NRC: असम के लोगों की कानूनी मदद करने उतरा CJP

Written by sabrang india | Published on: August 29, 2019
सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस यानी CJP ने असम में भारतीय नागरिकों को अपनी नागरिकता के दावे को अच्छी तरह पेश करने की ट्रेनिंग देने के लिए हाल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में पैरालीगल कार्यकर्ताओं और स्थानीय और जिला स्तर के वकीलों को उन कौशल और ट्रेनिंग से लैस कराया गया, जिनके जरिये वे सिटिजनशिप के जटिल मुद्दे को समझ सकें. असम में 31 अगस्त को फाइनल NRC आएगा. इसके बाद इससे जुड़े कई मुद्दे उठेंगे. इन मुद्दों को ही समझाने के लिए जाने-माने वकीलों, न्यायविदों और कानून के जानकारों ने तीन दिन की पैरालीगल ट्रेनिंग का आयोजन किया गया था. यह नागरिकों को उनके दावों को अच्छी तरह रखने में मदद करेगी. 


सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस की सेक्रेट्री तीस्ता सीतलवाड़ ने इस ट्रेनिंग कार्यक्रम का मकसद समझाते हुए कहा कि जिन लोगों के नाम रजिस्टर से हटा दिए जाएंगे, उन्हें फॉरनर्स ट्रिब्यूनल (Foreigners Tribunals) में अपना दावा पेश करना होगा. CJP नहीं चाहता कि अच्छी कानूनी सलाह के अभाव में लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़े. लिहाजा संगठन ने NRC जैसे जटिल मुद्दे के कानूनी पहलुओं को समझाने के लिए पैरालीगल ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया. 

सीतलवाड़ के मुताबिक, असम के 19 जिलों में CJP के 500 कार्यकर्ता हैं. इनमें से लगभग 100 कार्यकर्ताओं को गुवाहाटी की एक कार्यशाला में ट्रेनिंग दी गई. आने वाले महीनों में राज्य के दूसरे हिस्सों में ऐसी और भी कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगीं. 

इन कार्यशालाओं के अलावा प्रिंटेंड और इलेक्ट्रॉनिक मैनुअल भी तैयार किए जा रहे हैं ताकि गांव और जिला स्तर पर काम करने वाले वकील और पैरालीगल को NRC से जुड़े मुद्दे के कानूनी पहलुओं को ठीक से तरह से समझाया जा सके. इससे वे फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में लोगों की नागरिकता के दावों को अच्छी तरह रख सकेंगे. फॉरनर्स ट्रिब्यूनल अब तक असम बॉर्डर पुलिस और चुनाव आयोग की ओर से भेजे केस को सुनते हैं और अक्सर उनके रुख, काबिलियत और जानकारी के बारे में उन पर सवाल उठाए जा चुके हैं. 

सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस की यह कार्यशाला 22 से 24 अगस्त 2019, तक गुवाहाटी में हुई थी. और इसमें आशीष दासगुप्ता (कानूनी मामलों के विद्वान और सीनियर एडवोकेट, एचआरए चौधुरी ( लेखक, कानूनी मामलों के विद्वान और गुवाहाटी हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट), बिजन चंद्र दास ( त्रिपुरा के पूर्व एडवोकेट जनरल), बिकास रंजन भट्टाचार्य (त्रिपुरा के पूर्व एडवोकेट जनरल),मिहिर देसाई (सीनियर एडवोकेट, बांबे हाई कोर्ट), अब्दुल रहमान सिकदर (सीनियर एडवोकेट, गुवाहाटी हाई कोर्ट और मृणमय दत्ता (एडवोकेट, गुवाहाटी हाई कोर्ट) ने हिस्सा लिया. इनके अलावा जाने-माने विद्वान प्रोफेसर अब्दुल मन्नान (गुवाहाटी यूनिवर्सिटी), अमल कांति राहा ( पांडु कॉलेज में बांग्ला भाषा के पूर्व एचओडी) ने भी वर्कशॉप में हिस्सा लिया. जाने-माने अर्थशास्त्री अनंत कलिता (पूर्व चेयरमैन, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, एसबीआई), सिविल सोसाइटी मेंबर हरेश्वर बर्मन (पूर्व सदस्य AASU और Sanmilita Janogosthiya Sangram Samitee के संस्थापक सदस्य) और सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल बतिन खांडाकर ने भी अपने बहुमूल्य विचार रखे. इनामउद्दीन, मुल हक, अजीजुर्र रहमान, मुस्तफा खदम हुसैन जैसे जाने-माने वकीलों ने पैरालीगल कर्मियों के लिए आयोजित सत्र में उन्हें NRC से जुड़ मुद्दों की जानकारी दी. 

