समय आ गया है जब कोविड 19 के संक्रमण की पहली लहर गुजरने के बाद की परिस्थितियों पर चर्चा की जानी शुरू कर दी जाए, इस संक्रामक बीमारी के चलते समूचा विश्व परिदृश्य अब तेजी से बदलने वाला है। दुनिया अब एक नए तरह के पासपोर्ट की तरफ देख रही है और वो है 'इम्युनिटी पासपोर्ट।'
यह बात अब बहुत से देश कहने लगे हैं कि जिन लोगों में वायरस से मुक़ाबला करने वाले एंटीबॉडीज़ बन गए हैं उन्हें ‘ख़तरे से मुक्त होने का प्रमाण-पत्र’ दिया जा सकता है यानि उन्हें ‘इन्यूनिटी पासपोर्ट’ दिया जा सकता है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ कह रहा है 'ऐसे कोई सबूत नहीं है कि जो लोग कोविड-19 के संक्रमण से एक बार स्वस्थ हो गए हैं, उन्हें ये संक्रमण फिर से नहीं होगा।'
यह तो हुई विश्व की बात, भारत मे तो एक राज्य से दूसरे राज्य में, एक जिले से दूसरे जिले में अभी आए लोगों को शक की नजरों से देखा जा रहा है, तो एक तरह के इम्युनिटी पासपोर्ट तो यहाँ भी चाहिए।
गतांक से आगे..........
बिल गेट्स एक दूरदर्शी व्यक्ति है उन्होंने सबसे पहले इस बात के संकेत दिए हैं। कोविड 19 का वैक्सीन को इम्युनिटी पासपोर्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा उनका एक वीडियो जो 2015 का है वो वायरल है इसमें बिल गेट्स ये कहते नजर आ रहे हैं कि इंसानियत पर सबसे बड़ा खतरा न्यूक्लियर वॉर नहीं, बल्कि इंफेक्शस डिजीज हैं. कोरोना भी इसी कैटिगरी में आता है. यह वीडियो 2015 का है और आज हम 2020 में है यह जानना बहुत दिलचस्प है कि इन 5 सालो में बिल गेट्स ने क्या किया है।
महामारियों में अपनी रुचि के चलते बिल गेट्स इस क्षेत्र में अरबों रुपये की फंडिंग की ओर एक विशेष संगठन की स्थापना की ओर अपना ध्यान लगाया जिसका नाम है CEPI यानी 'कोएलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस' इनोवेशन। नाम से बहुत कुछ स्पष्ट है। इसका हेडक्वार्टर नॉर्वे में बनाया गया। सीईपीआई एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 2016 में हुई थी। 'यह एक पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप' है, जिसका उद्देश्य टीका विकास प्रक्रिया को तेज गति से आगे बढ़ाकर महामारी पर अंकुश लगाना है। यह संगठन मौजूदा दौर की खतरनाक बीमारियों के लिए तेजी से वैक्सीन तैयार करता है।
CEPI के गठन के समय पश्चिम अफ्रीका में जानलेवा इबोला कहर बरपा रहा था। इस संस्था ने जैव तकनीकी शोधों के लिए वैज्ञानिकों पर बेइंतिहा पैसे खर्च किए थे। संस्था ने कारगर इलाज तलाशने के लिए लाखों डॉलर खर्च करके दुनियाभर में चार परियोजनाओं पर पैसे लगाए थे, ताकि टीके विकसित किए जा सकें। लेकिन इबोला को इतनी प्रसिद्धि हासिल नहीं हुई जितनी इस कोविड 19 को मिली।
31 जनवरी 2020 में डब्ल्यूएचओ ने कोरोना को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की आधिकारिक घोषणा की। लगभग उसी वक्त CEPI ने जर्मन-आधारित बायोफार्मास्युटिकल कंपनी CureVac AG के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की। कुछ दिनों बाद फरवरी की शुरुआत में सीईपीआई ने घोषणा की कि प्रमुख वैक्सीन निर्माता जीएसके अपने मालिकाना सहायक-यौगिकों की अनुमति देगा जो वैक्सीन की प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं। सीईपीआई ने कुछ दिन पहले ही यह घोषणा भी की थी कि वह कोरोना वायरस के टीके बनाने के लिये यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड और अमेरिका – बेस्ड बायोटेक कंपनी मोडेर्ना को फंड उपलब्ध करा रहा है।
