कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार की योजनाओं में अनियमितताओं की रिपोर्ट पर पर्दा डालने के लिए कैग का गला घोंटा जा रहा है। देश के सबसे बड़े ऑडिटर पर ‘बुलडोज़र चलवाया’ जा रहा है। हाल ही में कैग द्वारा फील्ड ऑडिट वर्क रोके जाने की ख़बरें आई थीं, लेकिन कैग ने इस बात से इनकार किया है।
नई दिल्ली: कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह स्पष्टीकरण देने को कहा है कि किसके आदेश के कारण भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) का फील्ड ऑडिट वर्क रोका गया है।
पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने भारत में सरकार के सर्वोच्च ऑडिटर कैग कार्यालय में उभरती कथित अनियमितताओं पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कैग, जिसका इस्तेमाल कभी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को ‘बदनाम’ करने के लिए किया गया था, अब उसका ‘गला घोंट दिया गया’ है।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने कांग्रेस के हवाले से लिखा है कि ‘केंद्र अपनी योजनाओं में भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए कैग का गला घोंट रहा है।’
टेलीग्राफ ने कांग्रेस के हवाले से कहा कि ‘कैग पर ‘बुलडोजर चलाया’ जा रहा है, भ्रष्टाचार उजागर करने वाले अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है।’
हाल ही में द वायर ने तीन अधिकारियों के ट्रांसफर पर रिपोर्ट दी थी, जिन्होंने आयुष्मान भारत और भारतमाला जैसी मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं पर गंभीर सवाल उठाए थे। इन योजनाओं को अक्सर प्रधानमंत्री के नाम पर आगे बढ़ाया जाता है।
इस बीच कैग के सभी फील्ड ऑडिट वर्क को रोकने के लिए मौखिक आदेश जारी किए जाने की खबरें थीं। द वायर ने बताया था कि कैसे अक्टूबर के पहले सप्ताह में अधिकारियों ने सभी फील्ड ऑडिट वर्क रोकने के लिए कहने से पहले लिखित आदेश मांगे थे। महाराष्ट्र महालेखाकार द्वारा इन आदेशों को लिखित नोट में जारी करने पर रहस्य बना हुआ है। वहीं, कैग ने द वायर से फील्ड ऑडिट वर्क रोकने के सभी आरोपों से इनकार किया था।
द वायर को 16 अक्टूबर को ईमेल के जवाब में कैग की ओर से कहा गया था, ‘यह स्पष्ट रूप से कहा जा रहा है कि कैग कार्यालय द्वारा फील्ड ऑडिट कार्य को रोकने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।’
खेड़ा ने पूछा, ‘कैग रिपोर्टों का दस्तावेजीकरण करने वाले ऑडिट अधिकारियों को ‘सभी फील्ड वर्क रोकने’ के आदेश क्यों और किसके निर्देशों के तहत दिए गए थे? क्या प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) या गृह मंत्रालय कैग के कामकाज में सीधे हस्तक्षेप कर रहा है?’
खेड़ा ने बताया कि वर्तमान कैग गिरीश चंद्र मुर्मू ने नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया है, जब वह (मोदी) गुजरात के मुख्यमंत्री थे। बाद में मुर्मू को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था।
यह आरोप लगाते हुए कि मुर्मू नई रिपोर्टों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं, खेड़ा ने सवाल किया, ‘क्या उन्होंने शीर्ष पर बैठे दो बड़े लोगों के दबाव के कारण फाइलों पर हस्ताक्षर करना बंद कर दिया है?’
