दुर्ग का शौचालय घोटाला नहीं छिप पाया

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: November 12, 2018
छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार में शौचालयों के निर्माण तक में घोटाला हुआ है और भाजपा की तमाम कोशिशों के बाद भी ये उजागर हो ही गया है।

Chhattisgarh



हालांकि घोटाले से बेपरवाह, भारतीय जनता पार्टी ने दुर्ग नगर निगम की महापौर चंद्रिका चंद्राकर को दुर्ग से विधानसभा का टिकट भी दे दिया है।

दुर्ग के इस शौचालय घोटाले में नगर निगम ने एक शौचालय बनाकर दो-दो एजेंसियों को भुगतान किया गया है। पूरे मामले के खुलासे के बाद अब 7000 शौचालयों के भुगतान की नए सिरे से जांच की जाएगी और इसके लिए घर-घर जाकर सर्वे किया जाएगा।

पत्रिका की खबर के मुताबिक, इस सर्वे की रिपोर्ट और दस्तावेजों का मिलान कर गड़बड़ी का पता लगाया जाएगा। रायपुर नाका वार्ड में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालय में गड़बड़ी का खुलासा इस साल की शुरुआत में ही हो गया था, लेकिन इसे दबाने की कोशिशें चल रही थीं।

मामले का खुलासा तब हुआ जब सुशीला अधिकारी के आवास में बनाए गए शौचालय के लिए पहले श्रीदेवगंगा एजूकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी को भुगतान किया गया और फिर कुछ महीनों बाद विद्या महिला स्व-सहायता समूह को भी इसका भुगतान कर दिया गया। दूसरी एजेंसी का बिल भी इसके लिए जमा करवाया गया।

नगर निगम सभापति राजकुमार नारायणी ने घोटाले की जांच पर असंतोष जताया था और इसकी शिकायत संभाग कमिश्नर से भी की थी। उन्होंने अन्य शौचालयों में भी इसी तरह की गड़बड़ी की आशंका जाहिर करते हुए जांच की मांग की थी।

निगम सभपाति का कहना है कि कि उनकी शिकायत के बाद दोबारा सर्वे कर दस्तावेज की जांच कराई जा रही है। रिटायर्ड अफसर के खिलाफ एफआइआर मामले का खुलासा होने के बाद तत्कालीन निगम कमिश्नर एसके सुंदरानी ने उपअभियंता विनोद मांझी को जिम्मेदार ठहराते हुए निलंबित कर दिया था। बाद में रिटायर्ड अधिकारी सोनी और फर्जी बिल लगाकर दूसरी बार भुगतान लेने वाली विद्या महिला स्वसहायता समूह के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराकर औपचारिकता निभाई गई।

धोखाधड़ी का मामला होने पर भी केवल निलंबन की कार्रवाई की गई और सभी दोषियों के खिलाफ एफआईआर नहीं कराई गई तो सभापति ने कमिश्नर से शिकायत की थी। अब दूसरे शौचालयों में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए सर्वे कराया जा रहा है।
 

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