यह तो हुई CEPI की बात इसके साथ ही इसी क्षेत्र में एक ओर संगठन है जिसकी स्थापना 2000 में हुई थी। जो बिल गेट्स के साथ लंबे समय से सहयोगी रहा है वो है 'ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइजेशन' यानी GAVI, यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य नए और कम इस्तेमाल में लाए जा रहे टीकों को दुनिया के सबसे गरीब देशों में रहने वाले बच्चों तक पहुंचाना है।
जीएवीआई भी कोरोना के बारे में बयान देता है कि जीएवीआई आने वाले दिनों में इस महामारी की निगरानी करना जारी रखेगा ताकि यह समझा जा सके कि कैसे सबसे कमजोर लोगों को सस्ते टीके देने में गठबंधन की विशेषज्ञता का लाभ उठाया जाए।
यानी अभी तक आपने तीन संगठन के बारे में जाना- CEPI, बिल गेट्स मेलिंडा फाउंडेशन और GAVI, अब एक और संगठन के बारे में जानिए। जिसका नाम है ID2020, इसके संस्थापक साझेदार माइक्रोसॉफ्ट, रॉकफेलर फाउंडेशन और ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइजेशन (जीएवीआई) हैं।
ID2020 इलेक्ट्रॉनिक आईडी प्रोग्राम है जो डिजिटल पहचान के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में जनरल वेक्सिनाइजेशन का उपयोग करता है। यह प्रोग्राम नवजात शिशुओं को पोर्टेबल और लगातार बायोमेट्रिक रूप से जुड़े डिजिटल पहचान प्रदान करने के लिए मौजूदा जन्म पंजीकरण और टीकाकरण संचालन का उपयोग करता है"
सितंबर 2019 में में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी जिसमें यह जिक्र है कि ID2020 ने GAVI के साथ मिलकर बांग्लादेश सरकार को अपने टीकाकरण रिकॉर्ड की सलाह दी है बांग्लादेश ने भी यह घोषणा की है सरकार अपने माता-पिता की बायोमेट्रिक जानकारी से जुड़े बच्चों के टीकाकरण का एक डेटाबेस बनाएगी।
यानी अब हमारे पास एक वैश्विक महामारी है, दुनिया का सबसे बड़ा उद्योगपति है, वेक्सिनाइजेशन पर सालो से काम करते हुए बहुत बड़े वैश्विक संगठन है जिसकी हर देश मे तगड़ी पकड़ है, टीकाकरण को डिजिटल ID से जोड़ते हुए प्रोग्राम है और हां WHO भी है उसे हम कैसे भूल सकते हैं और इम्युनिटी पासपोर्ट की परिकल्पना भी है।
यह बात अब बहुत से देश कहने लगे हैं कि जिन लोगों में वायरस से मुक़ाबला करने वाले एंटीबॉडीज़ बन गए हैं उन्हें ‘ख़तरे से मुक्त होने का प्रमाण-पत्र’ दिया जा सकता है यानि उन्हें ‘इन्यूनिटी पासपोर्ट’ दिया जा सकता है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ कह रहा है 'ऐसे कोई सबूत नहीं है कि जो लोग कोविड-19 के संक्रमण से एक बार स्वस्थ हो गए हैं, उन्हें ये संक्रमण फिर से नहीं होगा।'
यह तो हुई विश्व की बात, भारत मे तो एक राज्य से दूसरे राज्य में, एक जिले से दूसरे जिले में अभी आए लोगों को शक की नजरों से देखा जा रहा है, तो एक तरह के इम्युनिटी पासपोर्ट तो यहाँ भी चाहिए।
गतांक से आगे..........