खेड़ा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कैग की स्वायत्तता खत्म हो गई है।
संसद के मानसून सत्र में पेश की गई कैग की 12 रिपोर्टों ने भाजपा को असहज कर दिया था, क्योंकि इनमें केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों में वित्तीय और अन्य अनियमितताओं पर गंभीर सवाल उठाए थे।
‘2जी’ और ‘कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले’ के कारण तत्कालीन यूपीए सरकार की आलोचना के बाद कैग रिपोर्टों को लेकर विशेष रुचि रही है। इन घोटालों का खुलासा तब हुआ, जब विनोद राय कैग थे और जिसके गंभीर परिणाम यूपीए सरकार की साख पर पड़े थे।
Courtesy: The Wire
नई दिल्ली: कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह स्पष्टीकरण देने को कहा है कि किसके आदेश के कारण भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) का फील्ड ऑडिट वर्क रोका गया है।
पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने भारत में सरकार के सर्वोच्च ऑडिटर कैग कार्यालय में उभरती कथित अनियमितताओं पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कैग, जिसका इस्तेमाल कभी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को ‘बदनाम’ करने के लिए किया गया था, अब उसका ‘गला घोंट दिया गया’ है।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने कांग्रेस के हवाले से लिखा है कि ‘केंद्र अपनी योजनाओं में भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए कैग का गला घोंट रहा है।’
टेलीग्राफ ने कांग्रेस के हवाले से कहा कि ‘कैग पर ‘बुलडोजर चलाया’ जा रहा है, भ्रष्टाचार उजागर करने वाले अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है।’
हाल ही में द वायर ने तीन अधिकारियों के ट्रांसफर पर रिपोर्ट दी थी, जिन्होंने आयुष्मान भारत और भारतमाला जैसी मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं पर गंभीर सवाल उठाए थे। इन योजनाओं को अक्सर प्रधानमंत्री के नाम पर आगे बढ़ाया जाता है।
इस बीच कैग के सभी फील्ड ऑडिट वर्क को रोकने के लिए मौखिक आदेश जारी किए जाने की खबरें थीं। द वायर ने बताया था कि कैसे अक्टूबर के पहले सप्ताह में अधिकारियों ने सभी फील्ड ऑडिट वर्क रोकने के लिए कहने से पहले लिखित आदेश मांगे थे। महाराष्ट्र महालेखाकार द्वारा इन आदेशों को लिखित नोट में जारी करने पर रहस्य बना हुआ है। वहीं, कैग ने द वायर से फील्ड ऑडिट वर्क रोकने के सभी आरोपों से इनकार किया था।
द वायर को 16 अक्टूबर को ईमेल के जवाब में कैग की ओर से कहा गया था, ‘यह स्पष्ट रूप से कहा जा रहा है कि कैग कार्यालय द्वारा फील्ड ऑडिट कार्य को रोकने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।’
खेड़ा ने पूछा, ‘कैग रिपोर्टों का दस्तावेजीकरण करने वाले ऑडिट अधिकारियों को ‘सभी फील्ड वर्क रोकने’ के आदेश क्यों और किसके निर्देशों के तहत दिए गए थे? क्या प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) या गृह मंत्रालय कैग के कामकाज में सीधे हस्तक्षेप कर रहा है?’
खेड़ा ने बताया कि वर्तमान कैग गिरीश चंद्र मुर्मू ने नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया है, जब वह (मोदी) गुजरात के मुख्यमंत्री थे। बाद में मुर्मू को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था।
यह आरोप लगाते हुए कि मुर्मू नई रिपोर्टों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं, खेड़ा ने सवाल किया, ‘क्या उन्होंने शीर्ष पर बैठे दो बड़े लोगों के दबाव के कारण फाइलों पर हस्ताक्षर करना बंद कर दिया है?’
खेड़ा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कैग की स्वायत्तता खत्म हो गई है।
संसद के मानसून सत्र में पेश की गई कैग की 12 रिपोर्टों ने भाजपा को असहज कर दिया था, क्योंकि इनमें केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों में वित्तीय और अन्य अनियमितताओं पर गंभीर सवाल उठाए थे।
‘2जी’ और ‘कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले’ के कारण तत्कालीन यूपीए सरकार की आलोचना के बाद कैग रिपोर्टों को लेकर विशेष रुचि रही है। इन घोटालों का खुलासा तब हुआ, जब विनोद राय कैग थे और जिसके गंभीर परिणाम यूपीए सरकार की साख पर पड़े थे।
Courtesy: The Wire