दिल्ली सॉलिडेरिटी ग्रुप व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महिला को दिलाया कानूनी सुरक्षा कवच

Written by Navnish Kumar | Published on: March 31, 2021
दिल्ली सॉलिडेरिटी समूह, सेवा केरला और केरल के कॉमरेड एक बार फिर चर्चाओं में हैं। सामाजिक तौर से सजग इन नागरिकों ने न सिर्फ, घरेलू हिंसा व पति के दमन से त्रस्त महिला व उसके बच्चे को कानूनी सुरक्षा कवच प्रदान कराया है बल्कि महिला को जुल्मी पति के चंगुल से मुक्ति दिलाते हुए, उसकी बहन को लीगल सुपुर्दगी दिलाने का भी काम किया है। खास यह है कि महिला पर घरेलू हिंसा व पति का दमन इस कदर बढ़ चला था कि महिला का मानसिक संतुलन तक डगमगा गया है।



कुसुम की कहानी काफी दर्द व पीड़ा से भरी है। कुसुम की शादी बांदा में हो रखी थी जहां उसका पति ही उसकी जान का दुश्मन बन चला है। कुसुम की बड़ी बहन व अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन से जुड़ी व प्रमुख वनाधिकार कार्यकर्ता रानी बताती हैं कि कुसुम का पति ही उसकी व उसके बच्चे की जान का दुश्मन बना है। वह उसे न सिर्फ मारता पीटता है बल्कि कई बार घर से भी निकाल चुका है। उसी की देखादेखी ससुराल में घरेलू उत्पीड़न भी चरम पर जा पहुंचा है। उत्पीड़न की इंतहा इस कदर बढ़ी है कि कुसुम मानसिक रूप से अपनी सुधबुध तक गवां बैठी है।

रानी बताती हैं कि हद तो तब हो गई जब एक दिन उन्हें पता चला कि उनकी बहन कुसुम अपने 10 साल के बेटे साथ, घर से कहीं चली गई हैं। इस पर ससुराल पक्ष से कोई जवाब न मिलने पर उसने बांदा पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। बाद में पता चला कि उनकी बहन केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित एक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में है। उसके साथ क्या किया गया और वह केरल तक कैसे पहुंची? को लेकर कोई जवाब अभी तक भी नहीं मिल सका है। खैर, रानी ने यूनियन के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं राष्ट्रीय महासचिव अशोक चौधरी और रोमा से संपर्क किया और बहन की सुपुर्दगी पाने के प्रयास तेज किए। इस बीच कुसुम के पति ने एक बार फिर चाल चली और स्थानीय पुलिसकर्मियों के साथ केरल जा पहुंचा। रानी के अनुसार, पति ने वहां पुलिस और सीजेएम कोर्ट में सच्चाई को छिपाकर, सुपुर्दगी आदेश पाने में भी सफलता हासिल कर ली थी लेकिन केरल के कॉमरेड साथियों और महिला संगठन खड़े हुए तो बाजी पलट गई और सच की ही जीत हुई। 

रानी कहती हैं कि जैसे ही उसे कुसुम के पति की चालाकी की भनक लगी तो यूनियन ने दिल्ली सोलिडेरिटी समूह के कॉमरेड माजू व नीना, महिला संगठन सेवा केराला की सोनिया आदि से संपर्क किया जिन्होंने एडवोकेट संध्या के साथ मिलकर, संबंधित स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों, पुलिस और कोर्ट को असलियत बतायी और अंततः कुसुम व उसके बेटे अभिषेक की सुपुर्दगी हासिल करने में सफलता प्राप्त की है। 

रानी बताती हैं कि कुसुम इस कदर डरी हुई हैं कि सुधबुध ही खो बैठी हैं। वह कुछ भी नहीं बता पा रही हैं। रानी के साथ केरल गए यूनियन कार्यकर्ता पंकज गौतम कहते हैं कि केरल के साथियों की मदद से कुसुम व उसके बेटे अभिषेक की सुपुर्दगी प्राप्त हो गई है। 

अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव अशोक चौधरी केरल के साथियों का धन्यवाद करते हुए कहते हैं कि सर्वाधिक साक्षरता वाले राज्य केरल में सामाजिक संगठन भी उतने ही समृद्ध हैं और लोगों के हकों की लड़ाई को सड़क से लेकर कानूनी मोर्चे तक पर मजबूती से लड़ने का काम कर रहे हैं, यह एक बार फिर साबित हुआ है। यूनियन की राष्ट्रीय उप महासचिव रोमा कहती हैं कि हमारे केरल की संगठन की सजगता की वजह से कोर्ट से रानी को उसकी बहन और बेटे की कस्टडी मिल गई है। इसके लिए केरल के साथी कॉमरेड माजू, नीना, सोनिया और एडवोकेट संध्या सहित दिल्ली सोलिडेरिटी समूह, सेवा केराला आदि सभी साथियों को एक बार फिर से बधाई, सलाम।

बाकी ख़बरें