यह प्रश्न पूछा जाना बेहद जरूरी है, लेकिन जन सरोकार जैसे विषयों से जान छुड़ाकर भागता हुआ ....ओर कारपोरेट की दलाली करता मीडिया अब ऐसे प्रश्न नही उठाता !
पिछले 1 महीने से भी कम समय मे लगभग तीन ऐसी बड़ी घटनाएं सामने आई है जिससे पता चलता है कि जेट एयरवेज के विमानों के मेंटनेंस में गंभीर गड़बड़ियां है
2 महीने पहले ही पता चला कि जेट एयरवेज की वित्तीय हालत काफी खराब हो गई ओर कंपनी ने अपने कर्मचारियों से स्पष्ट कह दिया कि खर्चे कम करने के उपाय नहीं किए गए तो कंपनी के लिए 60 दिन के बाद ऑपरेट करना नामुमिकन होगा, ओर कम्पनी ने अपने एंप्लॉयीज को निकालना शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत इंजिनियरिंग डिपार्टमेंट के लोगों से हुई थी
बड़े बैंको ने भी इसे कर्ज देने से साफ इंकार कर दिया था वैसे पिछले महीने यह खबर भी आयी कि खर्च चलाने के कुछ इंतजाम किए गए हैं लेकिन फिर इस चालू महीनो में यह हालात बन रहे हैं कि जेट एयरवेज अपने सीनियर मैनेजमेंट, पायलटों और इंजीनियरों को ओर अन्य श्रेणी के कर्मचारियों को भी ठीक से सैलरी नहीं दे पाई है.
अब सोचने में यह बात आती है कि जो कम्पनी महीनो से अपने कर्मचारियों को ठीक से सैलरी भी नही दे पा रही है वह हवाई उड़ानों में लगे विमानों का क्या ठीक से मेंटनेंस कर पा रही होंगी ? पिछले 30 दिनों में कुछ ऐसी खबरें बाहर आई हैं जिसके कारण यह शक गहराता जा रहा है कि जेट एयरवेज द्वारा अपने विमानों के रख रखाव में गंभीर लापरवाही बरती जा रही हैं.
पहली खबर यह आयी कि जेट एयरवेज़ की मुंबई-जयपुर उड़ान को टेकऑफ के बाद मुंबई वापस उतारना पड़ा, इसकी वजह यह बताई गयीं कि टेकऑफ के दौरान क्रू केबिन प्रेशर को बरकरार रखने का स्विच दबाना भूल गया था, जिसकी वजह से 166 में से 30 यात्रियों की नाक और कान से खून बहने लगा, वैसे यह वजह गले नही उतरती विमान में जब ऑटो पायलट तक की व्यवस्था रहती हैं तब यह मानना जरा मुश्किल हैं कि ऐसी भी मानवीय चूक की। संभावना हो, यह साफ साफ जेट एयरवेज की लापरवाही को दर्शाता है.
दूसरी घटना भी कुछ ऐसी ही है हैदराबाद से चंदीगढ़ जा रही जेट एयरवेज की फ्लाइट का इंजन हवा में ही खराब हो गया जिसके बाद फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिग करानी पड़ी. इस फ्लाइट में 96 लोग सवार थे. जैसे ही फ्लाइट का इंजन खराब हुआ पायलट ने तुरंत इंदौर एयरपोर्ट पर फ्लाइट की सुरक्षित लैंडिग कराई , एक इंजन के सहारे विमान उड़ता रहा यह बहुत बड़ी लापरवाही की बात है.
तीसरी घटना तीन से चार दिन पुरानी है. भोपाल में जेट एयरवेज की दिल्ली उड़ान अपने निर्धारित समय पर पुहंच गयी थी. इस विमान में दिल्ली जाने वाले सभी यात्रियों की बोर्डिग भी हो गई, लेकिन जैसे ही विमान का इंजन स्टार्ट किया गया तो पता चला कि वह विमान का भार भी नहीं उठा पा रहा था, ताबड़तोड़ इंजीनियर जब तकनीकी खामी को दूर नहीं कर सके तो यात्रियों को विमान से उतार दिया गया और कुछ देर बाद उड़ान रद्द होने की घोषणा कर दी गई.
इन तीनो घटनाओं से यह साफ है कि जेट द्वारा विमानों के मेंटनेंस के सम्बंध में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है और मोदी सरकार आँखों पर पट्टी बाँध कर कोई बड़ी घटना होने का इंतजार कर रही है, मीडिया कभी चेताने का काम किया करता था लेकिन अब वह अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में नाकाम साबित हो रहा है, इसीलिए यह लेख सोशल मीडिया पर लिखा जा रहा है.
