छत्तीसगढ़ अंतागढ़ टेपकांड: पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी मंतुराम ने कहा- भाजपा से 7 करोड़ में हुई थी डील

Written by Anuj Shrivastava | Published on: September 14, 2019
2014 के अंतागढ़ टेपकांड(प्रत्याशी ख़रीद-फ़रोख्त) मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, उनके दामाद पुनीत गुप्ता, प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी व उनके बेटे अमित जोगी, भाजपा में मंत्री रहे राजेश मूढ़त और पुलिस अधिकार आर एन दास के शामिल होने की बात कोर्ट के समक्ष कही गई है। 



क्या है अंतागढ़ टेपकांड

साल 2014 में छत्तीसगढ़ की अंतागढ़ विधानसभा में भाजपा के तत्कालीन विधायक विक्रम उसेंडी के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अंतागढ़ विधानसभा सीट ख़ाली हो गई। फिर वहां उपचुनाव हुए। भाजपा ने भोजराज नाथ को प्रत्याशी बनाया और काँग्रेस ने मंतुराम पवार को। नामांकन भरने की अंतिम तिथि गुज़र जाने के बाद काँग्रेस प्रत्याशी मंतुराम पवार ने चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी। चूंकि नया नामांकन जमा करने की तारीख़ निकल चुकी थी इसलिए काँग्रेस कोई नया प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार सकती थी लिहाज़ा भाजपा को एक तरह से वॉक ओवर ही मिल गया। उपचुनाव के बाद मंतुराम भाजपा में शामिल हो गए। तब काँग्रेस अध्यक्ष रहे भूपेश बघेल ने कांकेर और रायपुर में FIR दर्ज कराई।

2015 में एक टेप सामने आया जिसमे काँग्रेस विधायक अमित जोगी और रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता को मंतुराम पवार की ख़रीद-फ़रोख्त के सम्बन्ध में बातचीत करते सुनाया गया। टेप वायरल होने के बाद काँग्रेस ने विधायक अमित जोगी को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी(एक समय काँग्रेस से मुख्यमंत्री रहे) और रमन सिंह(भाजपा से मुख्यमंत्री रहे) की आपसी सांठगांठ की बातें अक्सर सुनी जाती रही हैं। बेटे अमित जोगी को पार्टी से निकाल दिए जाने के बाद अजीत जोगी ने अपनी नई पार्टी, छत्तीसगढ़ जनता काँग्रेस का गठन किया।

भूपेश बघेल इस मामले को लेकर आरोप लगाते रहे कि मंतूराम की ख़रीद-फ़रोख्त हुई है, चुनाव आयोग के समक्ष भी इस बात की शिकायत की गई पर आयोग मौन बना रहा। राज्य में भाजपा की सरकार थी और मुख्यमंत्री के दामाद पर ख़रीद-फ़रोख्त के आरोप थे, ज़ाहिर सी बात है प्रशासन और पुलिस, किसी ने भी मामले में कार्रवाई नहीं की।

अंतागढ़ टेपकांड खुलासे के 05 साल बाद इस मामले में कांग्रेस नेत्री और पूर्व महापौर किरणमई नायक की शिकायत पर रायपुर के पंडरी थाने में मंतूराम पवार, पूर्व मंत्री राजेश मूढ़त, अमित जोगी, डॉ। पुनीत गुप्ता और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई थी। IPC की धारा 406, 420 171-ई, 171-एफ, 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 9 और 13 के तहत भी मामला दर्ज है। इस मामले में शिकायतकर्ता कांग्रेस नेत्री किरणमई नायक का कहना है कि मामले को लेकर 2016 में उन्होंने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत का रिमाइंडर 2017 में पुलिस को दिया गया था। तब की भाजपा सरकार ने मामला दर्ज नहीं होने दिया था। उसी शिकायत को अब री-राइट करके FIR की गई है। जिसके बाद पुलिस ने एसआईटी गठित की थी।

