नई दिल्ली। गुजरात में साल 2016 में दलितों पर खूब कहर बरपाया गया। इस साल गुजरात में 1,355 दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले दर्ज किए गए। पिछले 16 साल बाद गुजरात में सबसे अधिक अत्याचार दलितों के साथ हुआ है। दलितों के साथ रेप और मर्डर के मामलों में बीता साल 2001 से भी अव्वल रहा। 16 साल पहले गुजरात में सन 2001 में दलितों के खिलाफ सबसे अधिक अत्याचार के मामले हुए थे। पिछले साल 11 जुलाई 2016 को ऊना में मरी गाय का चमड़ा निकाल रहे दलितों को कथित गो-रक्षकों ने पीट-पीटकर लहूलुहान कर दिया गया था।

गुजरात पुलिस महानिदेशक के कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर, गुजरात में साल 2016 में हर रोज 4 दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले दर्ज किए गए। साल 2001 में 1,034 दलित के खिलाफ अत्याचार के मामले दर्ज किए गए। वहीं साल 2008 में गुजरात में 1,165 दलितों पर अत्याचार हुआ था। बीते साल गुजरात में 32 दलितों को मौत के घाट उतार दिया गया।
टाइम्स ऑफ इंडिया को RTI से मिली जानकारी के अनुसार, साल 2016 में 80 दलित महिलाओं से साथ रेप हुआ। वहीं साल 2001 में 71 दलित महिलाओें को हवस का शिकार बनाया गया था। हत्या और रेप के अलावा गुजरात में दलितों पर गंभीर रुप से हमले के 88 मामले दर्ज किए गए। जबकि लूट की 12 FIR दर्ज की गईं। साल 2017 में भी दलित सरपंच पर जानलेवा हमला किया गया। 28 फरवरी 2017 को गुजरात के अमरेली जिले के वरसादा गांव के सरपंच जयसुख माधड़ की नृशंस हत्या कर दी गई।
आरटीआई कार्यकर्ता कौशिक मंजुलबेन बाबूभाई ने 33 जिलों के 40 पुलिस स्टेशनों से आंकड़े एकत्रित किए। कौशिक मंजुलबेन बाबू्भाई के मुताबिक, "ये वे मामले हैं जिनके तहत शिकायत दर्ज कराई गई है, दलितों के खिलाफ बहुत से अत्याचार के मामलों को तरजीह नहीं दी गई, दलितों के खिलाफ अत्याचार काफी हद तक सामाजिक पूर्वाग्रह के चलते किया गया है, इन मामलों ने सरकार ने दोषियों के खिलाफ कठोर निर्णय लेने में ढुलमुल रवैया अपनाया है।"
राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के अध्यक्ष जिग्नेश मेवानी के मुताबिक, "आंकड़ों से पता चलता है गुजरात में जातीय पूर्वाग्रह के कारण दलितों का दमन किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा, सितंबर 2012 में थानगढ़ में तीन दलितों को गोली मारी गई थी,
हाल ही में वरसादा में दलित सरपंच जयसुख माधड़ की निर्मम हत्या कर दी गई जिससे पता चलता है गुजरात में दलित पर आक्रमण जारी है।"
Courtesy: National Dastak

गुजरात पुलिस महानिदेशक के कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर, गुजरात में साल 2016 में हर रोज 4 दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले दर्ज किए गए। साल 2001 में 1,034 दलित के खिलाफ अत्याचार के मामले दर्ज किए गए। वहीं साल 2008 में गुजरात में 1,165 दलितों पर अत्याचार हुआ था। बीते साल गुजरात में 32 दलितों को मौत के घाट उतार दिया गया।
टाइम्स ऑफ इंडिया को RTI से मिली जानकारी के अनुसार, साल 2016 में 80 दलित महिलाओं से साथ रेप हुआ। वहीं साल 2001 में 71 दलित महिलाओें को हवस का शिकार बनाया गया था। हत्या और रेप के अलावा गुजरात में दलितों पर गंभीर रुप से हमले के 88 मामले दर्ज किए गए। जबकि लूट की 12 FIR दर्ज की गईं। साल 2017 में भी दलित सरपंच पर जानलेवा हमला किया गया। 28 फरवरी 2017 को गुजरात के अमरेली जिले के वरसादा गांव के सरपंच जयसुख माधड़ की नृशंस हत्या कर दी गई।
आरटीआई कार्यकर्ता कौशिक मंजुलबेन बाबूभाई ने 33 जिलों के 40 पुलिस स्टेशनों से आंकड़े एकत्रित किए। कौशिक मंजुलबेन बाबू्भाई के मुताबिक, "ये वे मामले हैं जिनके तहत शिकायत दर्ज कराई गई है, दलितों के खिलाफ बहुत से अत्याचार के मामलों को तरजीह नहीं दी गई, दलितों के खिलाफ अत्याचार काफी हद तक सामाजिक पूर्वाग्रह के चलते किया गया है, इन मामलों ने सरकार ने दोषियों के खिलाफ कठोर निर्णय लेने में ढुलमुल रवैया अपनाया है।"
राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के अध्यक्ष जिग्नेश मेवानी के मुताबिक, "आंकड़ों से पता चलता है गुजरात में जातीय पूर्वाग्रह के कारण दलितों का दमन किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा, सितंबर 2012 में थानगढ़ में तीन दलितों को गोली मारी गई थी,
हाल ही में वरसादा में दलित सरपंच जयसुख माधड़ की निर्मम हत्या कर दी गई जिससे पता चलता है गुजरात में दलित पर आक्रमण जारी है।"
Courtesy: National Dastak