्षा के लिए उन्हें तत्काल वहां जाने से रोकने की मांग आज वर्कर्स फ्रंट ने केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव से की है।
उन्हें भेजे पत्र में वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहा कि लम्बे समय से इजराइल और फिलिस्तीन के बीच में भयंकर युद्ध हो रहा है। इस बीच भारत सरकार के इजराइल से करार के तहत लगातार यहां के श्रमिक भेजे जा रहे हैं। कई खेप में बड़ी संख्या में मजदूरों को भेजे जाने का सिलसिला चल रहा है जो लगातार जारी है।
जो मजदूर वहां जा रहे हैं उन्हें यहां भारत में जिंदा रहना मुश्किल हो रहा है। मजदूरों का कहना है कि यहां भूख से मरने से तो बेहतर है वहां काम करते हुए मरना। जो मजदूर इजरायल जा रहे हैं उन्हें वहां चल रहे युद्ध और आसन्न खतरों के बारे खूब जानकारी है किंतु कहते हैं ना ‘मरता क्या न करता’। फिर अभी कल से ईरान और इजरायल के बीच में भी युद्ध की शुरुआत हो गई है। इस युद्ध में मिसाइलों और ड्रोन के हमले हो रहे हैं और बम बरसाए जा रहे हैं जिससे वहां लगातार लोगों की मौत हो रही है।
अभी पिछले दिनों भारत सरकार ने एक एडवाजरी जारी करते हुए अपने नागरिकों को ईरान और इजराइल की यात्रा न करने की सलाह दी है। आखिर यह एडवाइजरी किनके लिए है? क्या किसी खास वर्ग के लिए? ऐसा लगता है कि मोदी सरकार को हमारे देश के गरीबों और श्रमिकों के जान की कोई चिंता नहीं है।
भारत सरकार ने इन ख़तरनाक परिस्थितियों के बावजूद मजदूरों की बेरोजगारी का फायदा उठाते हुए देशभर से एक लाख श्रमिकों को निर्माण कार्य के लिए इजराइल भेजने का निर्णय लिया है। इन श्रमिकों की भर्ती, जांच आदि की कार्यवाही हो चुकी है और श्रमिकों को भेजने की तैयारी है। इन स्थितियों में श्रमिकों को इजराइल भेजना उनकी जान को जोखिम में डालना है और सरकार की यह कार्यवाही भारत के हर नागरिक को संविधान में वर्णित अनुच्छेद 21 के तहत जीवन जीने के प्राप्त अधिकार का अतिक्रमण करती है।
ऐसे में वर्कर्स फ्रंट ने अपने मांग पत्र में यह निवेदन किया है कि इजराइल में भयंकर युद्ध की स्थितियों को देखते हुए तत्काल प्रभाव से भारत से श्रमिकों को इजराइल भेजने की प्रक्रिया रोकी जाए और श्रमिकों को किसी भी हाल में इजराइल ना भेजा जाय।
(दिनकर कपूर यू. पी. वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष हैं)
Courtesy: Janchowk