जर्मन मानवाधिकार आयुक्त बोलीं- फादर स्टेन स्वामी को मानवीय आधार पर रिहा किया जाना चाहिए

Written by Sabrangindia Staff | Published on: June 4, 2021
नई दिल्ली। जर्मनी की मानवाधिकार नीति एवं मानवीय सहायता आयुक्त बारबेल कॉफ्लर ने आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता और फादर स्टेन स्वामी की लगातार कैद को लेकर चिंताई है। उन्होंने कहा कि उन्हें मानवीय आधार पर रिहा किया जाना चाहिए। स्वामी उन 16 अधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और अकादमियों में से एक हैं, जिन्हें एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) उनकी जांच कर रही है।



कॉफ्लर ने एक जून को किए ट्वीट में कहा कि स्वामी आदिवासी अधिकारों के मुखर पुरोधा हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘उनकी उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए मैं संबद्ध प्रशासन से मानवीय आधार पर उनकी रिहाई पर विचार करने की त्वरित अपील करती हूं।’ गुरुवार सुबह भारत में जर्मन दूतावास ने कॉफ्लर के ट्वीट को रिट्वीट कर मानवीय अधिकार आयुक्त की अपील पर जोर दिया।



पार्किंसंस बीमारी से जूझ रहे स्टेन स्वामी पिछले साल अक्टूबर महीने से जेल में हैं। हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर दो दिन बाद 30 मई को उन्हें अस्पताल भर्ती कराया गया था, जहां वह कोरोना संक्रमित पाए गए थे। जेल से मुंबई के होली फैमिली अस्पताल में शिफ्ट कराने की याचिका एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ही संभव हो पाई थी।

स्टेन स्वामी पिछले साल अक्टूबर से ही तलोजा जेल में बंद रहे हैं, जिसे महाराष्ट्र की सबसे भीड़भाड़ वाली जेल माना जाता है। स्वामी को गिलास से पानी पीने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था और वह जेल में अपनी दैनिक क्रियाओं के लिए साथी कैदियों पर निर्भर थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही स्वामी को तलोजा जेल के भीतर बने अस्पताल में रहे हैं।

स्वामी शायद देश के सबसे बुजुर्ग कैदी हैं। सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट कोविड19 की स्थिति के मद्देनजर जेलों से कैदियों को कम करने के कई निर्देश दे चुके हैं। स्वामी के मामले पर रिहाई के लिए विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि उन पर भी कई अन्य कैदियों की तरह गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है। 

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