देश का जितना नुकसान भक्त प्रजाति ने किया है उतना किसी ने नहीं किया

Written by गिरीश मालवीय | Published on: October 12, 2019
मैं तो भक्तों की भक्ति देख कर हैरान होता हूँ ....अरे भाई बनना ही है तो देश के भगत बनिए न, ......किसी नेता की क्यो चाट रहे हैं! .......कम से कम सही को सही तो बोलने की हिम्मत करिए, सच का तो साथ दीजिए!



ये जो ऊपर ही ऊपर "देश पहले' या 'मैं रहूं न रहूं भारत ये रहना चाहिए' टाइप की बात करते हैं, मौका मिलते ही ये लोग अपने आराध्य की भक्ति में लीन हो जाते हैं और उसकी हर गलत बात पर मुंडी हिलाते हुए नजर आ जाते हैं कल एक परम भक्त भाईसाहब बोले कि हां साहब जीएसटी में तो बहुत विसंगतियां है उनसे मैंने जब पूछा कि आपने अपनी वॉल पर इन विसंगतियों के विरोध में कितना लिखा इतना ही बता दो तो गायब हो गए!

मुझे अच्छी तरह से याद है कि 1993 में गेट समझौता ओर डंकल प्रस्ताव पर एक देशव्यापी बहस चली थी तब सोशल मीडिया नही था लेकिन एक अवेयरनेस देखी जा रही थी. आज देश क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी RCEP समझौते पर साइन करने के इतना निकट पुहंच गया है अब वार्ता निर्णायक दौर में है लेकिन कोई इतने महत्वपूर्ण विषय पर बात तक करने को तैयार नहीं.

RCEP पर बातचीत के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक जा रहे हैं. इस समझौते के लिए 8वीं मंत्रिस्तरीय बैठक होने जा रही है. यह आखिरी दौर की बातचीत है नवम्बर में RCEP पर फाइनल फैसला लिया जाना है एक ऐसा प्रस्त‍ावित व्यापक व्यापार समझौता है जिसके लिए आसियान के 10 देशों के अलावा 6 अन्य देश-चीन, भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्ष‍िण कोरिया, जापान और न्यूजीलैंड के बीच बातचीत चल रही है.

कृषि, डेयरी, स्टील सेक्टर, टेक्सटाइल जैसे कई औद्योगिक सेक्टर के लोग भी इस समझौते का विरोध कर रहे हैं उन्हें आशंका है कि इससे भारत में चीनी सामान की बाढ़ आ जाएगी।

डेयरी इंडस्ट्री को खासतौर से ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड के डेयरी उत्पाद से बाजार पट जाने का डर है. कारोबारियों के संगठन कैट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डेयरी उत्पादों को प्रस्तावित आरसीईपी से बाहर रखने का आग्रह किया है.

लुधियाना के साइकिल उद्योग ने भी सरकार से आग्रह किया है कि साइकिल को RCEP व्यापार करार में शामिल नहीं किया जाए। उद्योग का दावा है कि यदि ऐसा होता है तो भारत में चीनी साइकिलों की ‘बाढ़’ आ जाएगी और भारतीय साइकिल उद्योग ढह जाएगा

टेक्सटाइल इंडस्ट्री के प्रतिनिधि कह रहे हैं कि इस फ्री ट्रेड एग्रीमेन्ट के कारण चीन सहित अन्य 14 देशों के साथ जो समझौता होगा उसके कारण भारत में कपड़े का आयात ड्यूटी फ्री कर दिया जाएगा। यदि ऐसा होता है तो सूरत सहित देशभर का कपड़ा उद्योग बर्बाद हो जाएगा

स्टील इंडस्ट्री भी ऐसी ही आशंका जता रही है लेकिन उसके बावजूद भी यह मुद्दा लाइमलाइट से गायब है. क्योंकि भक्तों को दिन रात हिन्दू मुस्लिम की माला जपनी है देश का व्यापार कारोबार बर्बाद हो जाए तो हो जाए,........... हमें तो मोदी जी की हर बात में बस मुंडी हिला देना है..... इस देश का जितना नुकसान इस भक्त प्रजाति ने किया है उतना किसी ने नही किया और इस नुकसान का असली परिणाम हमारी अगली पीढ़ी भुगतेगी ....... लिख के रख लीजिए वक्त जरूरत पर काम आएगा ...............

 

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