सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा-एनआरसी प्रक्रिया को बर्बाद करना चाहती है केंद्र सरकार

Written by sabrang india | Published on: February 6, 2019
सु्प्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) प्रक्रिया के लिए असम में तैनात केंद्रीय बलों को लोकसभा चुनावों के लिए वापस बुलाने के निवेदन पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने गृह मंत्रालय की मांग पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र एनआरसी प्रक्रिया को पूरी तरह से बर्बाद करने पर लगा हुआ है.



सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव ड्यूटी में केंद्रीय सशस्त्र बलों की भूमिका को देखते हुए दो सप्ताह तक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का कार्य रोकने के लिए गृह मंत्रालय की याचिका पर उसे फटकार लगाई.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह दोहराया कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की प्रक्रिया पूरी करने के लिये 31 जुलाई की तय समय सीमा आगे नहीं बढ़ायी जाएगी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि गृह मंत्रालय नहीं चाहता है कि एनआरसी की प्रक्रिया जारी रहे और उनका पूरा प्रयास इस प्रक्रिया को बर्बाद करने का है.’

सुप्रीम कोर्ट की यह प्रतिक्रिया असम सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की मांग पर आई है. मेहता ने कहा, ‘नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख से लेकर चुनाव की तारीख तक एनआरसी प्रक्रिया को निलंबित कर दिया जाना चाहिए.

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि राज्य में केंद्रीय बलों को वापस बुलाने और उनकी दोबारा तैनाती के लिए एनआरसी प्रक्रिया को दो हफ्तों के लिए बढ़ा दिया जाना चाहिए.

हालांकि, वेणुगोपाल की मांग को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि एनआरसी को प्रकाशित किए जाने की आखिरी तारीख को 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा.

चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा, ‘केंद्र सरकार एनआरसी प्रक्रिया में सहयोग नहीं कर रही है. अगर आप चाहते हैं तो ऐसे 1001 तरीके हैं जिससे एनआरसी प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता है. क्या आप चाहते हैं कि हम गृह सचिव को तलब करें.’

बता दें कि एनआरसी प्रक्रिया में राज्य सरकार के 50 हजार से अधिक कर्मचारी लगे हुए हैं. इसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह कुछ राज्य अधिकारियों को चुनाव में तैनाती से छूट दे दे ताकि एनआरसी प्रक्रिया बिना किसी बाधा के चलती रहे.

शीर्ष अदालत ने बीती 24 जनवरी को कहा था कि असम के लिए नागरिक रजिस्टर को अंतिम रूप देने की 31 जुलाई, 2019 की समयसीमा को आगे नहीं बढ़ायी जा सकती है. उसने राज्य सरकार, एनआरसी समन्वयक और निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि आगामी आम चुनावों से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तैयार करने की कवायद धीमी नहीं पड़े.

असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण मसौदा 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित हुआ था जिसमें राज्य के 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम ही शामिल थे. सूची में 40,70,707 लोगों के नाम नहीं थे. इनमें से 37,59,630 नामों को अस्वीकार कर दिया गया है जबकि शेष 2,48,077 नामों को रोक लिया गया था.

इससे पहले शीर्ष अदालत ने असम में नागरिक रजिस्टर के मसौदे में जिन लोगों के नाम छूट गए थे उनके नामों को शामिल करने के दावों और आपत्तियों को दायर करने की अंतिम समय सीमा 31 दिसंबर, 2018 तक बढ़ा दी थी.

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि एनआरसी में नामों को शामिल करने के लिए दावों के सत्यापन की अंतिम समयसीमा एक फरवरी के बजाय 15 फरवरी, 2019 होगी.

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