बावले गाँव मे ऊँट की सवारी है WHO में हर्षवर्धन को 34 सदस्यीय एग्जीक्यूटिव बोर्ड का चेयरमैन बनाया जाना

Written by Girish Malviya | Published on: May 21, 2020
कुछ लोग इसे मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि बता रहे उन्हें लग रहा है कि हर्षवर्धन WHO के महानिदेशक ही बन गए हैं जो अब ट्रेडोस की जगह प्रेसकांफ्रेस करते नजर आएंगे! दरअसल यह WHO की रोटेशन प्रणाली के तहत किया गया डिसीजन है बोर्ड के चेयरमैन का पद कई देशों के अलग-अलग ग्रुप में एक-एक साल के हिसाब से दिया जाता है। पिछले साल ही तय हुआ था कि अगले एक साल के लिए यह पद भारत के पास रहेगा।



लेकिन हां भारत की तरफ से डॉ हर्षवर्धन को इस पद के लिए भेजे जाना आश्चर्य की बात जरूर है क्योंकि जैसी उनकी बुद्धि है वह भारत देश के ज्ञान की डोंडी जरूर पिटवा देंगे। यह वही हर्षवर्धन है जिन्होने कुछ दिन पहले जब हवाईअड्डो पर थर्मल स्कैनर लगाए गए तब कहा था  “इस प्रक्रिया में विदेशों से आ रहे लोगों को हवाईअड्डे पर एक स्कैनर से होकर गुजरना होता है। इस दौरान यदि थर्मल स्कैनर से गुजरने वाले किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान सामान्य व्यक्ति के तापमान से अधिक पाया जाता है, तो ऐसे संदिग्ध की मेडिकल जांच की जाती है शरीर का तापमान अधिक होने पर थर्मल स्कैनर तुरंत इसकी जानकारी दे देता है. थर्मल स्कैनर एक इंफ्रारेड कैमरे की तरह काम करता है। इस स्कैनर के जरिए गुजरने वाले व्यक्ति के शरीर में मौजूद विषाणु इंफ्रारेड तस्वीरों में दिखाई पड़ते हैं, विषाणुओं की संख्या अधिक या खतरनाक स्तर पर होने पर व्यक्ति के शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है' देश के हर अखबार वेबसाइट में उनका यह बयान छपा था जिसमे वह थर्मल स्कैनर से 'वायरस' दिखने की बात कर रहे थे। यह मत पूछिए कि ऐसे व्यक्ति को स्वास्थ्य मंत्री किसने बनाया ? ये पूछिए कि इन्हें डॉक्टर की डिग्री कैसे मिल गयी?

अब बात करते हैं कि ऐसे व्यक्ति को WHO क्यो भेजा जा रहा है दरअसल उनके बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन से सम्बंध बहुत ही बेहतरीन रहे हैं। 18 नवम्बर 2019 को ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स की मीटिंग हुई थी जिसमे उन्होंने बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ औपचारिक MOU साइन किया है इसके अलावा जिसमे बिल गेट्स के विशेष रुचि है यानी नेशनल 'डिजिटल' हेल्थ मॉडल उसका ड्राफ्ट भी वही फाइनल कर रहे हैं, कोरोना काल मे लगभग हर हाई लेवल की मीटिंग में बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि मौजूद रहे ऐसा वे ओर नीति आयोग सुनिश्चित करता हैं। कमाल की बात है कि देश के सारे बड़े NGO इस मीटिंग में आते हैं लेकिन संघ का कोई प्रतिनिधि वहा मौजूद नही होता।

बिल गेट्स फाउंडेशन के साथ उनके पुराने रिश्ते है, दरअसल, 26 मई 2014 को जब मोदी सरकार बनी थी तब उन्हें ही स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था लेकिन छह महीने में ही उन्हें इस पद से हटा दिया गया ओर उनकी जगह जेपी नड्डा को बैठा दिया गया, लेकिन इन छह महीनों में वह भारत के टीकाकरण कार्यक्रम की रूपरेखा फाइनल कर चुके थे इस टीकाकरण प्रोग्राम को दिसम्बर 2014 में लॉन्च किया गया आज भी यह योजना बदस्तूर जारी है इस योजना का नाम है।

'मिशन इन्द्रधनुष' दरअसल यह एक बूस्टर टीकाकरण कार्यक्रम है जो कम टीकाकरण कवरेज वाले 201 ज़िलों में शुरू हुआ था। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की इस प्रोग्राम में विशेष रुचि थी। 'अप्रैल 2015 से जुलाई 2017 के बीच चले इस कार्यक्रम के अंतर्गत लगभग 25.5 मिलियन बच्चों और 6.9 मिलियन गर्भवती महिलाओं को कवर किया गया। इस यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम में पहले 7 रोगों के लिए टीका लगाया गया बाद में रोगों की संख्या 12 कर दी गई। फाउंडेशन के अच्छे रिश्ते जेपी नड्डा जी से कायम हो गए। 2017 के आखिर में पता लगा कि बिल गेट्स फाउंडेशन इस टीकाकरण प्रोग्राम में बड़ी गड़बड़ी कर रही है इसलिए आरएसएस के बढ़ते दबाव में मिशन इन्द्रधनुष में बिल गेट्स फाउंडेशन की भूमिका को सीमित कर दिया गया।

वैसे आपको एक बात और बता दूं अफ्रीकी देश नाइजीरिया में बिल गेट्स पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने नाइजीरिया में टीकाकरण प्रोग्राम को चालू करने के लिए 10 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी है। उन पर नाइजीरिया में अब मुकदमा भी चलाया जा रहा है यह बात पूरे विश्व मीडिया में चल रही है लेकिन आप तो हमारे देश के मीडिया का हाल जानते ही है। उसे तो बिल गेट्स को देवता जो सिद्ध करना है।

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