नई दिल्ली। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों की बहाली के लिए हुई परीक्षा में जातिगत प्रश्न पूछे जाने पर सख्त नाराजगी जताई है। अदालत ने दिल्ली पुलिस को दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है।
कड़कड़डूमा कोर्ट के विशेष न्यायाधीश रविंदर बेदी ने दिल्ली पुलिस से मामले में जांच कर हर महीने रिपोर्ट देने को कहा है। अगली सुनवाई 1 मई को होगी। अदालत ने गौर किया कि DSSSB के पेपर सेट करने वाले ने न केवल 13 अक्तूबर 2018 के पेपर में बल्कि 18 अगस्त 2019 के पेपर में भी आपत्तिजनक जातिसूचक शब्दों से संबंधित सवाल पूछे।
इन शब्दों का DSSSB के पेपर में प्रयोग होने से संज्ञेय अपराध हुआ है। इस मामले में पुलिस जांच की जरूरत है। कोर्ट ने यह आदेश अधिवक्ता डॉक्टर सत्य प्रकाश गौतम द्वारा दायर याचिका पर दिया है। गौतम ने प्रश्न पत्र में जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप लगाते हुए DSSSB चेयरमैन तथा परीक्षा समिति के अधिकारियों पर एससी-एसटी एक्ट में कानूनी कार्रवाई की मांग की थी।
वहीं DSSSB ने अदालत को बताया कि शिकायत मिलने के बाद तुरंत एक कमेटी गठित की गई है जो इस मुद्दे की जांच कर रही है। अदालत ने उनके तर्क को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में बोर्ड को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है, लिहाजा उसे अपना पक्ष रखने का अधिकार नहीं है। कोर्ट अब 1 मई को इस मामले में सुनवाई करेगा।
भर्ती के लिए 13 अक्तूबर 2018 को लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया। परीक्षा में हिंदी भाषा और बोध सेक्शन में सवाल पूछा गया था कि पंडित की पत्नी को पंडिताइन कहते हैं तो अनुसूचित जाति के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्द के विपरीत पत्नी को क्या कहा जाएगा। इसके बाद DSSSB के चेयरमैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका लगाई गई थी।
अदालत ने डीएसएसबी के उस तर्क पर हैरानी जताई कि उनके पास पेपर सेट करने की सुविधा नहीं है और बाहर से सेट करवाया जाता है। इसके अलावा अदालत ने दोनों पेपर सेट करने वाले लोगों की पहचान नहीं करने के लिए दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने DSSSB चेयरमैन को निर्देश दिया था कि वह खुद पेश होकर बताएं कि दोनों पेपर सेट करने वालों की पहचान के लिए क्या किया?
कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि शिकायत नवंबर 2018 से लंबित है। इसके बावजूद पेपर सेट करने वालों तथा उनकी पहचान करने की दिशा में दिल्ली पुलिस के एसीपी तथा अधिकारियों का रवैया बेहद निराशाजनक रहा है। इसके बाद DSSSB चेयरमैन संतोष वैद्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश होकर पेपर सेट करने वालों की जानकारी सीलबंद लिफाफे में दी थी।
कड़कड़डूमा कोर्ट के विशेष न्यायाधीश रविंदर बेदी ने दिल्ली पुलिस से मामले में जांच कर हर महीने रिपोर्ट देने को कहा है। अगली सुनवाई 1 मई को होगी। अदालत ने गौर किया कि DSSSB के पेपर सेट करने वाले ने न केवल 13 अक्तूबर 2018 के पेपर में बल्कि 18 अगस्त 2019 के पेपर में भी आपत्तिजनक जातिसूचक शब्दों से संबंधित सवाल पूछे।
इन शब्दों का DSSSB के पेपर में प्रयोग होने से संज्ञेय अपराध हुआ है। इस मामले में पुलिस जांच की जरूरत है। कोर्ट ने यह आदेश अधिवक्ता डॉक्टर सत्य प्रकाश गौतम द्वारा दायर याचिका पर दिया है। गौतम ने प्रश्न पत्र में जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप लगाते हुए DSSSB चेयरमैन तथा परीक्षा समिति के अधिकारियों पर एससी-एसटी एक्ट में कानूनी कार्रवाई की मांग की थी।
वहीं DSSSB ने अदालत को बताया कि शिकायत मिलने के बाद तुरंत एक कमेटी गठित की गई है जो इस मुद्दे की जांच कर रही है। अदालत ने उनके तर्क को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में बोर्ड को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है, लिहाजा उसे अपना पक्ष रखने का अधिकार नहीं है। कोर्ट अब 1 मई को इस मामले में सुनवाई करेगा।
भर्ती के लिए 13 अक्तूबर 2018 को लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया। परीक्षा में हिंदी भाषा और बोध सेक्शन में सवाल पूछा गया था कि पंडित की पत्नी को पंडिताइन कहते हैं तो अनुसूचित जाति के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्द के विपरीत पत्नी को क्या कहा जाएगा। इसके बाद DSSSB के चेयरमैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका लगाई गई थी।
अदालत ने डीएसएसबी के उस तर्क पर हैरानी जताई कि उनके पास पेपर सेट करने की सुविधा नहीं है और बाहर से सेट करवाया जाता है। इसके अलावा अदालत ने दोनों पेपर सेट करने वाले लोगों की पहचान नहीं करने के लिए दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने DSSSB चेयरमैन को निर्देश दिया था कि वह खुद पेश होकर बताएं कि दोनों पेपर सेट करने वालों की पहचान के लिए क्या किया?
कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि शिकायत नवंबर 2018 से लंबित है। इसके बावजूद पेपर सेट करने वालों तथा उनकी पहचान करने की दिशा में दिल्ली पुलिस के एसीपी तथा अधिकारियों का रवैया बेहद निराशाजनक रहा है। इसके बाद DSSSB चेयरमैन संतोष वैद्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश होकर पेपर सेट करने वालों की जानकारी सीलबंद लिफाफे में दी थी।