यूपी के गाजियाबाद जिले के मोदीनगर क्षेत्र स्थित बेगमपुरा गांव में कोरोना वायरस संक्रमण से हिंदू महिला की मौत के बाद अपने रिश्तेदारों ने भी मुंह मोड़ लिया।
गाजियाबाद। ऐसे समय में जब कोरोना के कहर के बीच दम तोड़ते लोगों को कंधा देने में अपने ही मुंह मोड़ने लगे हैं, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले से हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल सामने आई है। गाजियाबाद के मोदीनगर में कोरोना वायरस संक्रमण का खौफ इस कदर फैल गया है कि लोग अपनों की मदद तक को तैयार नही है। इस महामारी और संकट भरे जीवन में अगर कुछ समाज में सकारात्मक दिखाई दे रहा है तो वह है आपसी भाईचारा जाति धर्म की दीवारें इस महामारी में कहीं खो गई है।
ये मामला गाजियाबाद जिले के मोदीनगर के गांव बेगमाबाद गांव के रहने वाले अशोक कुमार कंसल गांव में किराना की दुकान करते हैं। उनकी पत्नी ममता कंसल पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित थी और शनिवार की सुबह उनकी मौत हो गई। अशोक ने अपने रिश्तेदार और परिवार वीलेम परिजनों को मौत की सूचना दी मगर कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन होने की वजह से रिश्तेदार उनके घर तक भी नहीं पहुंच पाए या फिर यूं कह लें रिश्तेदारों में भी कहीं ना कहीं करोना संक्रमण का वह डर था।
ऐसे में लोगों ने कोरोना महामारी से शव यात्रा में भी आना जाना छोड़ दिया है। जिसके चलते ममता के अंतिम यात्रा में डर से शामिल नहीं हुए क्योंकि अशोक कंसल की किराना की दुकान है और उनसे सामान लेने वाले ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। जब उन्हें ममता की मौत का पता चला तो आसपास से मुस्लिम समाज के लोग जमा हो गए।
बता दें कि वहां पर जब उन्होंने देखा कि अशोक कंसल भी बीमार और कमजोर हैं तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसके बाद हिंदू रीति रिवाज के साथ मुस्लिम भाइयों ने ममता के अंतिम सफर के लिए जरूरी सामान जमा किया और अशोक कंसल का मात्र अर्थी में हाथ लगाने के बाद ममता को सबने अपने कंधों पर उठाया। इस दौरान सभी मुस्लिम राम नाम सत्य है भी बोलते हुए ममता की अर्थी उठाकर शमशान घाट ले गए और वहां हिंदू रीति रिवाज से ममता का अंतिम संस्कार किया गया।
गाजियाबाद। ऐसे समय में जब कोरोना के कहर के बीच दम तोड़ते लोगों को कंधा देने में अपने ही मुंह मोड़ने लगे हैं, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले से हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल सामने आई है। गाजियाबाद के मोदीनगर में कोरोना वायरस संक्रमण का खौफ इस कदर फैल गया है कि लोग अपनों की मदद तक को तैयार नही है। इस महामारी और संकट भरे जीवन में अगर कुछ समाज में सकारात्मक दिखाई दे रहा है तो वह है आपसी भाईचारा जाति धर्म की दीवारें इस महामारी में कहीं खो गई है।
ये मामला गाजियाबाद जिले के मोदीनगर के गांव बेगमाबाद गांव के रहने वाले अशोक कुमार कंसल गांव में किराना की दुकान करते हैं। उनकी पत्नी ममता कंसल पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित थी और शनिवार की सुबह उनकी मौत हो गई। अशोक ने अपने रिश्तेदार और परिवार वीलेम परिजनों को मौत की सूचना दी मगर कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन होने की वजह से रिश्तेदार उनके घर तक भी नहीं पहुंच पाए या फिर यूं कह लें रिश्तेदारों में भी कहीं ना कहीं करोना संक्रमण का वह डर था।
ऐसे में लोगों ने कोरोना महामारी से शव यात्रा में भी आना जाना छोड़ दिया है। जिसके चलते ममता के अंतिम यात्रा में डर से शामिल नहीं हुए क्योंकि अशोक कंसल की किराना की दुकान है और उनसे सामान लेने वाले ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। जब उन्हें ममता की मौत का पता चला तो आसपास से मुस्लिम समाज के लोग जमा हो गए।
बता दें कि वहां पर जब उन्होंने देखा कि अशोक कंसल भी बीमार और कमजोर हैं तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसके बाद हिंदू रीति रिवाज के साथ मुस्लिम भाइयों ने ममता के अंतिम सफर के लिए जरूरी सामान जमा किया और अशोक कंसल का मात्र अर्थी में हाथ लगाने के बाद ममता को सबने अपने कंधों पर उठाया। इस दौरान सभी मुस्लिम राम नाम सत्य है भी बोलते हुए ममता की अर्थी उठाकर शमशान घाट ले गए और वहां हिंदू रीति रिवाज से ममता का अंतिम संस्कार किया गया।