यूपी में ईसाइयों पर हमला :'उन्होंने हमें गाली दी, मारपीट की, हमें मूर्तियों की पूजा करने के लिए कहा'

Written by Karuna John | Published on: July 21, 2020
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले विकास कुमार गुप्ता स्थानीय आईटीआई से वेल्डिंग का डिप्लोमा कोर्स कर रहे थे। यीशु मसीह की शिक्षाओं का पालन करना और अपनी आंतरिक आवाज को सुनना विकास को अब महंगा पड़ रहा है। इसी महीने उनपर हुए हमले के वह खुद को मजबूर महसूस कर रहे हैं। 



विकास कहते हैं, 'किसी ने भी मुझसे नहीं कहा, मैं बस लोगों की मदद कर रहा हूं और मुझे शांति मिलती है जब मैं यीशु के बारे में पढ़ता हूं। इससे मुझे उनके नक्शेकदम पर चलने की प्रेरणा मिलती है। इसलिए उन्होंने लोगों से मिलने और उनकी चिंताओं को साझा करना शुरू किया जिसे वह सामाजिक कार्य कहते हैं। 

विकास कहते हैं, 'मैं अपने एक स्थानीय चर्च में जाता था और प्रचारकों की बात को सुनता था। मैने भी उन लोगों से बात करना शुरू कर दिया जो मुझसे मिलने आते थे।' 

मृदुभाषी विकास कहते हैं कि वह अब धर्मशास्त्र और सामाजिक कार्यों के बारे में सीखना चाहते हैं जिससे कि वह लोगों की मदद कर सकें क्योंकि हर कोई कोविड 19 से लड़ रहा है। 

21 वर्षीय विकास हाल ही में भीड़ के एक हमले से बच गए हैं और वर्तमान में एक सुरक्षित स्थान पर छिपे हुए हैं। वह अब शारीरिक रूप से ठीक हैं लेकिन भावनात्मक निशान धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं। विकास ने सबरंग इंडिया को बताया, मेरी मां मेरी ताकत का स्त्रोत हैं, वह मुझे उम्मीद देती है। 

विकास के माता पिता खुश हैं कि अब उनका बेटा वापस लौट आया है क्योंकि जिस समय वह चर्च में था उस पर कथित तौर 100 लोगों की भीड़ ने हमला किया था। 

लेकिन विकास खुद हैरान हैं, वह कहते हैं मुझे सिर्फ कुछ और दिनों के लिए प्रचार करने से फुर्सत लेनी चाहिए चूंकि मेरे पिता अस्वस्थ और तनावग्रस्त हैं। इसलिए मैं अपनी ओर से अपने लोगों के लिए प्रार्थना करता हूं। वे मुझे फोन कर बुलाते हैं और मैं उनकी चिंताओं को साझा करने के लिए उन्हें सुनता हूं और मैं उनका नाम लेता हूं और उनके लिए प्रार्थना करता हूं। 

विकास के अनुसार, वह लोगों से ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के लिए नहीं कहते हैं, उन्होंने वास्तव में अपने माता-पिता और दो बहनों से भी धर्मांतरण के लिए नहीं कहा था। वह अपने माता पिता के भ्रमित होने की बात को याद करते हुए कहते हैं कि उन्होंने केवल चुपचाप प्रार्थना की थी, शुरूआत में इस परिवर्तन उनके माता पिता चिंतित थे लेकिन उन्होंने उसे नहीं रोका। वह किसी मुसीबत में नहीं पड़ रहे थे, वह बस प्रार्थना कर रहे थे।' 

विकास कहते हैं, 'मैं किसी को भी कुछ भी करने के लिए कैसे कह सकता हूं। बेशक अगर वे यीशु की शिक्षाओं के बारे में कुछ भी जानना चाहते हैं तो मैं उन्हें बताता हूं। अगर वे मुझसे सवाल पूछते हैं तो मैं उनका जवाब देता हूं।' 