बीते शनिवार को मंतूराम ने पूर्व में दिए बयान से पलटते हुए धारा 164 के तहत कोर्ट में दर्ज किए बयान में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह तथा पूर्व मंत्री राजेश मूढ़त के ख़िलाफ़ उस पर दबाव बनाने और ख़रीद-फ़रोख्त का आरोप लगाया है। पवार ने बयान दर्ज करवाया है कि यह पूरी डील 7 करोड़ रुपए की थी और पूर्व मंत्री राजेश मूढ़त के बंगले पर हुई थी। पवार ने कहा इस डील के बाद से ही वह गिल्टी महसूस कर रहा था। उसने कहा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ।रमन सिंह, अजीत जोगी, अमित जोगी इस मामले में शामिल थे।


पुलिस अधिकारी आरएन दास भी आरोपी  

तब कांकेर एसपी आरएन दास थे। मंतूराम का कहना है- मुझे कांकेर के पुलिस अधीक्षक का फोन आया था। पुलिस अधीक्षक ने कहा- मंतूराम जो कहा जा रहा है वह करो।।। नहीं तो तुम्हे झीरम घाटी का परिणाम भुगतना होगा। उल्लेखनीय है कि 25 मई 2013 को बस्तर के झीरमघाट में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को माओवादियों ने मौत के घाट उतार दिया था। मंतूराम ने जो कुछ अपने बयान में कहा है अगर उस पर यकीन करें तो यह सवाल स्वाभाविक तौर पर उठता है कि क्या कांग्रेस नेताओं की मौत भाजपा के नेताओं के द्वारा रची गई एक गहरी साजिश थी और उसमें पुलिस अफसर आरएन दास भी शामिल थे?


विवादों से नाता रहा है दास का

आरएन दास इन दिनों पुलिस मुख्यालय रायपुर में पदस्थ है। वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सोनी लिखते हैं कि आरएन दास की गिनती कभी भी संवेदनशील और काबिल पुलिस अफ़सर के तौर पर नहीं हुई। उनका नाम हमेशा विवादों से जुड़ा रहा और उनकी पहचान विवादों से नाता रखने वाले पुलिस अफसर शिवराम कल्लूरी के शार्गिद के तौर पर ही बनी रही। यहां यह बताना लाज़मी है कि फ़रवरी 2017 में आरएन दास ने अधिवक्ता शालिनी गेरा को अपने मोबाइल की बजाय एक संदिग्ध के नंबर से फ़ोन करके धमकाया था। दास ने शालिनी को माओवादियों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाते हुए थाने बुलाया। जब शालिनी और उनके साथियों ने नंबर की पड़ताल की तो वह अग्नि संस्था के एक सदस्य फारूख़ अली का निकला। शालिनी गेरा ने इस बात की शिकायत मानवाधिकार आयोग में भी की थी। इसके अलावा बस्तर में निर्दोष आदिवासियों और बच्चों को मौत के घाट उतारने के मामले में भी आरएन दास की भूमिका को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं।


रमन सिंह ने दी थी खानदान को ख़त्म करने की धमकी

धारा 164 के तहत दिए गए अपने बयान में मंतूराम ने कहा है कि "फिरोज सिद्दिकी और अमीन मेनन ने कहा था कि अगर तुम यह काम नहीं करोगे तो रमन सिंह तुम्हारे पूरे खानदान को नहीं छोडेंगे। झीरमघाटी की तरह ही तुम्हें पूरे परिवार के साथ मसलकर फेंक दिया जाएगा। मैं जिस क्षेत्र से आता हूं वहां यह बात चर्चित एवं स्पष्ट थी कि झीरम घाटी हत्याकांड में बड़े नेताओं का हाथ है। मंतूराम ने अपने बयान में यह भी कहा है कि जब रमन सिंह अपनी पत्नी के इलाज के लिए विदेश गए थे तब फिरोज सिद्दिकी ने किसी के फोन से उनसे बात करवाई थीं। फोन पर बातचीत के दौरान रमन सिंह ने कहा था वे लोग जो कह रहे हैं वो तुमको करना है और मैं तुमको आर्शीवाद दूंगा। मंतूराम ने बयान में साफ किया कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, अजीत जोगी और अमित जोगी मिलकर काम करते थे। यह बात उन्हें फिरोज सिद्दिकी और अमीन मेनन ने बताई थी। मंतूराम ने शपथपूर्वक दिए गए अपने बयान में यह भी कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने उसका राजनीतिक भविष्य बनाने और लालबत्ती दिलाने का आश्वासन दिया था।

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