मशहूर उर्दू शायर राहत इंदौरी की कोरोना वायरस से मौत

Written by sabrang india | Published on: August 11, 2020
भोपाल। उर्दू के मशहूर शायर राहत इंदौरी की मंगलवार की शाम पांच बजे कोरोना वायरस के चलते मौत हो गई। वह मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित एक अस्पताल में वह भर्ती थे। वहां उन्हें आज दो बार दिल का दौरा पड़ा था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।



श्री अरबिंदो अस्पताल ने उनके निधन की पुष्टि की है। अस्पताल के डॉक्टर विनोद भंडारी ने बताया, राहत इंदौरी साहब अब नहीं रहे। उन्हें दो दिल के दौरे पड़े थे, पर हम उन्हें नहीं बचा सके। उन्हें कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद रविवार को अस्पताल लाया गया था। उन्हें 60 फीसदी निमोनिया भी था।

इससे पहले राहत इंदौरी के बेटे और युवा शायर सतलज राहत ने बताया था कि पिता चार महीने से सिर्फ नियमित जांच के लिए ही घर से बाहर निकलते थे। उन्हें चार-पांच दिन से बेचैनी हो रही थी। डॉक्टरों की सलाह पर फेफड़ों का एक्सरे कराया गया तो निमोनिया की पुष्टि हुई। इसके बाद सैंपल जांच के लिए भेजे गए, जिसमें वे संक्रमित पाए गए। राहत को दिल की बीमारी और डायबिटीज है। 

राहत इंदौरी के चले जाने से अन्य कई शायरों में शोक की लहर दौड़ गई है। शायर मुनव्वर राना ने कहा, "हमारे दोस्त को कमबख्त कोरोना खा गया, वरना छोटा-मोटा हार्ट अटैक तो राहत ऐसे ही झेल जाते।" 

राना ने कहा, "मेरे राहत जी के साथ करीबन 50 साल का साथ था। हम लोगों ने बहुत सारे मंच साझा किए, हिंदुस्तान हो या हिंदुस्तान के बाहर, वहां बहुत सारे प्रोग्राम ऐसे होते थे जिसमें बस हम दोनों ही रहते थे और हमारे प्रोग्रामों का नाम ही होता था 'मुनव्वर-राहत' या 'राहत-मुनव्वर'।"

उन्होंने कहा, "इंदौरी साहब बहुत मजे के आदमी थे। हमारे उनसे बड़े गहरे तालुक्कात थे। हमारी आखिरी मुलाकात फरवरी के महीने में रेख्ता के प्रोग्राम में हुई थी।"

शायर मंगल नसीम ने बताया, "राहत इंदौरी एक शख्स का नाम नहीं, वो एक युग का नाम थे। उर्दू शायरी को उन्होंने नए-नए मुकाम दिए, शायरी में क्रांति लाने का नाम राहत इंदौरी है। उन्होंने बहुत आसान अल्फाज में लोगों के सामने अपनी बहतरीन शायरी रखी।"

उन्होंने कहा, "इंदौरी साहब जब भी मिलते थे, बड़ी खूबसूरती से मिलते थे और जिस मंच पर होते थे, तो वही होते थे, वही दिखते थे।"

नसीम ने कहा, "मैं आज कहना चाहता हूं, आज बहुत बुरा दिन है। कभी-कभी ही ऐसे लोग आते हैं। जैसे-जैसे वक्त गुजरेगा, वैसे-वैसे ही उनकी कमी महसूस होगी, उस आदमी का कोई बदल नहीं हो सकता था।"

राष्ट्रीय कवि संगम दिल्ली के अध्यक्ष और कवि रसिक गुप्ता ने बताया, "मुझे उनके साथ कई मंच साझा करने का अवसर मिला, वह एक बड़े विनम्र व्यक्ति थे। उनकी शायरी जितनी सुनी जाए, उतनी कम है। राहत इंदौरी समूची महफिल अपने नाम कर लेते थे। लोग उन्हें सुनकर तृप्त नहीं होते थे।"

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