पिछले 1 महीने से भी कम समय मे लगभग तीन ऐसी बड़ी घटनाएं सामने आई है जिससे पता चलता है कि जेट एयरवेज के विमानों के मेंटनेंस में गंभीर गड़बड़ियां है
2 महीने पहले ही पता चला कि जेट एयरवेज की वित्तीय हालत काफी खराब हो गई ओर कंपनी ने अपने कर्मचारियों से स्पष्ट कह दिया कि खर्चे कम करने के उपाय नहीं किए गए तो कंपनी के लिए 60 दिन के बाद ऑपरेट करना नामुमिकन होगा, ओर कम्पनी ने अपने एंप्लॉयीज को निकालना शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत इंजिनियरिंग डिपार्टमेंट के लोगों से हुई थी
बड़े बैंको ने भी इसे कर्ज देने से साफ इंकार कर दिया था वैसे पिछले महीने यह खबर भी आयी कि खर्च चलाने के कुछ इंतजाम किए गए हैं लेकिन फिर इस चालू महीनो में यह हालात बन रहे हैं कि जेट एयरवेज अपने सीनियर मैनेजमेंट, पायलटों और इंजीनियरों को ओर अन्य श्रेणी के कर्मचारियों को भी ठीक से सैलरी नहीं दे पाई है.
अब सोचने में यह बात आती है कि जो कम्पनी महीनो से अपने कर्मचारियों को ठीक से सैलरी भी नही दे पा रही है वह हवाई उड़ानों में लगे विमानों का क्या ठीक से मेंटनेंस कर पा रही होंगी ? पिछले 30 दिनों में कुछ ऐसी खबरें बाहर आई हैं जिसके कारण यह शक गहराता जा रहा है कि जेट एयरवेज द्वारा अपने विमानों के रख रखाव में गंभीर लापरवाही बरती जा रही हैं.
पहली खबर यह आयी कि जेट एयरवेज़ की मुंबई-जयपुर उड़ान को टेकऑफ के बाद मुंबई वापस उतारना पड़ा, इसकी वजह यह बताई गयीं कि टेकऑफ के दौरान क्रू केबिन प्रेशर को बरकरार रखने का स्विच दबाना भूल गया था, जिसकी वजह से 166 में से 30 यात्रियों की नाक और कान से खून बहने लगा, वैसे यह वजह गले नही उतरती विमान में जब ऑटो पायलट तक की व्यवस्था रहती हैं तब यह मानना जरा मुश्किल हैं कि ऐसी भी मानवीय चूक की। संभावना हो, यह साफ साफ जेट एयरवेज की लापरवाही को दर्शाता है.
दूसरी घटना भी कुछ ऐसी ही है हैदराबाद से चंदीगढ़ जा रही जेट एयरवेज की फ्लाइट का इंजन हवा में ही खराब हो गया जिसके बाद फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिग करानी पड़ी. इस फ्लाइट में 96 लोग सवार थे. जैसे ही फ्लाइट का इंजन खराब हुआ पायलट ने तुरंत इंदौर एयरपोर्ट पर फ्लाइट की सुरक्षित लैंडिग कराई , एक इंजन के सहारे विमान उड़ता रहा यह बहुत बड़ी लापरवाही की बात है.
तीसरी घटना तीन से चार दिन पुरानी है. भोपाल में जेट एयरवेज की दिल्ली उड़ान अपने निर्धारित समय पर पुहंच गयी थी. इस विमान में दिल्ली जाने वाले सभी यात्रियों की बोर्डिग भी हो गई, लेकिन जैसे ही विमान का इंजन स्टार्ट किया गया तो पता चला कि वह विमान का भार भी नहीं उठा पा रहा था, ताबड़तोड़ इंजीनियर जब तकनीकी खामी को दूर नहीं कर सके तो यात्रियों को विमान से उतार दिया गया और कुछ देर बाद उड़ान रद्द होने की घोषणा कर दी गई.
इन तीनो घटनाओं से यह साफ है कि जेट द्वारा विमानों के मेंटनेंस के सम्बंध में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है और मोदी सरकार आँखों पर पट्टी बाँध कर कोई बड़ी घटना होने का इंतजार कर रही है, मीडिया कभी चेताने का काम किया करता था लेकिन अब वह अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में नाकाम साबित हो रहा है, इसीलिए यह लेख सोशल मीडिया पर लिखा जा रहा है.