इस कार्यशाला में कानूनी क्षेत्र में काम  करने वाले 100 वकीलों, पैरालीगल कर्मियों और अलग-अलग पृष्ठभूमियों के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. आपसी संवाद और ट्रेनिंग मुहैया कराने वाले सत्रों में उन्हें NRC से जुड़े मुद्दों की बारीकियां समझाई गईं. ट्रेनिंग सत्र में पूरे असम से प्रशिक्षु आए थे. इनमें से कई तो दूर-दराज के इलाकों बारपेटा, बक्शा, चिरांग, धेमाजी, सोनितपुर और बोंगाईगांव से आए थे. कार्यशाला में NRC से जुड़ी सभी बारीकियों के अलावा सिटिजनशिप से जुड़े मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसले की जानकारी दी गई ताकि 31 अगस्त को NRC के पब्लिकेशन के बाद जटिल प्रक्रियाओं को समझा जा सके और नागरिकता के दावों को अच्छी तरह से पेश किया जा सके. 



कार्यशाला में हरेश्वर बर्मन ने सलाह दी कि ये जटिल वक्त है और हम सभी को संयम के साथ तार्किक रुख अपनाना होगा, बिकास रंजन भट्टाचार्य ने साफ कहा कि सिटिजनशिप का मुद्दा राजनीतिक है. और यह खास तरह के राजनीतिक आग्रह के कारण उठाया जा रहा है. उन्होंने डिटेशन सेंटरों को कॉन्सेन्ट्रेशन सेंटर करार दिया और कहा कि यह मानवाधिकार से जुड़ा  मुद्दा है.
सीनियर वकील मीहिर देसाई ने जो सलाह दी वह व्यावहारिक भी थी और प्रेरक भी. उन्होंने कार्यशाला में मौजूद लोगों से कहा कि आपका एनआरसी के मुद्दे पर भावनाओं और संवेदनाओं से भरा होना ही पर्याप्त नहीं है. आपको पहले एक सक्षम वकील या लीगल प्रैक्टिशनर बनना होगा. और हम इसमें आपको पूरी मदद करेंगे, विचारों और रणनीति में हम आपके साथ होंगे. सलाह देंगे. लेकिन जमीन पर आपको लड़ना होगा. जीत या हार आपकी होगी. और यह इस पर निर्भर होगी कि हम ट्रिब्यूनल्स के सामने सामूहिकता के साथ कितने अच्छे तरीके से चुनौतियां पेश कर पाते हैं.



असम में CJP के प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर जमशेर अली ने कहा- आज नागरिकता के मुद्दे की वजह से असम में बांग्ला भाषी लोगों से लेकर, भाषाई अल्पसंख्यक, गोरखा और यहां तक जनजातीय लोग भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. लोगों की मौत हो रही है.कुछ लोगों ने आत्महत्या कर ली है. कुछ लोगों की मौत डिटेंशन कैंपों में हो चुकी है. सबसे ज्यादा दिक्कत विवाहित अनपढ़ महिलाओं के लिए है. लिस्ट बनने के बाद जिन लोगों के नाम इनमें नहीं होंगे वे सबसे ज्यादा कष्ट उठाएंगे. यही वजह है कि CJP इन लोगों की मदद के लिए उनके पास पहुंच रहा है. चाहे वे किसी भी धार्मिक या जातीय समुदाय के लोग हों, CJP बगैर किसी भेदभाव  के उनकी मदद करेगा. हमारा यह अभियान करुणा और कानूनी विशेषज्ञता से प्रेरित होगा. हम असम के सभी भारतीयों के लिए न्याय चाहते हैं. 

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