बिल गेट्स एक दूरदर्शी व्यक्ति है उन्होंने सबसे पहले इस बात के संकेत दिए हैं। कोविड 19 का वैक्सीन को इम्युनिटी पासपोर्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा उनका एक वीडियो जो 2015 का है वो वायरल है इसमें बिल गेट्स ये कहते नजर आ रहे हैं कि इंसानियत पर सबसे बड़ा खतरा न्यूक्लियर वॉर नहीं, बल्कि इंफेक्शस डिजीज हैं. कोरोना भी इसी कैटिगरी में आता है. यह वीडियो 2015 का है और आज हम 2020 में है यह जानना बहुत दिलचस्प है कि इन 5 सालो में बिल गेट्स ने क्या किया है।
महामारियों में अपनी रुचि के चलते बिल गेट्स इस क्षेत्र में अरबों रुपये की फंडिंग की ओर एक विशेष संगठन की स्थापना की ओर अपना ध्यान लगाया जिसका नाम है CEPI यानी 'कोएलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस' इनोवेशन। नाम से बहुत कुछ स्पष्ट है। इसका हेडक्वार्टर नॉर्वे में बनाया गया। सीईपीआई एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 2016 में हुई थी। 'यह एक पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप' है, जिसका उद्देश्य टीका विकास प्रक्रिया को तेज गति से आगे बढ़ाकर महामारी पर अंकुश लगाना है। यह संगठन मौजूदा दौर की खतरनाक बीमारियों के लिए तेजी से वैक्सीन तैयार करता है।
CEPI के गठन के समय पश्चिम अफ्रीका में जानलेवा इबोला कहर बरपा रहा था। इस संस्था ने जैव तकनीकी शोधों के लिए वैज्ञानिकों पर बेइंतिहा पैसे खर्च किए थे। संस्था ने कारगर इलाज तलाशने के लिए लाखों डॉलर खर्च करके दुनियाभर में चार परियोजनाओं पर पैसे लगाए थे, ताकि टीके विकसित किए जा सकें। लेकिन इबोला को इतनी प्रसिद्धि हासिल नहीं हुई जितनी इस कोविड 19 को मिली।
31 जनवरी 2020 में डब्ल्यूएचओ ने कोरोना को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की आधिकारिक घोषणा की। लगभग उसी वक्त CEPI ने जर्मन-आधारित बायोफार्मास्युटिकल कंपनी CureVac AG के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की। कुछ दिनों बाद फरवरी की शुरुआत में सीईपीआई ने घोषणा की कि प्रमुख वैक्सीन निर्माता जीएसके अपने मालिकाना सहायक-यौगिकों की अनुमति देगा जो वैक्सीन की प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं। सीईपीआई ने कुछ दिन पहले ही यह घोषणा भी की थी कि वह कोरोना वायरस के टीके बनाने के लिये यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड और अमेरिका – बेस्ड बायोटेक कंपनी मोडेर्ना को फंड उपलब्ध करा रहा है।
यह तो हुई CEPI की बात इसके साथ ही इसी क्षेत्र में एक ओर संगठन है जिसकी स्थापना 2000 में हुई थी। जो बिल गेट्स के साथ लंबे समय से सहयोगी रहा है वो है 'ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइजेशन' यानी GAVI, यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य नए और कम इस्तेमाल में लाए जा रहे टीकों को दुनिया के सबसे गरीब देशों में रहने वाले बच्चों तक पहुंचाना है।
जीएवीआई भी कोरोना के बारे में बयान देता है कि जीएवीआई आने वाले दिनों में इस महामारी की निगरानी करना जारी रखेगा ताकि यह समझा जा सके कि कैसे सबसे कमजोर लोगों को सस्ते टीके देने में गठबंधन की विशेषज्ञता का लाभ उठाया जाए।
यानी अभी तक आपने तीन संगठन के बारे में जाना- CEPI, बिल गेट्स मेलिंडा फाउंडेशन और GAVI, अब एक और संगठन के बारे में जानिए। जिसका नाम है ID2020, इसके संस्थापक साझेदार माइक्रोसॉफ्ट, रॉकफेलर फाउंडेशन और ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइजेशन (जीएवीआई) हैं।
ID2020 इलेक्ट्रॉनिक आईडी प्रोग्राम है जो डिजिटल पहचान के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में जनरल वेक्सिनाइजेशन का उपयोग करता है। यह प्रोग्राम नवजात शिशुओं को पोर्टेबल और लगातार बायोमेट्रिक रूप से जुड़े डिजिटल पहचान प्रदान करने के लिए मौजूदा जन्म पंजीकरण और टीकाकरण संचालन का उपयोग करता है"
सितंबर 2019 में में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी जिसमें यह जिक्र है कि ID2020 ने GAVI के साथ मिलकर बांग्लादेश सरकार को अपने टीकाकरण रिकॉर्ड की सलाह दी है बांग्लादेश ने भी यह घोषणा की है सरकार अपने माता-पिता की बायोमेट्रिक जानकारी से जुड़े बच्चों के टीकाकरण का एक डेटाबेस बनाएगी।
यानी अब हमारे पास एक वैश्विक महामारी है, दुनिया का सबसे बड़ा उद्योगपति है, वेक्सिनाइजेशन पर सालो से काम करते हुए बहुत बड़े वैश्विक संगठन है जिसकी हर देश मे तगड़ी पकड़ है, टीकाकरण को डिजिटल ID से जोड़ते हुए प्रोग्राम है और हां WHO भी है उसे हम कैसे भूल सकते हैं और इम्युनिटी पासपोर्ट की परिकल्पना भी है।