गौरक्षक दलों पर प्रतिबंध की माँग- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और 6 राज्यों से माँगा जवाब

Written by महेंद्र नारायण सिंह यादव | Published on: October 24, 2016

गौरक्षा के नाम पर बने संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की माँग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और छह राज्य सरकारों से जवाब माँगा है।


Gau Rakshak


याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला ने गौरक्षा के नाम पर दलितों और मुसलमानों के खिलाफ हो रही हिंसा रोकने की माँग की है और कहा है कि ऐसी हिंसा करने वाले संगठनों पर उसी तरह से पाबंदी लगाई जाए जिस तरह की पाबंदी सिमी जैसे संगठन पर लगी है।

याचिका में कहा गया है कि देश में कुछ राज्यों में गौरक्षा दलों को सरकारी मान्यता मिली हुई है जिससे इनके हौंसले बढ़े हुए हैं। माँग की गई है कि गौरक्षक दलों की सरकारी मान्यता समाप्त की जाए।

गौरक्षक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को सुनवाई हुई, जिसके बाद न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की पीठ ने केंद्र और छह राज्य सरकारों से 7 नवंबर तक अपने जवाब देने को कहा।
 
याचिका के साथ में गौरक्षक दलों की हिंसा के वीडियो और अखबार की कटिंग लगाई गई हैं और अदालत से इनका संज्ञान लेने को कहा गया है। केंद्र के अलावा, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब माँगा है। अगली सुनवाई 7 नवंबर को ही होगी। 

ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि अधिकतर गौरक्षक अपराधी होते हैं, और दिन में गौरक्षक बन जाते हैं तथा रात में अपराध करते हैं। हालाँकि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गौरक्षकों को देशसेवक मानते हैं।

बाकी ख़बरें