वह इसी तरह अपने जीवन को एक ईसाई उपदेशक के रूप में चला रहे थे। विकास कहते हैं कि यह एक करियर नहीं है, यह एक बुलावा है। विकास कोई धार्मिक कट्टरपंथी नहीं है, वह ईसाई सामाजिक कार्यकर्ता होने की इच्छा रखता है और बातचीत व ऑनलाइड वीडियो के माध्यम से हितों के विषयों पर अपने शोध करता है।

विकास कुमार आगे कहते हैं, 'मैं अपने आपको यू-ट्यूब पर ऑनलाइन सिखाता हूं..मैं और अधिक सीखना चाहता हूं..यहां तक कि भगवान भी कहते हैं कि आपके पास अपना दिमाग इस्तेमाल करने को है। शिक्षा दिमाग को खोलती है और उसे सतर्क रखती है।' 

यह सतर्कता ही थी जिसने उनके जीवन को उस समय बचाने में मदद की जब वह छोटे से चर्च में था, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के दसमदा के एक गांव में 4 जुलाई को उस पर हमला किया गया था।

वह याद करते हुए कहते हैं, मैं छोटे समूह के लिए प्रार्थना सेवा का संचालन करने के लिए वहां गया था क्योंकि पादरी सुनीता मौर्य को कहीं और शादी में भाग लेने जाना था और उनकी जगह भरने के लिए मुझे कहा गया था। 

सुनीता मौर्य अपने मंत्रालय में विकास की मार्गदर्शिका हैं और जब भी वह फोन करता है उसकी सहायता में हमेशा साथ रहती हैं। विकास कहता है, मैं उन्हें कभी-कभी सुनीता मां कहता हूं। साथ में ही वे चर्च में प्रार्थना सेवा करते हैं जिसमें केवल तीस सदस्य होते हैं या गांव से आते हैं। 

वह याद करते हुए उस डर को हर बार महसूस करता है जो घटना उसके साथ हुई है, जिस चर्च में वह प्रार्थना करते हैं वो सुनीता के अपने घर में ही एक कमरा है और उस दिन जब विकास ने चार अन्य लोगों के साथ प्रार्थना की तो भीड़ ने तोड़फोड़ शुरू कर दी और उनके साथ मारपीट की। 

इसके बाद विकास भागने में कामयाब रहा और कहीं नजदीकी इलाके में छिप गया, इस दौरान आसपास के लोगों ने हमला जारी रखा। 

विकास कहते हैं, मैने चुपचाप अपने छिपने के स्थान से वीडियो बनाया और पास के इलाकों के पादरियों को क्लिप भेजकर पुलिस को सतर्क करने के लिए कहा। मैने खुद पुलिस को फोन करने की कोशिश की लेकिन फोन कॉल से संपर्क नहीं बन पाया। 

आखिरकार पुलिस पहुंची और विकास व अन्य पीड़ितों को बारदाहा थाने ले गई और मामला दर्ज किया। उन्होंने मेरा मेडिकल टेस्ट भी किया था और फिर हम सभी को जाने दिया। 

विकास कहते हैं कि वह नहीं जानते हैं कि किसने उनपर हमला लेकिन चिंतित हैं कि वे फिर से हमला कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, हमारे साथ प्रार्थना कर रही बहनों में से एक ने पुलिस को बताया कि उसने कुछ ऐसे पुरूषों को पहचान लिया जिन्होंने हमारे साथ दुर्व्यवहार किया और हमला किया। 

विकास ने अपनी परसेक्युसन रिलीफ में कही बात को दोहराते हुए कहा, कोविड 19 लॉकडाउन से पहले हम सभी नियमित रूप से सुनीता के घर पर प्रार्थना करने के लिए मिलते थे लेकिन लॉकडाउन के बाद वह बंद हो गया। 2 जुलाई को कुछ चुनिंदा लोग एक साथ प्रार्थना कर रहे थे तब दक्षिणपंथी समर्थकों का एक समूह आया और उन्हें धमकाने लगा और गाली देने लगा। 


