इमरान, मतदान और पाकिस्तान

Written by Chandra Bhushan Singh Yadav | Published on: July 26, 2018
क्रिकेटर से पॉलिटिशियन बने पाकिस्तान के मशहूर खिलाड़ी जिन्होंने पाकिस्तान को क्रिकेट की विश्व विजेता ट्राफी दिलवाई थी अपने 22 वर्षो के अथक राजनैतिक सफर के बाद पाकिस्तानी संसदीय चुनावो में हाफिज सहीद जैसे कट्टरपंथियों व नवाज शरीफ व जरदारी जैसे स्थापित राजनीतिग्यो को बोल्ड करते हुए पाकिस्तानी चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में ला खड़ा किया है यह अत्यंत ही आश्चर्यजनक है।



भारतीय सन्दर्भ में जैसे कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी हैं वैसे ही पाकिस्तानी सन्दर्भ में नवाज शरीफ साहब व जरदारी जी की पार्टी है। पाकिस्तान में नवाज शरीफ साहब व जरदारी जी के कॉकस को तोड़ना एक बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन क्रिकेट की स्पिन, फ़ास्ट, लेफ्ट, राइट, नो बॉल, बाउंस आदि तमाम दुरूह चक्रब्युह को भेदने में माहिर इमरान ने ठीक वैसे ही जैसे क्रिकेट में बादशाहत हासिल की वैसे ही राजनीति में भी अपना सिक्का मनवा लिया है। 

पाकिस्तान हमारा पड़ोसी व सगा भाई है। हम एक साथ आजादी की लड़ाई लड़े हैं। लम्बी फेहरिस्त है पकुस्तान गए आजादी की लड़ाई के स्वतंत्रता सेनानियों की।कुछ सियासतदां अपने पद को कायम रखने या हासिल करने के लिए दोनों देश के बाशिन्दों के मन मे एक दूसरे के प्रति नफरत पैदा करते व उसे उसे जिंदा रखने के लिए घृणित करतूतें करते रहते हैं। हम और हमारी सेनाएं इनकी मोहरा बन जाती हैं और आम अवाम तथा मध्यम वर्ग के घरों से निकले नौजवान सैनिक इस नफरत की बलिवेदी पर चढ़ इन सियासतदानों की कुर्सी को मजबूत बनाते हैं वरना ये तो एक दूसरे की माँओं तक को बिरियानी व शाल भेजते हैं।

समाजवादी विचारक व देश के महानतम स्वतन्त्रता सेनानी डॉ राममनोहर लोहिया ने "भारत विभाजन के अपराधी" नामक किताब लिखी और "भारत-पाक का संघ" बनाने का प्रस्ताव रखा।समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव ने भी "भारत, पाक, बंगला देश का संघ" बनाने की बात हमेशा कही है।

भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सुधरें यही भारतीय व पाकिस्तानी आम-अवाम के हित में है। हम सब नवाज शरीफ की शराफत और आसिफ अली जरदारी के किरदार देख चुके हैं।इमरान खान नए हैं,खिलाड़ी से राजनीतिज्ञ बने हैं इसलिए हमें इनसे भारत-पाक अमन की उम्मीद रखनी चाहिए। हो सकता है खेल-खिलाड़ी की भावना रखने वाले इमरान खान जी भारत-पाक महासंघ के लोहिया जी के सपने को मूर्त रूप देने में सहायक बने।

इमरान खान जी की बढ़त के बाद मैंने अपने साथी फ्रैंक हुजूर जी को जब फोंन कर बधाई दिया तो उनके मन मे भी मेरे ही मन जैसी भावनाएं दिखीं।मैं तो इमरान खान को क्रिकेट खेलते समय से टीवी पर ही देख रहा हूँ पर साथी फ्रैंक हुजूर जी तो इमरान खान जी की प्रमाणिक बायोग्राफी "इमरान वर्सेज इमरान" के लेखक ही हैं। फ्रैंक साहब ने इमरान खान जी से पाकिस्तान में उनकी आत्मकथा लिखते वक्त कई मुलाकातें कर रखी हैं। मैं समझता हूं कि यदि संयोग वश इमरान खान जी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन गए तो फ्रैंक हुजूर जी भारत-पाक के बीच अमन, तरक्की आदि के लिए एक सेतु का काम कर सकते हैं।

इमरान खान जी को पाकिस्तानी संसदीय चुनावो में शानदार सफलता हेतु इस उम्मीद के साथ बधाई कि उनके नेतृत्व में पाकिस्तान निश्च्य ही तरक्की करेगा,भारत से रिश्ते बेहतर व भातृवत बनाएगा।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। चंद्रभूषण सिंह यादव त्रैमासिक पत्रिका यादव शक्ति के प्रधान संपादक हैं।)

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