सीमा पर तनातनी के बीच चीन की कंपनी को मिला दिल्ली- मेरठ रैपिड रेल प्रोजेक्ट, RSS का सहयोगी संगठन भड़का

Written by Sabrangindia Staff | Published on: June 17, 2020
नई दिल्ली। लद्दाख सीमा पर चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच राष्ट्रीय राजधानी परिवहन कारपोरेशन (एनसीटीसी) के दिल्ली-मेरठ रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) प्रोजेक्ट का एक हिस्सा चीन की निर्माण कंपनी को मिलने पर सियासी तूफान खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने जहां सरकार पर निशाना साधा है, वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का अनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच भी भड़का हुआ है। उसने सरकार से इस निविदा को निरस्त करने की मांग की है।



प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल की अपील और आत्मनिर्भर भारत मुहिम शुरू करने के बाद देश के एक बड़े तबके में चीन और चीनी सामान का बॉयकाट करने का अभियान छिड़ा हुआ है। ऐसे वक्त में चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसटीईसी) दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस में न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद के बीच 5.6 किलोमीटर की टनल और आनंद विहार में भूमिगत स्टेशन बनाने के काम में न्यूनतम बोलीदाता बन कर उभरी है। 

एनसीआरटीसी ने लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस (एलओए) जारी कर दिया तो शर्तों के मुताबिक 1095 दिनों में कंपनी को कार्य को पूरा करना होगा। सूत्रों के मुताबिक राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले साल नवंबर में इस काम के लिए निविदा आमंत्रित किया था। तब न तो कहीं कोरोना महामारी थी और न ही चीन के साथ भारत का किसी तरह तनाव। लेकिन इस साल 16 मार्च को जब तकनीकी बिड खोली गई, तब कोरोना वायरस भारत समेत पूरी दुनिया में फैल चुका था और इसके लिए चीन को कटघरे में खड़ा किया जा चुका था। 

तब भी मोदी सरकार ने निविदा में चीन की कंपनी एसटीईसी को बनाए रखा और फाइनेंसियल बिड में भी शामिल किया। 12 जून को ऑनलाइन फाइनेंसियल बिड खोली गई, जिसमें 1126 करोड़ की बोली के साथ एसटीईसी सबसे न्यूनतम बोलीदाता बना सामने आई। जबकि 1170 करोड़ रुपये की बोली के साथ भारतीय कंपनी एलएंडटी रही। गुलेरमाक 1326 करोड़, टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड-एसके ईएंडसी (ज्वाइंट वेंचर) 1346.29 करोड़ और एफ्कॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एफ्कॉन्स) 1400.40 करोड़ रुपये की बोली देकर इस रेस से बाहर हो गए।

सीमा पर चीन के साथ तनाव के बीच आरआरटीएस का ठेका चीन की कंपनी को मिलने पर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया है। वहीं आरएसएस समर्थित स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। स्वदेशी जागरण मंच पहले से ही चीनी सामानों के खिलाफ मुखर रहा है। हाल ही में 5जी के निविदा में चीन की कंपनी हुआवेई के शामिल किए जाने का भी संगठन ने विरोध किया था। 

नई दिल्ली। लद्दाख सीमा पर चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच राष्ट्रीय राजधानी परिवहन कारपोरेशन (एनसीटीसी) के दिल्ली-मेरठ रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) प्रोजेक्ट का एक हिस्सा चीन की निर्माण कंपनी को मिलने पर सियासी तूफान खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने जहां सरकार पर निशाना साधा है, वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का अनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच भी भड़का हुआ है। उसने सरकार से इस निविदा को निरस्त करने की मांग की है।

प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल की अपील और आत्मनिर्भर भारत मुहिम शुरू करने के बाद देश के एक बड़े तबके में चीन और चीनी सामान का बॉयकाट करने का अभियान छिड़ा हुआ है। ऐसे वक्त में चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसटीईसी) दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस में न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद के बीच 5.6 किलोमीटर की टनल और आनंद विहार में भूमिगत स्टेशन बनाने के काम में न्यूनतम बोलीदाता बन कर उभरी है। 

एनसीआरटीसी ने लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस (एलओए) जारी कर दिया तो शर्तों के मुताबिक 1095 दिनों में कंपनी को कार्य को पूरा करना होगा। सूत्रों के मुताबिक राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले साल नवंबर में इस काम के लिए निविदा आमंत्रित किया था। तब न तो कहीं कोरोना महामारी थी और न ही चीन के साथ भारत का किसी तरह तनाव। लेकिन इस साल 16 मार्च को जब तकनीकी बिड खोली गई, तब कोरोना वायरस भारत समेत पूरी दुनिया में फैल चुका था और इसके लिए चीन को कटघरे में खड़ा किया जा चुका था। 

तब भी मोदी सरकार ने निविदा में चीन की कंपनी एसटीईसी को बनाए रखा और फाइनेंसियल बिड में भी शामिल किया। 12 जून को ऑनलाइन फाइनेंसियल बिड खोली गई, जिसमें 1126 करोड़ की बोली के साथ एसटीईसी सबसे न्यूनतम बोलीदाता बना सामने आई। जबकि 1170 करोड़ रुपये की बोली के साथ भारतीय कंपनी एलएंडटी रही। गुलेरमाक 1326 करोड़, टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड-एसके ईएंडसी (ज्वाइंट वेंचर) 1346.29 करोड़ और एफ्कॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एफ्कॉन्स) 1400.40 करोड़ रुपये की बोली देकर इस रेस से बाहर हो गए।

संगठन के राष्ट्रीय सह संयोजक आश्विनी महाजन ने कहा कि 5जी हो या आरआरटीएस का काम, चीन की कंपनी को दिए जाने से आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल मुहिम बेमानी हो जाएगी। 

सीमा पर चीन के साथ तनाव के बीच आरआरटीएस का ठेका चीन की कंपनी को मिलने पर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया है। वहीं आरएसएस समर्थित स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। स्वदेशी जागरण मंच पहले से ही चीनी सामानों के खिलाफ मुखर रहा है। हाल ही में 5जी के निविदा में चीन की कंपनी हुआवेई के शामिल किए जाने का भी संगठन ने विरोध किया था। 

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