विकास ने आगे कहा, वे चिल्लाते रहे और गाली देते रहे और उनसे सुनीता पादरी के बारे में पूछते रहे। वह शादी की वजह से घर से दूर थीं और मैने गुस्साए लोगों को यह कहकर शांत करने की कोशिश की कि हम सभी एक साथ बात करेंगे और जो भी समस्या है उसे हल करेंगे। 


इसके बाद वे चले गए तो विकास ने इस घटना के बारे में सुनीता को बताया। वह परेशान थीं लेकिन फिर भी उन्होंने मुझे से कहा कि हमें उन्हें माफ करना है और उनके लिए प्रार्थना भी करनी है और इसे भगवान के हाथों में छोड़ना है। 

विकास बताते हैं कि जब अगले दिन गुंडे वापस आए तो वह बाहर थे। पादरी सुनीता ने भी परसिक्यूसन रिलीफ को बताया कि वह और उसके घर पर प्रार्थना करने वाले अन्य लोगों पर 3 जुलाई को हमला किया गया। वह कहते हैं कि मैं हैरान था कि भीड़ को वापस लौटा दिया गया और सभी ईसाई विश्वासियों को घर से एक बस में ले जाने के लिए मजबूर किया गया। 

सुनीता ने परसिक्यूसन रिलीफ को बताया कि वे सभी बस में परेशान कर रहे थे, धमकी और गाली गलौच कर रहे थे। विकास कहते हैं कि मैं उन घृणित शब्दों को दोहरा भी नहीं सकता। इसके बाद वे हमें अपने मंदिर में ले गए और हमें मूर्तियों के सामने झुकने और पूजा करने के लिए मजबूर किया गया। 

विकास कहते हैं, मैंने प्रार्थना नहीं लेकिन मैं उन पुरूषों के साथ बहस नहीं करना चाहता था। वे सुनने के मूड में नहीं थे। अगर मैं उनसे लड़ता तो चीजें एक खतरनाक मोड़ ले सकती थीं। उस दिन उत्पीड़न के बाद पुलिस से शिकायत करनी चाहिए थी। 

शायद उनकी चुप्पी और सादगी ने गुंडों को अगले दिन भी सुनीता के घर चर्च पर हमला करने का एक और बहाना दिया। 4 जुलाई को वे ज्यादा आक्रामक थे, घर में तोड़फोड़ कर रहे थे और विकास, सुनीता व अन्य लोगों को गांव छोड़ने की धमकी दे रहे थे। इसके बाद विकास ने बारादाह पुलिस स्टेशन में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। 



कुछ रिपोर्टों के अनुसार, मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि विकास को विश्वास नहीं है कि केस की स्थिति क्या है। जो निश्चित है वह यह है कि इस तरह का हमला आखिरी नहीं है। मुझे बस सावधान रहना है और मैं भगवान से उन्हें शांति प्रदान करने के लिए प्रार्थना करूंगा। 

पिछले साल उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन की जाँच करने के लिए एक नया कानून बनाने का सुझाव दिया गया था।

न्यूज़ 18 द्वारा प्रकाशित नवंबर 2019 की एक पीटीआई की खबर के अनुसार,  "एक मसौदा कानून, उत्तर प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल, 2019 के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी।"

रिपोर्ट में कहा गया, "आयोग का विचार है कि मौजूदा कानूनी प्रावधान धर्मांतरण की जांच करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और इस गंभीर मामले पर 10 अन्य राज्यों की तरह एक नए कानून की आवश्यकता है।"

भारत में ईसाईयों के खिलाफ नफरत और लक्षित हिंसा शीर्षक वाली हालिया रिपोर्ट में भारत के अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के लोगों की सिलसिलेवार मॉब लिंचिंग, भड़काने और हिंसा की कई घटनाओं पर ताजा प्रकाश डाला गया है जो देश की आबादी का सिर्फ 2 प्रतिशत से अधिक हैं।

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