किसान आंदोलन: सरकार के अड़ियल रवैये से आहत सिख संत ने की आत्महत्या

Written by Sabrangindia Staff | Published on: December 17, 2020
नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानून किसानों की जान पर भारी पड़ रहे हैं। कड़ाके की सर्दी में किसान दिल्ली से सटी सीमाओं पर जमे हैं। सरकार से कई दौर की वार्ता में कोई हल न निकलता देख किसान दुखी भी हैं और आक्रोश में भी। बुधवार रात को करनाल के एक किसान ने सिंघु बॉर्डर पर आत्महत्या कर ली। 



सिंघू बॉर्डर पर आत्महत्या करने वाले किसान 65 वर्षीय संत बाबा राम सिंह ने सुसाइड नोट भी छोड़ा है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, करनाल से आए संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी की है। सुसाइड नोट में चल रहे किसान आंदोलन के प्रति सरकार के रवैये को लेकर बात कही है। 

65 वर्षीय संत बाबा राम सिंह नानकसर, सिंघड़ा में एक गुरुद्वारे के प्रमुख थे। उन्होंने सुसाइड नोट में किसानों के नए कृषि कानूनों को लेकर चल रहे संघर्ष के ऊपर चिंता जताया और सरकार के रवैये से आहत थे।

मृतक ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है, 'मैं किसानों की तकलीफ को महसूस करता हूं जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। मैं उनका दुख समझता हूं क्योंकि सरकार उनके साथ न्याय नहीं कर रही। अन्याय करना पाप है, लेकिन अन्याय सहन करना भी पाप है। किसानों के समर्थन में कुछ लोगों ने सरकार को अपने पुरस्कार लौटा दिए। मैंने खुद को ही कुर्बान करने का फैसला किया है।'

पुलिस ने बताया कि 65 वर्षीय बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली। सोनीपत के डेप्यूटी पुलिस कमिश्नर श्याम लाल पूनिया ने बताया, 'उन्हें पानीपत के पार्क अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।' उन्होंने कहा कि उनके पार्थ‍िव शरीर को करनाल भेजा गया है जहां वो रहते थे।

नवंबर के अंत से ही पंजाब और हरियाणा से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमा पर इकट्ठा हुए और केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र ने सितंबर में ये तीनों कानून पारित किए थे। किसानों के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को बताया था कि 20 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों की अब तक मौत हो चुकी है।  

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